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सच्ची घटनाओं पर आधारित इन फिल्मों ने कभी झकझोरा दर्शकों का अंतर्मन तो कभी समाज को दी प्रेरणा

Films Based On Real Life Slideshow सिनेमा का समाज पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का ही प्रभाव पड़ता है। फिल्में हमें अन्य संस्कृतियों के लोगों से जुड़ने में भी मदद करती हैं। यह समाज के मुद्दों को दर्शाती हैं और हमें उनसे परिचित करवाती हैं।

By Versha SinghEdited By: Updated: Tue, 20 Dec 2022 04:36 PM (IST)
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सच्ची घटनाओं पर आधारित इन फिल्मों ने कभी झकझोरा दर्शकों का अंतर्मन तो कभी समाज को दी प्रेरणा

नई दिल्ली, वर्षा सिंह। सिनेमा लंबे समय से मनोरंजन जगत का हिस्सा रहा है। यह दुनिया भर के लोगों पर व्यापक प्रभाव डालता है। दूसरे शब्दों में कहें तो, यह हमें हमारे रोजमर्रा की जिंदगी की नीरसता से विराम दिलाने में भी मदद करता है। हाल के वर्षों में सिनेमा बहुत विकसित हुआ है। यह वास्तविक जीवन से कुछ देर के लिए ही सही, लेकिन हमारी सभी चिंताओं, हमारी परेशानियों से मुक्त करा कर हमारे भीतर एक संतोष का भाव पैदा करता है। यह भाव काफी हद तक हमारे सिनेमा के चुनाव पर भी निर्भर करता है। हमें किस तरह की फिल्में पसंद आती हैं, यह कहीं न कहीं हमारे स्वभाव को भी दर्शाता है। लव स्टोरी हो या पारिवारिक सिनेमा या फिर एक्शन से भरपूर मूवी इन सभी मूवीज को देखने के बाद हमारे भाव अलग-अलग होते हैं।

जब हम प्रेरणादायक सिनेमा देखते हैं तो दिल कुछ कर गुजरने को करता है, वहीं जब सिनेमा में त्रासदी या अंत सुखदायी नहीं होता तो हम दुखी हो जाते हैं। कहने का मतलब यह है कि सिनेमा से हम अपने भाव को जोड़ते हैं, कभी कुछ सीख के आते हैं तो कभी अपने पसंदीदा कैरेक्टर की तरह बनने की कोशिश करते हैं। सिनेमा किसी व्यक्ति के दिमाग को फिर से जीवंत करने में मदद करता है। यह निश्चित रूप से कई तरह से फायदेमंद है, हालांकि, यह लोगों और समाज पर नकारात्मक प्रभाव भी पैदा कर रहा है। हमें सही–गलत की पहचान करने और उसके अनुसार निर्णय लेने में सक्षम होने की आवश्यकता है।

83 (2021)

फिल्म का विषय: फिल्म 83 भारतीय क्रिकेट टीम और देश के पहले विश्व कप जीत पर आधारित है। उस दौरान भारतीय टीम का नेतृत्व कप्तान कपिल देव ने किया था।  

1983 में कप्तान कपिल देव (रणवीर सिंह द्वारा अभिनीत) ने देश की पहली विश्व कप जीत के लिए एक अप्रत्याशित भारतीय टीम का नेतृत्व किया था। असामान्य रूप से प्रतिभाशाली वैश्विक चैंपियन के रूप में स्वदेश लौटकर, "83" इस दस्ते की यात्रा को समाहित करता है जिसने एक राष्ट्र को अपने क्रिकेट खिलाड़ियों पर विश्वास करना और अपनी उम्मीदें बनाए रखना सिखाया।

गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल (2020)

फिल्म का विषय: गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल फिल्म महिलाओं पर आधारित है। जिसमें एक गुंजन नाम की लड़की जो फ्लाइट लेफ्टिनेंट के तौर पर भारतीय वायु सेना में शामलि हुई और किस तरह से गुंजन ने एक चीता विमान को युद्ध क्षेत्र में उतारा और कई लोगों की जान बचाई। 

