शत-प्रतिशत मतदान केंद्रों की कराई जाए वीडियोग्राफी और वेबकास्टिंग, भाजपा प्रतिनिधि मंडल ने चुनाव आयुक्त के सामने रखी मांग
चुनावी पारदर्शिता को लेकर राजनीतिक दल सक्रिय है। लोकसभा चुनाव से पहले जहां कांग्रेस शत-प्रतिशत इवीएम मशीनों को वीवीपैट से मिलान की मांग कर रही है वहीं भाजपा प्रतिनिधि मंडल ने बुधवार को चुनाव आयुक्त से मुलाकात कर शत-प्रतिशत मतदान केंद्रों की वीडियोग्राफी और वेबकास्टिंग कराने की मांग की है। इसके अलावा प्रतिनिधि मंडल ने चुनाव आयोग को कुछ अन्य सुझाव भी दिए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनावी पारदर्शिता को लेकर राजनीतिक दल सक्रिय है। लोकसभा चुनाव से पहले जहां कांग्रेस शत-प्रतिशत इवीएम मशीनों को वीवीपैट से मिलान की मांग कर रही है।
वहीं, भाजपा प्रतिनिधि मंडल ने बुधवार को चुनाव आयुक्त से मुलाकात कर शत-प्रतिशत मतदान केंद्रों की वीडियोग्राफी और वेबकास्टिंग कराने की मांग की है। मतदाता के पहचान की इस दोहरी व्यवस्था से गड़बड़ी की आशंका बिल्कुल भी नहीं रहेगी। अभी करीब 50 प्रतिशत मतदान केंद्रों पर ही यह दोहरी व्यवस्था की जाती है।
भाजपा नेताओं ने चुनाव आयुक्त से मुलाकात की
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह की अगुवाई में चुनाव आयोग पहुंचे भाजपा प्रतिनिधि मंडल ने इस दौरान चुनाव आयुक्त अरुण गोयल से मुलाकात कर उन्हें चुनावी पारदर्शिता के लिहाज से और भी कई सुझाव दिए। इनमें राज्यों में गठित होने वाली मीडिया कंट्रोल एंड मॉनिटरिंग कमेटी (एमसीएमसी) से जुड़ी व्यवस्थाओं को और अधिक पारदर्शी बनाने की मांग की।भाजपा ने मतदाताओं से जुड़ा मुद्दा उठाया
साथ ही बताया कि पिछले चुनाव के दौरान दिल्ली में कमेटी ने प्रचार से जुड़ी उसकी एक अनुमति देने में दस दिनों का समय लगा दिया था। जिसके चलते प्रचार के लिए उन्हें कम समय मिल पाया। भाजपा प्रतिनिधि मंडल का कहना था कि वैसे भी चुनावों में प्रचार के लिए दलों को कम दिन ही मिलते है ऐसे में यदि इस तरह की देरी की गई तो फिर मुश्किल होगी।भाजपा ने इस दौरान आयोग के सामने मतदाताओं की सुविधा से जुड़ा भी एक मुद्दा प्रमुखता से रखा। जिसमें यह मांग की गई कि मतदाताओं की सुविधा के लिए बहुमंजिला भवनों और हाउसिंग सोसाइटी में मतदान केंद्र खोला जाए। इससे अभी मतदान में हिस्सा लेने से बचने वाले लोग भी आसानी से वोट कर सकेंगे। इसका असर वोटिंग प्रतिशत पर भी पड़ेगा। मौजूदा समय में शहरी क्षेत्रों में वैसे भी मतदाताओं की अरुचि के चलते मतदान प्रतिशत काफी कम है, जिससे निपटने के लिए आयोग लगातार जागरूकता अभियान छेड़े हुए है।