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'भारत के साथ सीमा विवाद विरासत का मुद्दा', चीन की मुद्दे को व्यापक संबंधों से नहीं जोड़ने की वकालत

वू ने बीजिंग के इस दावे को दोहराया कि गलवन घाटी एलएसी के साथ पश्चिमी क्षेत्र के चीनी हिस्से में स्थित है और संबंधित घटना तब हुई जब भारतीय पक्ष ने आम सहमति का उल्लंघन किया और एकतरफा उकसावे की कार्रवाई की। उन्होंने कहा इसलिए जिम्मेदारी पूरी तरह से भारतीय पक्ष की है। भारत चीन पर देपसांग और डेमचक इलाकों से सेना हटाने का दबाव डालता रहा है।

By Agency Edited By: Amit Singh Updated: Fri, 26 Jan 2024 06:15 AM (IST)
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गलवन में चीनी और भारतीय सेनाओं के बीच घातक झड़प हुई थी।
पीटीआई, बीजिंग। चीन ने गुरुवार को कहा कि भारत के साथ सीमा विवाद एक ''विरासत का मुद्दा'' है। सीमा मुद्दे को व्यापक संबंधों से जोड़ना सही नहीं है, क्योंकि यह द्विपक्षीय संबंधों की पूरी तस्वीर का प्रतिनिधित्व नहीं करता है।चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वरिष्ठ कर्नल वू कियान ने पत्रकारों से बात करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर के कथित बयान पर एक सवाल के जवाब में यह टिप्पणी की।

जयशंकर ने कहा था कि चीन ने 2020 में द्विपक्षीय सहमति का उल्लंघन किया और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बड़ी संख्या में सैन्य बल इकट्ठा किए। इसके परिणामस्वरूप गलवन घाटी में संघर्ष हुआ। मई 2020 से भारत-चीन संबंधों में गतिरोध बना हुआ है, जब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को इकट्ठा किया। इसके कारण जून 2020 में गलवन घाटी में दोनों सेनाओं के बीच घातक झड़प हुई।

वू ने बीजिंग के इस दावे को दोहराया कि गलवन घाटी एलएसी के साथ पश्चिमी क्षेत्र के चीनी हिस्से में स्थित है और संबंधित घटना तब हुई जब भारतीय पक्ष ने आम सहमति का उल्लंघन किया और एकतरफा उकसावे की कार्रवाई की। उन्होंने कहा, इसलिए जिम्मेदारी पूरी तरह से भारतीय पक्ष की है। भारत चीन पर देपसांग और डेमचक इलाकों से सेना हटाने का दबाव डालता रहा है।

भारत का कहना है कि जब तक सीमाओं की स्थिति असामान्य रहेगी, तब तक चीन के साथ उसके संबंधों में सामान्य स्थिति की बहाली नहीं हो सकती है। दूसरी तरफ चीन भारत पर सीमा मुद्दे और द्विपक्षीय संबंधों को अलग-अलग देखने और सामान्य स्थिति की खातिर काम करने के लिए दबाव डालता रहता है।