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ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में PM Modi और राष्ट्रपति चिनफिंग की हुई मुलाकात, LAC विवाद जल्द सुलझाने पर बनी रजामंदी

मई 2020 में भारत के पूर्वी लद्दाख सीमा क्षेत्र में चीन के सैनिकों की घुसपैठ से उपजे विवाद का अब जल्द समाधान होने की संभावना बन गई है।जोहानिसबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच गुरुवार को मुलाकात हुई।दोनों के बीच यह सहमति बनी कि सीमा विवाद से जुड़े जो भी लंबित मुद्दे हैं उनका जल्द समाधान निकाला जाएगा।

By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaUpdated: Fri, 25 Aug 2023 05:03 AM (IST)
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच हुई मुलाकात। फोटोः एएफपी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मई, 2020 में भारत के पूर्वी लद्दाख सीमा क्षेत्र में चीन के सैनिकों की घुसपैठ से उपजे विवाद का अब जल्द समाधान होने की संभावना बन गई है। जोहानिसबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच गुरुवार को मुलाकात हुई। दोनों के बीच यह सहमति बनी कि सीमा विवाद से जुड़े जो भी लंबित मुद्दे हैं उनका जल्द समाधान निकाला जाएगा।

सीमा पर अमन-शांति स्थापित करना बहुत जरूरीः पीएम मोदी

मुलाकात में प्रधानमंत्री मोदी ने साफ तौर पर चीन के राष्ट्रपति को बताया कि दोनों देशों के रिश्तों को सामान्य करने के लिए सीमा पर अमन-शांति स्थापित करना बहुत जरूरी है। यह जानकारी विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने दी। वैसे तीन दिन तक चले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान कई बार मोदी और चिनफिंग के बीच अनौपचारिक तौर पर बातचीत होने की सूचना है। दोनों नेताओं को एक दूसरे से गर्मजोशी से हाथ मिलाते हुई भी देखा गया।

अगले माह भारत आएंगे चीनी राष्ट्रपति

चीन के राष्ट्रपति जब अगले महीने 09-10 सितंबर को जी-20 बैठक में हिस्सा लेने के लिए नई दिल्ली आएंगे तब भी उनकी प्रधानमंत्री मोदी से अलग से मुलाकात की संभावना है। चीन के सैनिकों के घुसपैठ के बाद मोदी और चिनफिंग की यह पहली आधिकारिक मुलाकात है। इनके बीच बाली में जी-20 सम्मेलन के दौरान दिसंबर, 2022 में भी मुलाकात हुई थी, लेकिन इसकी जानकारी छह महीने बाद दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों ने दी थी।

सैन्य विवाद को सुलझाने को लेकर हुई थी सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता

अभी हाल ही में दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के स्तर पर भी सैन्य विवाद को सुलझाने को लेकर बातचीत हुई थी। यह वार्ता पूर्व की इस तरह की वार्ताओं की तुलना में ज्यादा सकारात्मक रही थी। दोनों पक्षों ने इस पर संयुक्त बयान जारी किया था, जिसमें बातचीत को सकारात्मक और रचनात्मक बताया गया था। यह भी बताया गया है कि पिछले हफ्ते भी दोनों देशों के सैन्य प्रतिनिधियों के बीच डेमचोक व देसपांग से जुड़े मुद्दे पर आम सहमति पर पहुंचने को लेकर बातचीत हुई है।

भारी पैमाने पर किया गया था सैनिकों को तैनात

मई, 2020 में चीनी सैनिकों की घुसपैठ के बाद भारत की तरफ से भी भारी पैमाने पर सीमा पर सैनिकों को तैनात कर दिया गया था। जून, 2020 में दोनों देशों के सैनिकों के बीच खूनी भिड़ंत भी हो गई थी। कई जगहों से अब सैनिकों की वापस बुलाया लिया गया है, लेकिन कुछ जगह हैं, जिनको लेकर चीन का रुख अड़ियल बना हुआ था।

अपने-अपने अधिकारियों को देंगे निर्देश

क्वात्रा ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की चीन के राष्ट्रपति से शिखर सम्मेलन के दौरान अलग से मुलाकात हुई है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति चिनफिंग के सामने अपनी चिंता रखी कि दोनों देशों की सीमा विवाद से जुड़े कई मुद्दे अभी भी लंबित है।

सीमावर्ती इलाकों में अमन व शांति को बनाकर रखना और वास्तविक नियंत्रण रेखा का आदर करना दोनों देशों के रिश्तों को सामान्य बनाए रखने के लिए जरूरी है। इस बारे में दोनों नेताओं के बीच यह सहमति बनी कि वह अपने-अपने अधिकारियों को निर्देश देंगे कि जो भी विवाद लंबित हैं, उनका तेजी से समाधान निकाला जाए।

डोकलाम विवाद सुलझाने में भी थी अहम भूमिका

वर्ष 2017 में डोकलाम विवाद को समाप्त करने में भी इसी तरह से मोदी और चिनफिंग के बीच मुलाकात ने अहम भूमिका निभाई थी। उसके बाद दोनों नेताओं ने अनौपचारिक वार्ताओं का दौर शुरू किया था। इसके तहत दो दौर की बातचीत भी हुई। लेकिन मई, 2020 की घटना के बाद रिश्तों पर काफी बुरा असर पड़ा है।

भारत ने चीन के विरुद्ध कई तरह के आर्थिक कदम भी उठाए हैं। हाल के महीनों में दोनों देशों के बीच विदेश मंत्रियों, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों और वित्त मंत्रियों के बीच बातचीत हुई है। यह रिश्तों में नरमी आने के संकेत हैं।