यह फिल्म सशस्त्र बलों में महिलाओं पर प्रकाश डालती है और भारतीय वायु सेना में फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना की कहानी है। फिल्म के कथानक के अनुसार, यह 1999 में कारगिल संघर्ष के दौरान एक फ्लाइंग ऑफिसर की यात्रा है, जब उसने एक चीता विमान को युद्ध क्षेत्र में उतारा और कई लोगों को बचाया। गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल उनकी बायोपिक है जिसमें भूमिका जान्हवी कपूर ने निभाई है।

उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक (2019)

फिल्म का विषय: उरी द सर्जिकल स्ट्राइक फिल्म 2016 में पीओके में हुए भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक को दर्शाती है। 

उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक विक्की कौशल के साथ मुख्य भूमिका में भारत की एक हिंदी एक्शन फिल्म है। यह फिल्म 2016 में पाकिस्तान-नियंत्रित कश्मीर (पीओके) में आतंकवादी लॉन्चपैड के खिलाफ भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक को दिखाती है। उरी में आतंकवादी हमले के प्रतिशोध में, जिसमें 19 भारतीय सैनिक मारे गए थे। कहा जाता है कि गुप्त अभियान में 35-50 आतंकवादी मारे गए थे। फिल्म ऑपरेशन के दौरान हुई 11 अराजक घटनाओं के बारे में बताती है।

केसरी (2019)

फिल्म का विषय: फिल्म केसरी 1897-1898 में हुए एक युद्ध पर आधारित है। यह युद्ध ब्रिटिश भारतीय सेना की 36 सिख रेजिमेट के 21 जाट सिखों द्वारा दिए गए बलिदान पर आधारित है। 

केसरी भारत की एक हिंदी भाषा की युद्ध फिल्म है। तिराह अभियान के हिस्से के रूप में, ब्रिटिश भारतीय सेना की 36 सिख रेजिमेंट के 21 जाट सिखों को सारागढ़ी में तैनात किया गया था। यह 1897-1898 में ब्रिटिश साम्राज्य की अनियंत्रित पश्चिमी सीमा को शांत करने के प्रयास में अंग्रेजों द्वारा छेड़ा गया एक भारतीय सीमांत युद्ध था। अक्षय कुमार द्वारा अभिनीत हवलदार ईशर सिंह इन लोगों के प्रभारी थे।

सुपर 30 (2019)

फिल्म का विषय: सुपर 30 फिल्म एक बायोग्राफिकल फिल्म है। इस फिल्म में गणित के एक शिक्षक के जीवन के बारे में बताया गया है। उन्होंने बच्चों को गणित पढ़ाने के लिए किस तरह से मेहनत की थी यह भी इस फिल्म में बताया गया है। 

सुपर 30 भारत में 2019 में रिलीज हुई हिंदी भाषा की बायोग्राफिकल ड्रामा फिल्म है। यह गणित के शिक्षक और शिक्षक आनंद कुमार (ऋतिक रोशन) के जीवन और इसी नाम के उनके शैक्षिक कार्यक्रम पर आधारित है। वास्तव में, सुपर 30 भारत के पटना में रामानुजन स्कूल ऑफ मैथमेटिक्स द्वारा स्थापित एक भारतीय शैक्षिक कार्यक्रम है और आनंद कुमार, एक विज्ञान व्याख्याता और अभयानंद, पूर्व डी.जी.पी. बिहार ने इसकी स्थापना की थी।

राजी (2018)

फिल्म का विषय: राजी फिल्म एक भारतीय जासूस महिला के जीवन पर आधारित है। जो यह बताती है कि कैसे एक भारतीय महिला ने पाकिस्तान के अधिकारी से शादी की और वहां भारत के लिए जासूसी भी की।  

राजी भारत की एक हिंदी भाषा की स्पाई थ्रिलर फिल्म है। राजी फिल्म आलिया भट्ट द्वारा निभाई गई सहमत की कहानी को दर्शाती है, जो एक भारतीय जासूस है, जिसने एक पाकिस्तानी अधिकारी से शादी की है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, समीक्षकों द्वारा प्रशंसित यह स्पाई थ्रिलर एक सच्ची कहानी पर आधारित है। यह फिल्म 2008 में प्रकाशित हरिंदर सिक्का के उपन्यास "कॉलिंग सहमत" पर आधारित है।

पैड मैन (2018)

