शारदीय नवरात्र : जानिए तप का आचरण करने वाली देवी 'ब्रह्मचारिणी' के बारे में
मां दुर्गा की द्वितीय शक्ति का नाम ब्रह्मचारिणी है। उन्होंने ब्रह्म में लीन होकर तप किया था। मां का स्वरूप ज्योतिर्मयी व भव्य है।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Thu, 11 Oct 2018 09:24 AM (IST)
[पं अजय कुमार द्विवेदी]। मां दुर्गा की द्वितीय शक्ति का नाम ब्रह्मचारिणी है। उन्होंने ब्रह्म में लीन होकर तप किया था। मां का स्वरूप ज्योतिर्मयी व भव्य है। इनके दायें हाथ में जप की माला तथा बायें हाथ में कमंडल सुशोभित है। उनका आनंदमय स्वरूप है। कथा के अनुसार, पूर्वजन्म में मां हिमालय की पुत्री शैलपुत्री थीं। शिव जी को पति-रूप में प्राप्त करने के लिए उन्होंने घोर तप किया, फलत: तपश्चारिणी कहलाईं।
स्वरूप का ध्यान मां का तपश्चारिणी स्वरूप हमारे जीवन में तप अर्थात कठिन परिश्रम की महत्ता को प्रतिपादित करता है। उनके दिव्य स्वरूप का ध्यान हमारे जीवन को नैतिक व चारित्रिक बल से संपुष्ट करता है। हमें जीवन के झंझावात में भी धैर्य, आशा व विश्वास के साथ सत्कर्म करते रहने की प्रेरणा प्रदान करता है। मां ब्रह्मचारिणी का तेजोमय स्वरूप हमारे सकारात्मक दृष्टिकोण को बनाए रखता है और हमारे भीतर विवेक, ज्ञानशीलता व प्रज्ञा का जागरण कर हमें अलौकिक शांति की अनुभूति कराता है।
आज का विचार
तपस्या का अर्थ है तपना अर्थात अभ्यास से अपने कार्य में निष्णात होना। दत्तचित्त होकर शुभ कर्म करने वाला ही तपस्वी कहलाता है। तप कर ही हम सुयोग्य बनते हैं। शुभ कर्मों का सुफल अवश्य प्राप्त होता है।
ध्यान मंत्रदधानां कर पद्माभ्यामक्षमाला
कमंडलु।देवी प्रसीदतुमयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।