UN Peacekeeping Force में दुनिया की महाशक्ति बने अमेरिका के जवानों की संख्या न के बराबर, जानें- कहां आता है भारत
यूएन की जो शांति सेना बेहद खतरनाक और चुनौतीपूर्ण वातावरण में शांति बनाए रखने का फर्ज निभाती है उसमें अमेरिका के जवानों की संख्या केवल दो अंकों में सिमटी है। इसके अलावा दूसरे शक्तिशाली देश भी इसी के आसपास आते हैं।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 28 Jul 2022 09:51 AM (IST)
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। कांगो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन के दौरान शहीद हुए दो भारतीय वीरों पर पूरी दुनिया को गर्व होना चाहिए। इन जवानों ने न सिर्फ देश की सीमाओं की हिफाजत में अपना जीवन लगाया बल्कि दुनिया में शांति व्याप्त हो इसके लिए भी योगदान दिया। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन में भारत के अलावा कई देशों की सेना के जवान होते हैं।
प्रदर्शन के दौरान गई जान
कांगो में मिशन के दौरान शहीद हुए भारतीय जवानों की ही बात करें तो ये दोनों जवान उस वक्त शहीद हो गए थे जब कांगो में संयुक्त राष्ट्र मिशन के खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन चल रहा था। इसी दौरान इन प्रदर्शनकारियों ने शांति मिशन के जवानों से हथियार छीन लिए और उन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दी थीं। इस दौरान दर्जनों अन्य लोग भी घायल हुए। भारत ने मां गकी है कि संयुक्त राष्ट्र उन लोगों को कानून के दायरे में लाकर कार्रवाई करे जिन्होंने भारत के दो जवानों की जान ले ली। इस बीच संयुक्त राष्ट्र के उप प्रवक्ता फरहान ने कहा है कि इस प्रदर्शन के दौरान शहीद हुए सभी जवानों की खबरों की जांच की जाएगी। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने भी इस घटना की निंदा करते हुए दोनों भारतीय जवानों के परिजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है।
शांति सेना की यूनिट में यूरोप भी पीछे संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना का संचालन यूएन का Department of Peace Operations के तहत किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2019 में इस शांति सेना के तहत 100411 कर्मी थे। इसमें 86145 वर्दीधारी जवान, 12932 सिविलियन और 1334 वोलेंटियर्स शामिल थे। इस शांति सेना में यूरोपीय देशों की करीब 6 हजार यूनिट हैं, जबकि भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश की करीब 8-8 हजार यूनिट शामिल हैं। इसके अलावा अफ्रीकी देशों की इसमें करीब 44 हजार यूनिट हैं।
शांति सैनिकों में सबसे आगे बांग्लादेश हर वर्ष इसमें विभिन्न देशों के शांति सैनिकों की गिनती घटती या बढ़ती रहती है। जैसे वर्ष 2020 में यूएन मिशन के तहत सबसे अधिक जवान थे। वहीं 2013 में पाकिस्तान के सबसे अधिक जवान थे। 2015 में भी फिर बांग्लादेश के सबसे अधिक जवान इस शांति मिशन का हिस्सा बने थे। यूएन के 2021 के आंकड़े बताते हैं कि उसकी शांति सेना में सबसे अधिक जवान बांग्लादेश से हैं। इसके बाद नेपाल का नंबर आता है और तीसरे नंबर पर भारत का नाम है।
दुनिया के शक्तिशाली देश शांति सेना में सबसे पीछे यून के इन आंकड़ों की सबसे दिलचस्प बात ये है कि इसमें खुद को दुनिया की महाशक्ति कहने वाले देश अमेरिका के जवानों की संख्या नाममात्र की है। इसी तरह से चीन, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया, फ्रांस भी हैं। 2018 में सबसे अधिक भारतीय जवानों ने गंवाई जान संयुक्त राष्ट्र के आंकड़े बताते हैं कि उनके शांति मिशन के दौरान वर्ष 2018 में 100 देशों के करीब 3767 जवानों ने अलग-अलग मिशन में अपनी जान गंवाई थी। इनमें सबसे अधिक जवान भारत के शहीद हुए थे। यूएन के शांति मिशन के तहत आने वाले जवानों को 1400 डालर के करीब इनकम मिलती है। इसके अलावा स्पेशलिस्ट के तौर पर शामिल हुए जवानों को करीब 70 डालर की राशि अलग से मिलती है। ये राशिन उनके कपड़ों और उनके इक्यूपमेंट्स के लिए मिलती है। इसके अलावा निजी हथियार के लिए इन्हें 5 डालर अलग से दिए जाते हैं।
कांगों में गई सबसे अधिक भारतीय जवानों की जान यूएन के ताजा आंकड़े बताते हैं कि संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में 2021-22 के दौरान 4207 जवानों की मौत हुई हैं। इनमें सबसे अधिक मौत एशियाई और अफ्रीकी देशों के जवानों की हुई हैं। आंकड़ों के तहत इन मिशन में जान गंवाने वालों में भारत के सबसे अधिक 175 जवान, पाकिस्तान के 166 जवान और बांग्लादेश के 160 जवान शामिल हैं। केवल भारतीय जवानों की मौतों की ही यदि बात करें तो शांति मिशन के तहत अलग-अलग देशों में जैसे UNMISS/दक्षिण सूडान में 2,403 सैनिक, MONUSCO/कांगो में 2,041 जवान, UNIFIL/ लेबनान में 895 जवान और UNDOF/अरब-इजरायल युद्ध के बाद - 200 जवान मारे गए हैं। हाल ही में कांगो में शहीद हुए बीएसएफ के दो जवानों शिशुपाल सिंह और सांवाला राम विश्नोई को मोनुस्को मिशन के तहत तैनात किया गया था।
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