महिला आरक्षण मेरी घरेलू समस्या नहीं, देश की 70 करोड़ महिलाओं का मुद्दा है: BRS एमएलसी के कविता
सत्तारूढ़ बीआरएस द्वारा आगामी विधानसभा चुनावों में महिलाओं को टिकट आवंटित करने पर विपक्ष की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए एमएलसी के कविता ने बुधवार को कहा कि महिला आरक्षण का मुद्दा उनकी घरेलू समस्या नहीं है बल्कि देश की 70 करोड़ महिलाओं से संबंधित है। बीआरएस एमएलसी ने कहा कि वह और अन्य नेता संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान दिल्ली में एक विशाल धरना देंगे।
By AgencyEdited By: Shalini KumariUpdated: Wed, 23 Aug 2023 01:48 PM (IST)
हैदराबाद, पीटीआई। सत्तारूढ़ बीआरएस द्वारा आगामी विधानसभा चुनावों में महिलाओं को टिकट आवंटित करने पर विपक्ष की टिप्पणियों को एमएलसी के कविता ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने निशाना साधते हुए कहा कि बुधवार को कहा कि महिला आरक्षण का मुद्दा उनकी घरेलू समस्या नहीं है, बल्कि देश की 70 करोड़ महिलाओं से संबंधित है।
महिला आरक्षण विधेयक को किया नजरअंदाज
मीडिया को संबोधित करते हुए, कविता ने कांग्रेस और भाजपा दोनों की आलोचना करते हुए कहा कि दोनों दलों ने महिला आरक्षण विधेयक को नजरअंदाज कर दिया है। भाजपा के चुनाव घोषणापत्र में शामिल होने के बावजूद इसे अभी तक लोकसभा द्वारा मंजूरी नहीं दी गई है।
महिला आरक्षण के लिए किया भूख हड़ताल
केंद्रीय मंत्री और राज्य भाजपा अध्यक्ष जी किशन रेड्डी ने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए टिकटों के वितरण में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण नहीं देने के लिए मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाले बीआरएस पर हमला किया था। इस साल मार्च में कविता ने महिला आरक्षण के मुद्दे पर राष्ट्रीय राजधानी में भूख हड़ताल किया था।संसद में केनव 12.5 प्रतिशत महिलाएं
कविता ने कहा, "मैं हर राजनीतिक दल से यही अनुरोध करता हूं कि यह मेरी घरेलू समस्या नहीं है। यह महिलाओं की समस्या है। यह देश की 70 करोड़ महिलाओं की समस्या है। हम गर्व से कहते हैं कि महिलाएं अंतरिक्ष में भी जा रही हैं, लेकिन अगर आप देखें हमारी संसद में, केवल 4.5 प्रतिशत महिला प्रतिनिधि थीं और अब 12.5 प्रतिशत हैं। हमने 75 वर्षों में जो उपलब्धि हासिल की है, वह सिर्फ 8 प्रतिशत का सुधार है।"
मोदी कैबिनेट में केवल दो महिलाएं
केंद्र में अतीत और वर्तमान कांग्रेस और भाजपा शासन पर हमला करते हुए, उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में केवल एक महिला कैबिनेट मंत्री थी और वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में केवल दो सदस्य हैं।उन्होंने जानना चाहा कि क्या देश को इस बात से खुश होना चाहिए कि कैबिनेट में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है या इससे नाखुश होना चाहिए क्योंकि यह सिर्फ दो है। एनडीए सरकार की ईमानदारी की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण पर केंद्र द्वारा कोई मसौदा विधेयक तैयार नहीं किया गया है और अन्य दलों के साथ कोई चर्चा नहीं की गई है।