Angel Tax: क्या है एंजल टैक्स, जिसे सीतारमण ने किया खत्म, 2012 में कांग्रेस सरकार ने क्यों लगाया था?
What is Angel Tax केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बजट 2024 में एंजल टैक्स को समाप्त करने का एलान किया है। इस टैक्स को 2012 में केंद्र की मनमोहन सरकार ने लगाया था। जानकारों के मुताबिक एंजल टैक्स खत्म करने के बाद स्टार्टअप आसानी से फंड जुटा सकेंगे। इससे स्टार्टअप में रोजगार के नए अवसरों का भी सृजन होगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार ने बजट में एंजल टैक्स को समाप्त कर दिया है। इससे स्टार्टअप को बड़ी राहत मिली है। संप्रग सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2012 में एंजल टैक्स लगाया गया था, जिसे स्टार्टअप अपने विकास में बड़ी बाधा मान रहे थे। बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने कहा कि स्टार्टअप इकोसिस्टम में इनोवेशन की जरूरत है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए एंजल टैक्स को हटाने का फैसला किया गया है।
यह भी पढ़ें: पीएम किसान योजना की राशि में नहीं हुई बढ़ोतरी, करोड़ों किसानों को मिला फसल बीमा योजना का लाभ
क्या है एंजल टैक्स?
जब कोई स्टार्टअप विदेश से कोई निवेश हासिल करता है तो उस निवेश को अन्य माध्यम से आय मानते हुए उस पर 30 प्रतिशत का टैक्स लगता है, जिसे एंजल टैक्स कहा जाता है। अपनी फेयर वैल्यू से जितनी अधिक राशि स्टार्टअप किसी एंजल निवेशक से जुटाता है, उस पर एंजल टैक्स वसूला जाता है। मान लीजिए किसी स्टार्टअप की फेयर वैल्यू एक करोड़ है और वह 1.5 करोड़ रुपये एंजल निवेशकों से जुटाता है तो 50 लाख रुपये पर एंजल टैक्स लगेगा।एंजल टैक्स खत्म होने से क्या होगा फायदा?
वर्ष 2012 में टैक्स लगाते समय सरकार की यह सोच थी कि बाहरी निवेश की आड़ में मनी लॉन्ड्रिंग की जा सकती है। जानकारों का कहना है कि एंजल टैक्स को समाप्त करने से स्टार्टअप को फंड जुटाना आसान हो जाएगा। स्टार्टअप अब इनोवेशन पर अधिक खर्च कर सकेंगे और रोजगार में भी बढ़ोतरी होगी। एंजल टैक्स की वजह से नए स्टार्टअप को फंड जुटाने में कठिनाई होती थी और विदेश से फंड जुटाने वालों को शक की नजर से देखा जाता था।
विवाद से विश्वास स्कीम 2024 लॉन्च
इनकम टैक्स से जुड़े विवाद को खत्म करने के लिए सरकार ने फिर से विवाद से विश्वास स्कीम 2024 लांच करने की घोषणा की है। चार साल पहले भी विवाद से विश्वास स्कीम लाई गई थी। वित्त मंत्री ने कहा कि प्रत्यक्ष कर, उत्पाद कर व सर्विस टैक्स संबंधित 60 लाख रुपये तक के विवाद पर टैक्स ट्रिब्यूनल में दो करोड़ के विवाद के लिए हाईकोर्ट में तो पांच करोड़ के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की जा सकती है।बजट में टैक्स संबंधी प्रविधान को और सरल बनाने का भी एलान किया गया है। इसके तहत पुराने रिटर्न का फिर से मूल्यांकन हो सकेगा। हालांकि सिर्फ 50 लाख या इससे अधिक राशि वाले कर मामले में ही तीन साल से उससे अधिक पुराने मामले का फिर ले मूल्यांकन होगा।