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'कांग्रेस की पिछलग्गू नहीं बनना चाहतीं ममता', माइक बंद करने के दावे पर भाजपा ने समझाया सियासी गणित

भाजपा का कहना है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कांग्रेस की पिछलग्गू नहीं बनना चाहती हैं। यही वजह है कि कांग्रेस के बहिष्कार के बाद उन्होंने नीति आयोग की बैठक में हिस्सा लिया और माइक बंद करने का आरोप लगा सभी का ध्यान भी खींचा। भाजपा का कहना है कि कांग्रेस के उभार के बाद क्षेत्रीय दलों में पैदा खौफ को ममता बनर्जी बता रही हैं।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Sun, 28 Jul 2024 05:58 PM (IST)
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राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी (फाइल फोटो)

एएनआई, नई दिल्ली। नीति आयोग की बैठक में माइक बंद करने का दावा पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने शनिवार को किया था। अब भाजपा के राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि इस समय विपक्ष में प्रतिस्पर्धा चल रही है।

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त्रिवेदी ने कहा कि ममता बनर्जी क्यों दिल्ली आईं? कांग्रेस ने निर्णय लिया था कि उसके सीएम नीति आयोग की बैठक में नहीं आएंगे। यही वजह है कि ममता कांग्रेस की पिछलग्गू नहीं बनना चाहती थीं। उन्हें बैठक में शामिल होना था और कुछ ऐसा करना था जिससे नजर आए की वो कांग्रेस से कुछ अलग कर रही हैं। वे कांग्रेस से अधिक ध्यान खींचने में सफल हुईं।

क्षेत्रीय दलों के खौफ को बता रहीं ममता

सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया कि कोई माइक बंद नहीं किया गया था। सभी मुख्यमंत्रियों को निर्धारित समय दिया गया। उन्होंने कहा कि ध्यान देने योग्य बात यह है कि वो (ममता) बाहर निकल कर क्या बोलीं? जब उनसे कहा गया कि यह बंगाल का अपमान है तो उन्होंने कहा कि यह बंगाल का नहीं बल्कि सभी क्षेत्रीय दलों का अपमान है। ममता बनर्जी उस खौफ को दिखा और बता रहीं जो कांग्रेस के उभार के बाद सभी क्षेत्रीय दलों के मन में आ गया है।

कैसे उभरी कांग्रेस? सुधांशु त्रिवेदी ने बताया

चुनाव में कई राज्यों में कांग्रेस के राजनीतिक उभार पर सुधांशु त्रिवेदी ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि असम में कांग्रेस ने एआईयूडीएफ दरुद्दीन अजमल की कीमत पर बढ़त हासिल की। कर्नाटक में अब हमारी सहयोगी जेडीएस का वोट खाकर बढ़ी है। तेलंगाना राष्ट्र समिति की कीमत पर वहां बढ़ी है। विकास अघाड़ी की कीमत पर महाराष्ट्र में बढ़ी।

उत्तर प्रदेश का सियासी गणित भी समझाया

सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी की कीमत पर बढ़त हासिल की। वरना कोई सोचे कि अखिलेश यादव अपनी खानदानी सीट कन्नौज में एक लाख 72 हजार से जीते हैं और राहुल गांधी रायबरेली से तीन लाख 90 हजार से जीते हैं। यहां तो कांग्रेस के विधायक और जिला पंचायत तक नहीं हैं। यही वजह है कि अखिलेश यादव कांग्रेस की बैठक में नहीं गए। मगर ममता बनर्जी की रैली में पहुंचे। सभी क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को खतरा समझ में आ रहा है।

अखिलेश तय करें... समस्या कहां-कहां से आने वाली

सुंधाशु त्रिवेदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश चुनाव के परिणाम भविष्य में समाजवादी पार्टी के लिए बहुत परेशानी का सबब बनने वाले हैं। उन्होंने कहा कि यूपी के दो लड़कों में अब एक लड़का बड़का हो गया है। दो लड़के बराबर के नहीं रहे हैं। अब अखिलेश तय करें कि उनके लिए भविष्य में कहां-कहां से समस्या आने वाली है।

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