जदयू को बिहार की भरपाई दूसरे प्रदेशों में कर सकती है भाजपा, NDA की सीट बंटवारे को लेकर अनौपचारिक पहल शुरू
बिहार में सत्ता का समीकरण बदलने के साथ ही राजग के घटक दलों के बीच सीट बंटवारे अनौपचारिक पहल शुरू हो चुकी है। मुख्य रूप से यह काम दोनों बड़े घटक दलों भाजपा और जदयू को करना है। तीन अन्य सहयोगी दलों को भी सम्मानजनक सीटें देनी हैं ताकि गठबंधन में सहजता बनी रह सके। जदयू को संतुलन के लिए अन्य राज्यों का विकल्प दिया जा सकता है।
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। बिहार में सत्ता का समीकरण बदलने के साथ ही राजग के घटक दलों के बीच सीट बंटवारे अनौपचारिक पहल शुरू हो चुकी है। मुख्य रूप से यह काम दोनों बड़े घटक दलों भाजपा और जदयू को करना है। तीन अन्य सहयोगी दलों को भी सम्मानजनक सीटें देनी हैं, ताकि गठबंधन में सहजता बनी रह सके।
इस प्रयास में जदयू की लोकसभा सीटें तो कम नहीं होंगी किंतु संतुलन के लिए उसे अन्य राज्यों का विकल्प दिया जा सकता है। उसके अभी 16 सांसद हैं, लेकिन बिहार में तीन कम सीटें देकर दूसरे प्रदेशों से भरपाई की जा सकती है। ध्यान रहे कि 2019 में भाजपा को जीती हुई पांच सीटें जदयू के लिए छोड़नी पड़ी थी।
भाजपा 17-18 सीटों पर लड़ना चाहती है चुनाव
सूत्रों के अनुसार बिहार में पांच दलों के गठबंधन वाले राजग में जदयू-भाजपा और लोजपा (दोनों गुट) के बीच सांसदों की वर्तमान संख्या के अनुरूप सीटों को बांटने की तैयारी है। लोकसभा की 40 सीटों वाले बिहार में भाजपा 17-18 सीटों पर लड़ना चाहती है। प्रदेश में उसके अभी 17 सांसद हैं। लोजपा (चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस की पार्टी) के पास भी छह सांसद हैं। तीनों दलों में सीटों का बंटवारा इसी अनुपात में होगा।राजग के अहम सहयोगी रालोजपा और हम
किंतु उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोजपा एवं जीतनराम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के पास अभी एक भी सांसद नहीं हैं, लेकिन ये भी राजग के अहम सहयोगी हैं। गठबंधन में जदयू के आने के बाद भी भाजपा की कोशिश दोनों पुराने मित्र दलों को साथ लेकर चलने की है।
नड्डा ने कुशवाहा को आग्रहपूर्वक राजभवन बुलाया
ऐसा संकेत भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के उस कदम से मिलता है, जब उन्होंने पटना में नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए कुशवाहा को आग्रहपूर्वक राजभवन बुलाया था। काराकाट जा रहे कुशवाहा उस दिन नड्डा का संदेश मिलते ही बीच रास्ते से लौट गए थे। ऐसे में माना जा रहा कि उन्हें दो सीटें मिल सकती हैं। मांझी को एक सीट तो पक्की है। दूसरी के लिए दबाव बना रहे हैं।