कर्नाटक के भाइयों ने 'ब्लड स्टेम सेल्स' दान कर बचाई दो कैंसर रोगियों की जान, जानें क्या है ये पद्धति
ब्लड कैंसर के खिलाफ एक गैर-लाभकारी संगठन डीकेएमएस बीएमएसटी फाउंडेशन इंडिया जंग लड़ रहा है। ये संस्था ब्लड स्टेम सेल्स दान करने के लिए लोगों को प्रेरित करती है। दुनियाभर में 40 मिलियन से अधिक डोनर पंजीकृत हैं और इनमें से केवल 0.5 मिलियन भारत से हैं।
बेंगलुरु, एएनआइ। अगर आपके जरिए किसी मरते हुए शख्स की जान बच सकती है, तो यकीन मानिए आप बेहद खास हैं। बेंगलुरु के दो भाइयों प्रपुल (21) और प्रज्ज्वल (24) ऐसे ही खास लोग हैं, जिन्होंने ब्लड कैंसर के दो मरीजों की जान बचाने में मदद की। ब्लड कैंसर के खिलाफ जंग लड़ रहे एक गैर-लाभकारी संगठन डीकेएमएस बीएमएसटी फाउंडेशन इंडिया के साथ संभावित ब्लड स्टेम सेल दाताओं के रूप में दोनों भाइयों ने रजिस्ट्रेशन कराया था। इसके कुछ ही समय के भीतर भाइयों को दो आनुवंशिक जुड़वाओं की जान बचाने का मौका मिला।
ब्लड कैंसर और अन्य रक्त विकार रोगियों की चुनौतियां
डीकेएमएस-बीएमएसटी के लिए यह पहली बार है कि दो भाइयों का स्वतंत्र रूप से भारत के दो अलग-अलग रोगियों के साथ मिलान किया गया और उनके दान किए गए स्टेम सेल ने दो अनमोल जीवन को बचाने में मदद की। प्रपुल कहते हैं, 'मेडिकल के छात्र (डेंटिस्ट) होने की वजह से मैं उन चुनौतियों से अनजान नहीं हूं, जिनका ब्लड कैंसर और अन्य रक्त विकार रोगियों को सामना करना पड़ता है। इन रोगियों में से अधिकांश के लिए स्टेम सेल प्रत्यारोपण जीवित रहने का एकमात्र विकल्प होता है।
'अच्छा लगा मैंने किसी को जीवन में दूसरा मौका दिलाने में मदद की'
प्रपुल ने बताया कि संस्था में पंजीकरण के एक साल के भीतर ही उन्हें अपना स्टेम सेल दान करने का अवसर मिला। उन्होंने कहा, 'यह जानकर बहुत अच्छा लगा कि मैंने किसी को जीवन में दूसरा मौका दिलाने में मदद की!' बता दें कि प्रपुल एक बीडीएस छात्र है, जो इस संस्था के साथ साल 2019 से पंजीकृत हैं और उन्हें 2021 में ब्लड स्टेम सेल्स दान करने का अवसर मिला। बड़े भाई प्रज्ज्वल ने अपने छोटे भाई से प्रेरित होकर 2021 में पंजीकरण करने का फैसला किया और 2022 में ब्लड स्टेम सेल्स दान किए।
ऐसे काम से मिलने वाली संतुष्टि को शब्दों में बयां करना मुश्किल
प्रपुल और प्रज्ज्वल के माता-पिता और परिवार भी इस नेक काम में उनका पूरा साथ देते हैं। इस बीच प्रपुल और प्रज्ज्वल अपने परिवार और स्थानीय समुदाय में एक आदर्श बन गए हैं। ये दोनों अब अन्य लोगों को संभावित दाताओं के रूप में पंजीकरण करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। प्रज्ज्वल कहते हैं, 'प्रपुल ने जब अपने स्टेम सेल दान किए, तो मैंने उनमें गर्व और तृप्ति की गहरी भावना देखी। इसने मुझे एक दाता के रूप में पंजीकरण करने के लिए आत्मविश्वास और प्रेरणा दी। दान करने का मौका मिलने के बाद, मैं भी ऐसा ही महसूस कर सकता था। यह एक महान अनुभूति है, मैं इसे शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता। हम दोनों अब सक्रिय रूप से अपने दोस्तों और परिवार को संभावित रक्त स्टेम सेल दाताओं के रूप में पंजीकरण करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।'
जानिए क्या होती है रक्त स्टेम सेल्स पद्धति?
बता दें कि भारत में जीवन रक्षक उपचार पद्धति के रूप में रक्त स्टेम सेल प्रत्यारोपण के बारे में जानने वाले लोगों का प्रतिशत बहुत ही कम है। जब किसी रोगी को स्टेम सेल प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है, तो उनका अन्य लोगों के बीच एक मैच खोजा जाता है। वर्ल्ड मैरो डोनर एसोसिएशन के अनुसार, दुनिया भर में 40 मिलियन से अधिक डोनर पंजीकृत हैं और इनमें से केवल 0.5 मिलियन भारत से हैं। भारत एक विविध जातीयता के साथ एक प्राचीन देश है, इसलिए, यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है कि विभिन्न पृष्ठभूमि के अधिक से अधिक लोग स्टेम सेल डोनर के रूप में पंजीकरण करने के लिए आगे आएं।