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ब्रेस्ट मिल्क के बिजनेस से जुड़े सभी लाइसेंस होंगे रद, केंद्र का कर्नाटक सरकार को सख्त निर्देश

Breast milk Business केंद्र ने कर्नाटक सरकार को निजी कंपनियों को दिए गए लाइसेंस रद्द करने का निर्देश दिया है जिससे उन्हें मानव ब्रेस्ट मिल्क एकत्र करने संसाधित करने और व्यावसायीकरण करने की अनुमति मिलती है। हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए ब्रेस्ट मिल्क के संग्रह और बिक्री से मुनाफा कमाने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बारे में चिंता जताई थी जिसपर केंद्र ने जवाब दिया है।

By Agency Edited By: Mahen Khanna Updated: Thu, 14 Nov 2024 09:19 AM (IST)
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Breast milk Business केंद्र ने हाईकोर्ट को दिया जवाब।
एजेंसी, बेंगलुरु। Breast milk Business केंद्र सरकार ने कर्नाटक हाईकोर्ट को सूचित किया कि उसने राज्य सरकार को निजी कंपनियों को दिए गए लाइसेंस रद्द करने का निर्देश दिया है, जिससे उन्हें मानव ब्रेस्ट मिल्क एकत्र करने, संसाधित करने और व्यावसायीकरण करने की अनुमति मिलती है।

हाईकोर्ट में केंद्र का जवाब

हाई कोर्ट मुनेगौड़ा नामक व्यक्ति द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रहा था, जिसने ब्रेस्ट मिल्क के संग्रह और बिक्री से मुनाफा कमाने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बारे में चिंता जताई थी। सुनवाई के दौरान, कर्नाटक उच्च न्यायालय के लिए भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अरविंद कामथ ने मुख्य न्यायाधीश एन वी अंजारिया और न्यायमूर्ति के वी अरविंद की पीठ को बताया कि केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने हाल ही में कर्नाटक सरकार को ऐसे लाइसेंसों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। 

इन निर्देशों का पालन करते हुए, राज्य सरकार द्वारा निजी फर्मों को जारी किए गए कई लाइसेंस रद्द कर दिए गए।

ब्रेस्ट मिल्क बिजनेस के सभी लाइसेंस होंगे रद

कामथ ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य को ऐसे सभी लाइसेंस रद्द करने का आदेश दिया है। कुछ कंपनियों को शुरू में आयुर्वेदिक मानदंडों के तहत ये लाइसेंस मिले थे, जो मानव स्तन के दूध के व्यावसायिक उपयोग की अनुमति देते थे। हालांकि, अब केंद्र ने हस्तक्षेप किया है और राज्य ने इनमें से कुछ लाइसेंस रद्द करके अनुपालन किया है। 

कम से कम एक कंपनी का लाइसेंस पहले ही रद्द किया जा चुका है और उसने तब से इस रद्दीकरण को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। 

कोर्ट में पेश किए गए ब्रेस्ट मिल्क सैंपल

याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता बी विश्वेश्वरैया ने पैकेज्ड ब्रेस्ट मिल्क की 50 एमएल की बोतल और पाउडर ब्रेस्ट मिल्क का 10 ग्राम का पैकेट कोर्ट में दिखाया जिसमें 1,239 रुपये और 313 रुपये की बिक्री कीमत बताई गई थी।

कामथ ने कहा कि ये लाइसेंस पहले आयुर्वेदिक और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों से संबंधित प्रावधानों के तहत जारी किए गए थे, लेकिन उन्होंने दोहराया कि केंद्र सरकार के हालिया निर्देश के अनुसार उन्हें रद्द करना आवश्यक है। 

उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि अदालत चल रही जनहित याचिका में प्रतिवादी के रूप में केंद्रीय आयुष मंत्रालय को शामिल करे। उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को मामले में केंद्रीय मंत्रालय को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया और एक नोटिस जारी किया। मामले की अगली सुनवाई 4 दिसंबर को निर्धारित की गई है।