रेगिस्तान के 55 डिग्री से माइनस तापमान और रेतीले तूफान में भी गश्त, कड़ी चुनौतियों के बीच होती है पाक सीमा की निगरानी
गर्मियों में रेतीले तूफान भी एक बड़ी चुनौती हैं क्योंकि उस दौरान गश्त करने वाली एसयूवी चलना संभव नहीं होता है। बीएसएफ की 154 बटालियन के कमांडेंट मंजीत सिंह ने कहा कि ऐसी स्थिति में सैनिकों द्वारा गश्त ऊंट की पीठ पर की जाती है और इस सेक्टर में 44 ऊंटों को तैनात किया जाता है। धीरे-धीरे कर्मियों को इन ऊंटों की सवारी की आदत हो जाती है।
पीटीआई, सैम (राजस्थान)। देश की रक्षा करने के लिए बीएसएफ जवान कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। गर्मियों में 55 डिग्री सेल्सियस से लेकर सर्दियों में शून्य डिग्री सेल्सियस तक - बीएसएफ कर्मियों राजस्थान के जैसलमेर जिले में विशाल रेगिस्तानी इलाके में भारत-पाकिस्तान सीमा पर नजर रखते हैं।
प्रकृति की अनियमितताओं में अंधाधुंध रेतीले तूफान भी शामिल है, उस दौरान जवानों को सोचना पड़ जाता है कि आखिर अंतरराष्ट्रीय सीमा की रक्षा किस तरह से की जाए।
घुसपैठ और मादक पदार्थों के तस्करी का डर
बीएसएफ की 154 बटालियन के कमांडेंट मंजीत सिंह ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि दूसरी ओर से घुसपैठ या मादक पदार्थों की तस्करी की कोई घटना न हो, 464 किमी लंबी सीमा पर कड़ी निगरानी और गश्त रखी जाती है।सिंह ने कहा, "गर्मियों में बहुत अधिक तापमान, रेतीले तूफान और जमा देने वाली सर्दियों की चरम मौसम की स्थिति सीमा पर गश्त करने वाले सैनिकों के लिए एक बड़ी चुनौती है।" उन्होंने बताया कि गर्मियों में तापमान 55 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है और सर्दियों में यह शून्य डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है।
कूल जैकेट की होगी टेस्टिंग
कमांडेंट मंजीत सिंह ने कहा, "इन क्षेत्रों में तैनात होने के बाद वे कई प्रक्रिया से गुजरते हैं और आसानी से परिस्थितियों के अनुकूल ढल जाते हैं। अंतर्राष्ट्रीय सीमा के इस हिस्से पर गश्त करने वाले सैनिकों के लिए कूल जैकेट पेश करने का प्रस्ताव है, जो शरीर के तापमान को छह से सात डिग्री सेल्सियस तक कम करने में मदद करेगा। अधिकारी ने कहा, "कूल जैकेट का एक पायलट परीक्षण जल्द ही आयोजित किया जाएगा और यदि यह सफल साबित होता है, इसे क्षेत्र की बीएसएफ सूची में शामिल किया जाएगा।"ऊंटों की मदद से होता है गश्त
गर्मियों में रेतीले तूफान भी एक बड़ी चुनौती हैं, क्योंकि उस दौरान गश्त करने वाली एसयूवी चलना संभव नहीं होता है। सिंह ने कहा, "ऐसी स्थिति में, सैनिकों द्वारा गश्त ऊंट की पीठ पर की जाती है और इस सेक्टर में 44 ऊंटों को तैनात किया जाता है। ऊंट रेगिस्तान में सीमा गश्त का एक अभिन्न अंग हैं और हमारे जवान जल्द ही ऊंटों की सवारी करने में माहिर हो जाते हैं।"