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कोरोना तो कुछ भी नहीं इससे पहले दुनिया में फैली इन बीमारियों से गई थी लाखों की जान

कोरोना से पहले कई बीमारियां पूरी दुनिया में ऐसी फैलीं जिन्‍होंने हजारों नहीं बल्कि लाखों में लोगों की जान ले ली थी।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 05 Mar 2020 05:30 PM (IST)
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कोरोना तो कुछ भी नहीं इससे पहले दुनिया में फैली इन बीमारियों से गई थी लाखों की जान
नई दिल्‍ली। कोरोना वायरस या इसको दिए गए आधिकारिक नाम COVID-19 को लेकर पूरी दुनिया में दहशत व्‍याप्‍त है। अकेले चीन में इसकी वजह से तीन हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। दुनिया के 76 देशों में इसका कहर देखा जा रहा है। लगभग एक लाख लोग इसकी चपेट में हैं। संयुक्‍त राष्‍ट्र समेत विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन तक इसको लेकर दुनिया को चेता चुका है और कई अपील कर चुका है। पूरी दुनिया में इसको लेकर देश कई तरह के उपाय कर रहे हैं। कहीं पर कुछ देशों के नागरिकों को आने पर पाबंदी लगा दी गई है तो कहीं पर हाथ मिलाने तक पर रोक लगा दी गई है।

एहतियातन कुछ जगहों पर तो लोगों को घरों से काम करने को कहा गया है।हालांकि अब तक न तो इस वायरस से निपटने के लिए किसी तरह की दवा इजाद हुई है और न ही ये कहां से आया इसको लेकर स्‍पष्‍ट तौर पर कुछ पता चला है। इन सवालों के जवाब फिलहाल वैज्ञानिक तलाशने में जोर-शोर से लगे हुए हैं। कोरोना को लेकर जिस तरह की दहशत अब देखी जा रही है उसी तरह की दहशत पहले भी दुनिया में देखी गई है। कोरोना से पहले दुनिया में फैले ब्‍लैक डेथ, एशियन फ्लू, हांगकांग फ्लू, हैजा जैसी बीमारियों ने लाखों लोगों की जान ले ली थी। आज हम आपको इसकी ही जानकारी यहां पर दे रहे हैं। 

ब्लैक डेथ: इसको Pestilence या ग्रेट प्‍लेग, ब्‍लैक प्‍लेग के नाम से भी जाना जाता है। इतिहास के पन्‍नों में दर्ज हो चुकी ये वो बीमारी है जिसकी वजह से 1347-1353 के दौरान यूरोप में 7 करोड़ से 20 करोड़ लोगों की मौत हुई थी। हालांकि इसकी उत्‍पत्ति को पूर्वी एशिया बताया जाता है। कहा जाता है कि जहाज से कुछ लोग क्रीमिया पहुंचे थे। इनके साथ काले जहाज में काले चूहे भी सवार थे। धीरे-धीरे ये यूरोप में फैल गया। कहा जाता है कि इसकी वजह से यूरोप की करीब 30 से 60 फीसद आबादी खत्‍म हो गई थी। 

1918-20 के दौरान दुनिया के कई देशों स्‍पेनिश फ्लू की चपेट में आए थे। पूरी दुनिया में करीब 50 करोड़ लोग इसकी चपेट में आए थे। वहीं इससे करीब डेढ़ करोड़ से 5 करोड़ लोगों की मौत हुई थी। इसकी बदौलत कुछ देशों में लोगों की जीवन प्रत्‍याशा या सामान्‍य भाषा में जीवन की उम्र करीब 12 वर्ष कम हो गई थी। इसकी चपेट में आने वाले युवा से लेकर बुजुर्ग तक सभी थे। इसका सबसे पहला मामला अमेरिका के कन्‍सास में जनवरी 1918 में सामने आया था। उस वक्‍त एक स्‍थानीय डॉक्‍टर लॉरिंग मीनर ने यूएस पब्लिक हैल्‍थ सर्विस को इसके लिए चेताया भी था। विश्‍व युद्ध के दौरान जब सेनाएं एक देश से दूसरे देशों में गई तो ये बीमारी भी तेजी से फैलती चली गई।मार्च 1918 में अमेरिकन मिलिट्री फेसेलिटी सेंटर में इसका एक और मामला सामने आया था। कुछ ही दिनों के बाद इनकी संख्‍या बढ़कर 522 हो गई थी। 

एशियन फ्लू 20वीं सदी में फैली ये दूसरी सबसे बड़ी महामारी थी। 1950 में इसकी पहली बार पहचान इनफ्लूएंजा ए H2N2, के रूप में हुई थी। करीब सात वर्षों तक ये लोगों की जान लेता रहा। विश्‍व स्‍वास्‍‍‍‍थ्‍य संगठन के मुताबिक इसकी वजह से पूरी दुनिया में 20 लाख लोगों की जान गई थी। इसका प्रकोप Guizhou से शुरू हुआ था और इसके बाद ये सिंगापुर के रास्‍ते हांगकांग और अमेरिका तक जा पहुंचा था। अमेरिका में ही इसकी वजह से करीब 70 हजार लोगों की मौत हुई थी। ब्रिटेन में इसकी वजह से 3500 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। 

हांगकांग फ्लू 1968 यह इनफ्लुएंजा वायरस से फैला था और सबसे ज्यादा प्रभाव एशिया में था। इसका नाम एच3एन2 था। इसमें 10 लाख से कुछ कम लोगों की मौत हुई थी। इसकी शुरुआत हांगकांग से ही हुई थी। इसका पहला मामला 13 जुलाई 1968 को सामने आया था। इसके बाद इसके मामले वियतनाम, सिंगापुर, भारत फिलीपींस, उत्‍तरी आस्‍ट्रेलिया, यूरोप में भी सामने आए। इसी दौरान वियतनाम युद्ध की बदौलत ये अमेरिका तक में पहुंच गया था। जापान और अफ्रीका भी इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके। अकेले हांगकांग में इसकी वजह से 5 लाख लोग प्रभावित हुए थे। अमेरिका में इनकी संख्‍या 34 हजार के करीब थी। 

1846–60 के दौरान तीसरा हैजा या Third cholera pandemic की शुरुआत भारत से हुई थी। माना ये भी जाता है कि 1837 में इसकी शुरुआत हुई थी और 1863 तक इसका प्रकोप रहा था। रूस मे इसकी वजह से करीब दस लाख लोगों की जान गई थी। इससे पहले 1853-54 में इसकी वजह से ब्रिटेन में करीब 30 हजार लोगों की जान गई थी। इसका दायरा केवल यहीं तक सीमित नहीं था बल्कि एशिया, यूरोप और अफ्रीका समेत उत्‍तरी अमेरिका भी इसकी चपेट में आ गया था। इसके अलावा छठा हैजा जिसकी 1910-11 इसकी शुरुआत भारत में हुई थी में भी पूरी दुनिया में करीब आठ लाख लोगों की जान गई थी। यह मध्य एशिया, उत्तरी अमेरिका, पूर्वी यूरोप और रूस तक फैला था। इसके अलावा 1889- 1890 में फैले फ्लू  H3N8 वायरस की वजह से भी करीब 10 लाख लोगों की जान गई थी। इसकी शुरुआत रूस से हुई थी और बाद में ये कई देशों में फैल गया था। 

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