तेजपाल को बरी करने के खिलाफ दायर याचिका हाई कोर्ट में स्वीकार, पासपोर्ट का नवीनीकरण कराने की मिली अनुमति
पत्रकार तरुण तेजपाल की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। बाम्बे हाई कोर्ट की गोवा खंडपीठ ने 2013 के दुष्कर्म मामले में उन्हें बरी किए जाने को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका को स्वीकार कर लिया है।
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Sat, 23 Apr 2022 07:09 PM (IST)
पणजी, पीटीआइ। बांबे हाई कोर्ट की गोवा खंडपीठ ने 2013 के दुष्कर्म मामले में पत्रकार तरुण तेजपाल को बरी किए जाने को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका शनिवार को स्वीकार कर ली। सत्र न्यायालय ने विगत वर्ष उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया था, जिसे राज्य सरकार ने हाई कार्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी है। राज्य सरकार की ओर से हाई कार्ट में दाखिल याचिका को स्वीकार करने पर तेजपाल ने चुनौती दी थी।
जस्टिस आरएन लढ्ढा और एमएस सोनक की खंडपीठ ने कहा कि अभियोजन की ओर से कार्ट को साक्ष्य के रूप में इस मामले से जुड़ी विस्तृत जानकारी नहीं चाहिए। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की याचिका उसके अधिकार क्षेत्र में है। इसे चुनौती नहीं दी जा सकती। अदालत ने कहा कि मौजूदा केस में ऐसा नहीं कहा जा सकता कि बरी करने के खिलाफ अपील का फैसला विवेक के इस्तेमाल के बगैर किया गया। यह भी नहीं कहा जा सकता है कि राज्य सरकार ने ऐसा दबाव के तहत किया है।
इस बीच कोर्ट ने तेजपाल के पासपोर्ट के नवीनीकरण की मांग वाली याचिका को स्वीकार कर लिया है। अदालत ने कहा कि एक बार प्रतिवादी 15 दिनों के भीतर निचली अदालत में पेश हो जाए तो उसका पासपोर्ट जारी करने का आदेश दिया जा सकता है।
गौतलब है कि सत्र अदालत ने दुष्कर्म मामले में तरुण तेजपाल को बरी करते हुए शिकायतकर्ता महिला के आचरण पर सवाल उठाए थे। सत्र अदालत ने कहा था कि उसके बर्ताव में ऐसा कुछ नहीं दिखा जिससे लगे कि वह यौन शोषण पीडि़ता है। सत्र न्यायालय ने 21 मई को 527 पृष्ठ के अपने फैसले में कहा था कि पेश किए गए सुबूतों से महिला की सच्चाई पर संदेह पैदा होता है और प्रमाणित सुबूत के अभाव में आरोपित को संदेह का लाभ दिया जाता है।