Move to Jagran APP

UN Peace Keeping Force: दुनिया भर में Blue Helmets के जरिए पहचाने जाते हैं UN के शांति रक्षक, नहीं होती उम्र की अधिकतम सीमा

दुुनिया भर के कुछ बेहद खतरनाक मुल्‍कों में और बेहद खतरनाक वातावरण में यूएन के शांति सैनिक अपनी ड्यूटी को अंजाम देते हैं। यूएन के इन शांति सैनिकों का कुल सालाना बजट भी अरबों डालर का होता है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 28 Jul 2022 10:20 AM (IST)
Hero Image
अलग-अलग भूमिका में दिखाई देते हैं संयुक्‍त राष्‍ट्र के शांति सैनिक
नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। UN Peace Keeping Mission के तहत जवानों को मानवता के लिए सबसे खतरनाक स्‍थानों पर भेजा जाता है। इन शांति सैनिकों का काम क्षेत्र में शांति बनाना और पीडि़तों की हर संभव मदद करना होता है। अपनी सेवाओं के दौरान ये क्षेत्र में हर तरह का काम करते हैं। चाहे वो इलाके की बिजली सही करने से जुड़ा हो या फिर बीमार लोगों के उपचार से जुड़ा हो या फिर उनकी सुरक्षा या उनके खाद्य संकट से जुड़ा हो। इनका काम लोगों के बीच जाकर उनसे जुड़कर उन्‍हें मदद करना होता है। अपने काम को अंजाम देते समय अक्‍सर इन शांति सैनिकों को कई तरह की कठिन चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। इनमें असमाजिक तत्‍वों द्वारा किए गए हमले या विरोध भी शामिल होता है।

1945 में किया गया गठित 

1945 में दुनिया में शांति कायम करने के मकसद से इसका गठन किया गया था। आज इस मिशन के तहत 81820 एक्टिव पर्सनल हैं। इसके बजट की बात करें तो ये करीब साढ़े 6.7 अरब डालर से भी अधिक का है। किसी भी एक मिशन में कई देशों के सैनिकों की भागीदारी होती है। इसलिए आपसी तालमेल और विश्‍वास के साथ ही इस मिशन में किसी भी संकट के समय एक दूसरे की मदद करना बेहद जरूरी होता है। पूरी दुनिया में इनकी पहचान Blue Berets और Blue Helmets है। यूएन चार्टर के चैप्‍टर 7 के तहत इन्‍हें शांति मिशन के लिए प्रमाणित भी किया गया है।

अधिकतम उम्र की कोई सीमा नहींं 

यूएन की शांति सेना में अधिकतम उम्र की कोई तय सीमा नहीं है। इसमें वोलेंटियर बेस पर ही जवानों को भेजा जाता है। शांति सेना के हर मिशन को संयुक्‍त राष्‍ट्र की सुरक्षा परिषद से प्रमाणित किया जाता है। इसके बाद ही शांति सैनिकों को वहां पर भेजा जाता है। 1948 में इसका पहला शांति मिशन फलस्‍तीन से अलग होकर एक आजादा राष्‍ट्र के रूप में बने इजरायल में भेजा गया था। वर्ष 2021 में यूएन शांति सेना में सबसे अधिक जवान बांग्‍लादेश से थे। भारत इसमें तीसरे नंबर पर शामिल है। इसमें सबसे खास बात ये भी है कि अमेरिका के जवानों की शांति सैनिकों के रूप में गिनी बेहद कम है। इसी तरह से ब्रिटेन, चीन, रूस, आस्‍ट्रलिया, जापान, न्‍यूजीलैंड का भी नाम है। 

UN Peacekeeping Force में दुनिया की महाशक्ति बने अमेरिका के जवानों की संख्‍या न के बराबर, जानें- कहां आता है भारत

मिलिए, दक्षिण सूडान में तैनात मेजर बिंदेश्‍वरी से, मुश्किल परिस्थिति में भी 'ड्यूटी फर्स्‍ट'

आप भी मिलिए दक्षिण सूडान में यूएन पदक पाने वाली भारतीय सेना की अधिकारी मेजर चेतना से