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अल्पसंख्यक चरमपंथियों का एक छोटा समूह दे रहा खालिस्तानी आंदोलन को हवा, ब्लूम रिपोर्ट से खुलासा

रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका और यूरोप में अल्पसंख्यक चरमपंथियों के एक बहुत ही छोटे समूह खालिस्तान की मांग को हवा दे रहे हैं। अधिकांश सिख और भारतीय खालिस्तान की मांग का समर्थन नहीं करते वे गहरे देशभक्त हैं।

By AgencyEdited By: Mahen KhannaUpdated: Mon, 08 May 2023 04:33 AM (IST)
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Bloom Report on Khalistani movement खालिस्तान समर्थक
नई दिल्ली, एएनआइ। दुनियाभर में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों में तेजी के बीच एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में खालिस्तानी आंदोलन को अमेरिका और यूरोप में अल्पसंख्यक चरमपंथियों के एक बहुत ही छोटे समूह द्वारा हवा दी जा रही है और उन्हें पाकिस्तान आर्थिक मदद मुहैया करा रहा है।

पश्चिमी देशों से उठ रही आवाज

ब्लूम रिपोर्ट के अनुसार अलग खालिस्तान की मांग करने वाले आतंकवादी समूह पश्चिमी देशों, विशेष रूप से ब्रिटेन में मिली स्वतंत्रता का इस्तेमाल नफरत और उग्रवाद की आग को भड़काने के लिए कर रहे हैं। यही नहीं, अपने हिंसक तरीके के खिलाफ बोलने वालों लोगों पर ये हमला भी कर रहे हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक सच्चाई यह है कि विदेशों में रहने वाले अधिकांश सिख और भारतीय उग्रवाद और अलग खालिस्तान की मांग का समर्थन नहीं करते हैं। वे गहरे देशभक्त हैं और उनकी भावनाएं भारत की एकता और अखंडता के साथ हैं। इसमें कहा गया है कि खालिस्तान लंबे समय से पाकिस्तान का सपना रहा है।

ब्रिटेन में गुरुद्वारों पर नियंत्रण की चाल

रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन में गुरुद्वारों पर नियंत्रण के लिए इन चुनिंदा खालिस्तान समर्थकों और बड़े सिख संगठनों के बीच रस्साकशी भी चल रही है। इसमें कहा गया है कि हिंसा और डराना पूरी तरह से सिख धर्म के सिद्धांतों के खिलाफ है लेकिन ब्रिटेन और दुनियाभर में खालिस्तान समर्थक सिख धर्म को हाईजैक करने और अपने फायदे के लिए इसका इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि खालिस्तान समर्थक तत्वों ने कुछ गुरुद्वारों पर अपना कब्जा जमा लिया है और वह इन धर्म स्थलों का इस्तेमाल हिंसा और नफरत के प्रचार के लिए करते हैं और इसके जरिये अपने आका पाकिस्तान को खुश रखने की कोशिश करते हैं। इसमें कहा गया है कि चरमपंथी युवाओं का ब्रेनवाश कर रहे हैं और एक झूठी कहानी गढ़ रहे हैं कि पंजाब में सिखों से भेदभाव हो रहा है। उनकी उपेक्षा की जा रही है लेकिन इसमें कोई सच्चाई नहीं है।