गुना घटना: शहर से लगी 50 करोड़ की बेशकीमती जमीन पर 30 साल से है नागकन्या का कब्जा
पिछले साल दिसंबर में भी प्रशासन ने जमीन से कब्जा हटाने की कोशिश की थी लेकिन सफल नहीं हो पाई। तब पुलिस ने खड़ी फसल को कुचल दिया। तब भी राजू के पास ही बटाई पर यह जमीन थी।
By Tilak RajEdited By: Updated: Thu, 16 Jul 2020 10:24 PM (IST)
गुना, आकाश सिंह भदौरिया। मध्य प्रदेश के गुना जिले के कैंट थाना क्षेत्र की जिस जमीन से कब्जा हटाने के दौरान अनुसूचित जाति के राजकुमार अहिरवार (राजू) व उसके परिवार के साथ पुलिस ने ज्यादती की वह सरकारी जमीन है। लगभग 50 करोड़ रुपये कीमत की इस 45 बीघा जमीन पर गत 30 वर्षों से बसपा की पूर्व पार्षद नागकन्या एवं उनके पति गब्बू पारदी ने कब्जा कर रखा है। विवाद के बीच उन्होंने जमीन फसल की बोआई के लिए राजू को दे दी थी। सियासी रसूख के कारण नागकन्या को लंबे समय से प्रशासन बेदखल नहीं कर पा रहा था। यह जमीन शासन ने कॉलेज निर्माण के लिए आरक्षित की है।
मंगलवार को पुलिस एवं प्रशासन की टीम ने मौके पर पहुंचकर कब्जा हटाने की शुरुआत की तो विवाद हो गया। बटाईदार राजू ने पुलिस कार्रवाई का विरोध किया तो उसे लाठियों से पीटा गया। बचाव में उतरी पत्नी पर लाठियां पड़ गई तो राजू ने कीटनाशक पीकर जान देने की कोशिश की, जिससे मामला सुर्खियों में आ गया। दरअसल, राजू को दो साल पहले नागकन्या व गब्बू ने विवादित जमीन बटाई पर दे दी थी। वह उस पर खेती करने लगा।
पिछले साल दिसंबर में भी प्रशासन ने जमीन से कब्जा हटाने की कोशिश की थी, लेकिन सफल नहीं हो पाई। तब पुलिस ने खड़ी फसल को कुचल दिया। तब भी राजू के पास ही बटाई पर यह जमीन थी। फसल नष्ट हो गई, जिससे करीब तीन लाख रुपये का नुकसान हुआ। खेती के लिए रुपये उधार लिए थे, उस पर ब्याज का चक्र बढ़ता जा रहा था। इसलिए उसने दोबारा इस जमीन में सोयाबीन आदि की बुआई कर दी। इस उम्मीद के साथ कि अच्छी पैदावार होने पर कर्जा चुकाकर विवादित जगह को छोड़ दूंगा, लेकिन 14 जुलाई को जब प्रशासनिक टीम कार्रवाई के लिए पहुंची, तो दोबारा नुकसान होता देख राजू व उसके परिवार ने आत्महत्या का रास्ता अपना लिया। खास बात तो यह है कि इस पूरे घटनाक्रम से गब्बू पारदी और नागकन्या दूर ही रहे। इन दोनों ने बटाईदार राजू के परिवार को आगे कर दिया था।
छह भाइयों का परिवार, किसी के पास जमीन नहीं
छह भाइयों में राजू अहिरवार तीसरे नंबर का है। ये सभी गुना शहर के नानाखेड़ी में कच्चे घर में रहते हैं। राजू के भाई शिशुपाल बताते हैं कि उनके पास न तो कोई जमीन है और न ही रोजगार का साधन। इसलिए सभी भाई बटाई पर जमीन लेकर ही परिवार पाल रहे हैं। करीब दो साल पहले उनका गब्बू पारदी से संपर्क हुआ, जिसके बाद यह जमीन बटाई पर मिली।
मां बोलीं-परिवार पर छह लाख का कर्जराजू की मां गीताबाई ने बताया कि उनके परिवार पर करीब छह लाख रुपये का कर्ज है। इसमें ढाई-तीन लाख रुपये अलग- अलग व्यापारियों के हैं, जिस पर दो फीसद के हिसाब से ब्याज भी देना है। हमने तो प्रशासन से सिर्फ दो माह का समय मांगा था, ताकि फसल को काट लें और अपना कर्जा चुका सकें। पिछली फसल पर भी जेसीबी चला दी गई थी।पार्षद पति 80 बीघा जमीन का मालिक, आलीशान मकान
वर्ष 2009-13 के बीच गुना के वार्ड 23 से नागकन्या बहुजन समाज पार्टी की पार्षद रही हैं। इस घटनाक्रम के बाद हटाए गए गुना के कलेक्टर एस. विश्वनाथन बताते हैं कि गब्बू पारदी भू-माफिया की श्रेणी में आता है, वह विवाद के समय मौके से गायब हो गया था। उसके नाम पर सरकारी रिकॉर्ड में 80 बीघा से अधिक जमीन है। दो से तीन बीघा में उसका आलीशान मकान बना है। वह करीब 50 करोड़ रुपये कीमत की उक्त जमीन पर कब्जा करने का प्रयास कर रहा था।
बच्चा फेंकने का प्रयास किया, एसडीएम से की थी अभद्रता दिसंबर 2019 में जब एसडीएम शिवानी गर्ग कब्जा हटाने के लिए गई थीं, तब नागकन्या ने विवाद खड़ा कर दिया था। उसने एसडीएम को न सिर्फ धमकाया, बल्कि गोद में लिए एक बच्चे को भी जमीन पर पटककर मारने का प्रयास किया था। उस समय एसडीएम ने बच्चे को बचा लिया था।