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BRO: तवांग झड़प के बाद चीन सीमा पर ढांचागत विकास में तेजी ला रहा बीआरओ, सेना की बढ़ेगी ताकत

सड़कों के जाल से दुर्गम से दुर्गम स्थानों पर आसानी से पहुंच सकेगी आर्मी। अरुणाचल के तवांग और पश्चिम कमेंग जिले में चल रहा सुरंगों का निर्माण। बीआरओ ये सभी कार्य प्रोजेक्ट वर्तक के तहत कर रहा है।

By AgencyEdited By: Mahen KhannaUpdated: Tue, 20 Dec 2022 05:52 AM (IST)
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बीआरओ के 'प्रोजेक्ट वर्तक' के मुख्य अभियंता ब्रिगेडियर रमन कुमार।

तेजपुर (असम), एएनआइ। चीन से जारी सीमा विवाद के बीच सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) सीमावर्ती क्षेत्रों में ढांचागत विकास कार्यों में तेजी से जुटा है। इन निर्माणों से भारतीय सैन्य बल को और ताकत मिलेगी। किसी भी हालात से निपटने के लिए दुर्गम से दुर्गम स्थानों पर आसानी से पहुंचकर दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकेगा। सरकार ने अरुणाचल प्रदेश के सभी सीमावर्ती गांवों को अच्छी संपर्क सड़कों से जोड़ने की योजना बनाई है। इसके अलावा बीआरओ अरुणाचल प्रदेश के तवांग और पश्चिम कमेंग जिलों में दो महत्वपूर्ण सुरंगों का निर्माण कार्य कर रहा है जो अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा के मद्देनजर भारतीय सुरक्षा बलों के लिए गेम चेंजर बन जाएगा।

5,700 फीट की ऊंचाई पर सड़क का निर्माण

'प्रोजेक्ट वर्तक' के मुख्य अभियंता ब्रिगेडियर रमन कुमार ने बताया कि बीआरओ ये सभी कार्य प्रोजेक्ट वर्तक के तहत कर रहा है। अधिकारी के अनुसार 5,700 फीट की ऊंचाई पर नेचिपु सुरंग का निर्माण बालीपारा-चारदुआर-तवांग (बीसीटी) सड़क मार्ग पर किया जा रहा है। यह 500 मीटर लंबी डी-आकार, सिंगल ट्यूब डबल लेन सुरंग है। पश्चिम कामेंग जिले में सेला दर्रा सुरंग का निर्माण कार्य पूरा होने के करीब है और अगले पांच-छह महीनों में निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा।

हल्के टैंक 'जोरावर' की खरीद के प्रस्ताव पर चर्चा करेगा रक्षा मंत्रालय

रक्षा मंत्रालय इस सप्ताह के अंत में होने वाली बैठक में चीन सीमा पर हल्के टैंकों की तैनाती से संबधित एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव लाएगा। सरकारी सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्रालय की उच्च स्तरीय बैठक में मेक इन इंडिया के तहत 354 टैंक खरीदने के प्रस्ताव पर चर्चा होगी। भारतीय सेना ने अपने फ्यूचर लाइट वेट टैंक के लिए स्पेसिफिकेशंस जारी किए हैं जिसे 'जोरावर' नाम दिया गया है।

जनरल जोरावर के सम्मान में रखा गया टैंक का नाम

टैंक का नाम दिग्गज जनरल जोरावर के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने तिब्बत में कई सफल जीत का नेतृत्व किया। ये बात अलग है कि अब वहां चीनी सेना का नियंत्रण है। सेना के अधिकारियों ने कहा कि मध्यम युद्धक टैंकों की अपनी सीमाएं हैं। मैदानी, अर्ध-रेगिस्तान और रेगिस्तान में यह खूब कामयाब हैं कि लेकिन अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र (एचएए), सीमांत इलाकों और द्वीप क्षेत्रों के लिए हल्के टैंक चाहिए। इसके चलते ये महत्वपूर्ण प्रस्ताव लाया गया है। उन्होंने बताया कि हल्के टैंक से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र, सीमांत इलाके और द्वीप क्षेत्रों के साथ सभी इमरजेंसी में भी मदद मिलेगी। इन्हें दस हजार फीट की ऊंचाई तक भी आसानी से ले जाया जा सकता है।