दुनियाभर में सिर चढ़कर बोलता है F1 Racing का क्रेज, विश्व के सबसे महंगे खेलों में बनाया एक नया मुकाम
Brazilian Grand Prix Formula 1 का क्रेज पूरी दुनिया में सिर चढ़कर बोल रहा है। आज ये दुनिया के सबसे महंगे खेलों में से एक है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद से इसमें लगातार विस्तार होता गया है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Sun, 13 Nov 2022 10:02 AM (IST)
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। फार्मूला वन (Formula One) या F1 का क्रेज पूरी दुनिया में देखा जा सकता है। हर उम्र के लोग इसके दिवाने हैं। फार्मूला वन वर्ल्ड चैम्पियनशिप की दीवानगी का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि आज ये एक बड़े बिजनेस के रूप में जाना जाता है। फेडरेशन इंटरनेशनल डी ल ऑटोमोबाइल (FIA) द्वारा स्वीकृत ये आटो रेसिंग का टाप ग्रुप है। इसमें F1 दरअसल, उन नियमों को बताता है जिसे इस रेस में शामिल सभी प्रतिभागियों को मानना होता है। इस ग्रुप में होने वाली दौड़ की पूरी एक श्रृंखला को हम ग्रैंड्स प्रिक्स के रूप में जानते हैं। इस कार रेस में हर कोई शामिल हो जाए, ऐसा नहीं होता है। इसके लिए वैध सुपर लाइसेंस होना जरूरी है जो FIA जारी करती है।
फर्राटा भरती कारें
F1 रेसिंग में प्रतियोगिता में शामिल कार 360 किमी प्रति घंटा की स्पीड से भी अधिक पर फर्राटा भरती हुई दिखाई देती हैं। इसलिए इन कार के ड्राइवर्स को कई बार 5 जी फोर्स का अनुभव भी हो जाता है। इस रेस की शुरुआत से अब तक कई अमूलचूक बदलाव होते हुए देखे गए हैं। हाल के वर्षों में इस खेल के क्षेत्र में काफी विस्तार हुआ है और ग्रैंड्स प्रिक्स का आयोजन दुनिया भर में हो रहाहै। दुनिया के इसके क्रेज का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वर्ष 2009 में 17 रेसों में से 8 रेस का आयोजन यूरोप के बाहर हुआ था। इसे अब दुनिया के सबसे अधिक महंगे खेलों में शुमार किया जाता है। शुरआत से अब तक इसमें इंवेस्टमेंट कई गुना बढ़ चुका है। इस खेल को एक बड़ा व्यवसाय बनाने में सबसे अहम योगदान बर्नी इक्लेस्टोन का है।
यूरोपियन ग्रैंड प्रिक्स मोटर रेसिंग
इसकी शुरुआत की बात करें तो ये 1920 और 1930 के दशक के यूरोपियन ग्रैंड प्रिक्स मोटर रेसिंग से हुई थी। दूसरे विश्व युद्ध के बाद इसको एक बड़े पैमाने पर स्वीकृति मिली। इसके बाद पहली बार इसकी वर्ल्ड चैम्पियनशिप का आयोजन किया गया जिसके लिए नियम बनाए गए। 1950 में पहली बार एफ1 रेस की वर्ल्ड चैम्पियनशिप रेस का आयोजन 1950 में ब्रिटेन के सिल्वरस्टोन में किया गया। इसको इटालियन गियूसेप फरिना ने जीता था। इसके बाद 1951, 1954, 1955, 1956 और 1957 में इस पर अर्जेंटीना के फैंगियो का कब्जा रहा। उनके इस रिकार्ड को जर्मनी के माइकल शूमाकर ने वर्ष 2003 में तोड़ा उस वक्त तोड़ा जब उन्होंने अपना उनका छठवां खिताब हासिल किया था। हालांकि, इस रिकार्ड को तोड़ने के बाद भी फार्मूला वन का ग्रैंड मास्टर फैंगियों को ही माना जाता है।
रेस जीतने वाली पहली कार थी अल्फा रोमियो
शुरुआती फार्मूला वन रेस में अल्फा रोमियो (Alfa Romeo), फेरारी (Ferrari), मर्सिडीज बेंज (Mercedes Benz) और माजेराटी (Maserati) टीमों का जल्वा था। इनकी खासियत इनके बेहतरीन डिजाइन, टायर, इंजन होते थे जो कार को कम समय में अधिक ताकत देते थे। बाद में इसमें दूसरी टीमों ने भी हिस्सा लिया और परिणामस्वरूप कारों का डिजाइन और तकनीक दोनों ही बदलती चली गई। 1958 में माइक हाथोर्न पहले ब्रिटिश थे जिन्होंने ये वर्ल्ड चैम्पियनशिप जीती थी। उन्होंने इसके लिए फरारी का इस्तेमाल किया था।
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