फिल्म का विषय: फिल्म पैड मैन महिलाओं को हर माह होने वाले पीरीयड्स पर आधारित चर्चित फिल्म है। इस फिल्म में दर्शाया गया है कि महिलाओं को पीरीयड्स के समय होने वाली बीमारियों से कैसे बचना है। साथ ही फिल्म में सैनिटरी नैपकिन की मशीन का आविष्कार किसने और कब किया था। 

पैड मैन भारत की एक हिंदी भाषा की ड्रामा फिल्म है। यह फिल्म तमिलनाडु के एक सामाजिक कार्यकर्ता अरुणाचलम मुरुगनांथम (अक्षय कुमार) के जीवन पर आधारित है, जिन्होंने कम लागत वाली सैनिटरी नैपकिन मशीन का आविष्कार किया, जिसने ग्रामीण भारत में मासिक धर्म स्वच्छता को बदल दिया।

मंटो (2018)

फिल्म का विषय: मंटो नामक फिल्म लेखक मंटो के जीवन और उनके संघर्षों पर आधारित है। इस फिल्म में ये बताया गया है कि कैसे मंटो एक शहर से दूसरे शहर में पहुंचे थे। 

मंटो लेखक और नाटककार सआदत हसन मंटो के जीवन पर आधारित एक भारतीय जीवनी नाटक फिल्म है। इसमें मंटो के जीवन के सबसे महत्वपूर्ण वर्षों को शामिल किया गया है। यह 1940 के दशक के अंत में भारत के विभाजन से कुछ समय पहले हुआ था और मुंबई, फिर बॉम्बे और अंत में लाहौर, पाकिस्तान में लेखक के जीवन की कहानी से संबंधित है, जहाँ वह अंततः बस गए थे।

गोल्ड (2018)

फिल्म का विषय: गोल्ड: द ड्रीम दैट यूनाइटेड अवर नेशन फिल्म एक स्पोर्ट पर आधारित फिल्म है। 1948 में समर ओलंपिक में भारत ने पहला स्वर्ण पदक जीता था, इस फिल्म में उन खिलाड़ियों का संघर्ष दर्शाया गया है। 

‘गोल्ड: द ड्रीम दैट यूनाइटेड अवर नेशन’ भारत की एक ऐतिहासिक स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म है। इसमें अक्षय कुमार तपन दास के रूप में हैं, जिसने 1948 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक (Summer Olympics) में भारत का पहला स्वर्ण पदक जीता था और यह 1948 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक (Summer Olympics) में भारत की पहली राष्ट्रीय हॉकी टीम की यात्रा पर आधारित है।

केदारनाथ (2018)

फिल्म का विषय: केदारनाथ फिल्म एक सच्ची दुर्घटना पर आधारित है। केदारनाथ में आई त्रासदी में किस तरह से लोगों की जानें गई थीं, इस फिल्म में ये दर्शाया गया है। 

केदारनाथ भारत में स्थापित एक हिंदी भाषा की प्रेम नाटक फिल्म है। जबकि केदारनाथ की सच्ची कथा किन्हीं दो लोगों पर आधारित नहीं है, लेकिन पृष्ठभूमि के रूप में काम करने वाली प्राकृतिक त्रासदी अत्यंत वास्तविक है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट की इंडिया डिजास्टर रिपोर्ट 2013 के अनुसार, जून 2013 में उत्तराखंड में अचानक आई बाढ़ में 169 लोग मारे गए और 4021 लोग लापता हो गए।

परमाणु (2018)

फिल्म का विषय: परमाणु फिल्म भारत में किए गए परमाणु मिसाइल परीक्षण पर आधारित है। ये परीक्षण 1995 में किया गया था। 

परमाणु: द स्टोरी ऑफ पोखरण हिंदी में भारत की एक ऐतिहासिक ड्रामा फिल्म है। 1995 में रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के आईएएस अधिकारी अश्वत रैना (जॉन अब्राहम द्वारा अभिनीत) ने सलाह दी कि सरकार चीन के हालिया परमाणु मिसाइल परीक्षणों के प्रतिशोध में परमाणु परीक्षण करे। हालांकि, उनका मजाक उड़ाया जाता है और पीएमओ के सचिव सुरेश यादव ने उन्हें अपनी योजना की फाइल को छोटा करने की सलाह दी थी।

हसीना पार्कर (2017)

फिल्म का विषय: हसीना पार्कर फिल्म एक महिला के अंडरवर्ल्ड में फंसने की कहानी को दर्शाती है। 

हसीना पारकर भारत की एक जीवनी अपराध फिल्म है। कहा जाता है कि यह फिल्म दाऊद इब्राहिम की छोटी बहन हसीना पारकर के जीवन पर आधारित है, जिसे श्रद्धा कपूर ने निभाया है। 1991 में हसीना के पति इब्राहिम पारकर की एक गोली मारकर हत्या कर दी गई, जिसके बाद हसीना अंडरवर्ल्ड में फंस गई।

गंगूबाई काठियावाड़ी (2022)

फिल्म का विषय: गंगूबाई काठियावाड़ी फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है। इस फिल्म में ये दर्शाया गया है कि कैसे एक महिला को जबरन देह व्यापार करने पर मजबूर कर दिया गया था और किस तरह से उन्होंने अन्य महिलाओं के कल्याण और उन्हें यौन शोषण से मुक्ति दिलाई थी। 

गंगूबाई काठियावाड़ी आलिया भट्ट द्वारा अभिनीत गंगूबाई हरजीवनदास की सच्ची कहानी पर आधारित एक हिंदी फिल्म है। उनका जन्म काठियावाड़ी, गुजरात में हुआ था। एस हुसैन जैदी की किताब, "माफिया क्वीन्स ऑफ मुंबई" के अनुसार, उन्हें कम उम्र में देह व्यापार के लिए मजबूर किया गया था। उन्होंने मुंबई के कमाठीपुरा पड़ोस में एक कोठा (वेश्यालय) बनाया जिससे ग्राहकों के रूप में कई कुख्यात अपराधियों को भी आकर्षित किया। गंगूबाई ने अनाथों के कल्याण और यौन-कार्य के लिए बहुत प्रयास किए।

हिचकी (2018)

फिल्म का विषय: हिचकी फिल्म एक सिंड्रोम पर आधारित है। ये ऐसी बीमारी है जो बहुत कम लोगों में ही पाई जाती है। हिचकी फिल्म ये दर्शाती है कि किसी भी तरह के सिंड्रोम के साथ भी आप क्या कुछ नहीं कर सकते हैं।  

हिचकी एक ऐसे व्यक्ति के बारे में है जो दुनिया को करुणा, ज्ञान और समझ देने के लिए दृढ़ संकल्पित है। नैना माथुर (रानी मुखर्जी) बचपन से ही टॉरेट सिंड्रोम नामक एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति से पीड़ित है। हमें बताया गया है कि यह वाणी दोष है जो जब भी वह घबराती है तो बढ़ जाती है। वह अनोखी आवाजें निकालती है, हल्की दबी हुई चीख जैसी। वह पढ़ाना चाहती है। वह समझ गई थी कि अगर वह दुनिया में कदम रखती है तो उसका दूसरों पर क्या प्रभाव हो सकता है।

आर्टिकल 15 (2019)

फिल्म का विषय: आर्टिकल 15 उत्तर प्रदेश के बदायूं में 2014 में हुई दो लड़कियों की दुष्कर्म कर हत्या करने पर आधारित है। 

आर्टिकल 15 यानी सामाजिक समता का अधिकार, भारतीय संविधान के आर्टिकल 15(1) के मुताबिक देश के हर नागरिक के साथ धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान, भाषा और किसी भी अधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। संविधान की संरचना करते समय अनेकता में एकता पर जोर दिया गया है। 

आर्टिकल 15 की कहानी बदायूं दुष्कर्म और हत्याकांड से जुड़ी हुई है। ये फिल्म उसी 2014 के बदायूं कांड पर आधारित है जिसने उत्तर प्रदेश के जातिवाद का बेहद खराब चेहरा दिखाया था। बदायूं में दो पिछड़े वर्ग की लड़कियां एक पेड़ से लटकी मिली थीं। उस समय उत्तर प्रदेश के एक समुदाय का नाम बीच में आया था। केस में कई उतार चढ़ाव आए थे। स्थानीय पुलिस ने कुछ और कहा था, सीबीआई ने कुछ और कई बार इसे दुष्कर्म का मामला न बताने की भी कोशिश की गई थी। लड़कियों के घरवाले कुछ और कह रहे थे और ये आरोप लगाया गया था कि सीबीआई की रिपोर्ट झूठी है क्योंकि लड़कियों के साथ ये करने वाले ऊंची जाति के हैं।