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Budget 2024: स्कूली छात्राओं को स्मार्ट फोन देने का सरकार कर सकती है एलान, डिजिटल गैप को पाटने के लिए उठाए जा सकते हैं कदम

एक फरवरी को आने वाला बजट भले ही मोदी सरकार का अंतरिम बजट है लेकिन इसमें कुछ बड़े ऐलान भी करने की तैयारी है। फिलहाल जो संकेत मिल रहे है उसके तहत स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राओं को स्मार्ट फोन देने का ऐलान हो सकता है। जिससे देश की करोड़ों बच्चियां न सिर्फ डिजिटल तरीके से पढ़ सकेंगी बल्कि इसकी मदद से उस डिजिटल खांई को भी पाटा जा सकेगा।

By Jagran News Edited By: Abhinav AtreyUpdated: Fri, 19 Jan 2024 10:18 PM (IST)
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स्कूली छात्राओं को स्मार्ट फोन देने का सरकार कर सकती है ऐलान (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एक फरवरी को आने वाला बजट भले ही मोदी सरकार का अंतरिम बजट है, लेकिन इसमें कुछ बड़े ऐलान भी करने की तैयारी है। फिलहाल जो संकेत मिल रहे है, उसके तहत स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राओं को स्मार्ट फोन देने का ऐलान हो सकता है। जिससे देश की करोड़ों बच्चियां न सिर्फ डिजिटल तरीके से पढ़ सकेंगी बल्कि इसकी मदद से उस डिजिटल खांई को भी पाटा जा सकेगा।

अभी स्कूलों में पढ़ने वाली सिर्फ 19 फीसद बच्चियों के पास ही स्मार्ट फोन है। जबकि स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 43 फीसद छात्रों के पास स्मार्ट फोन है। जानकारों की मानें तो सरकार इस खांई को पाटना चाहती है। वैसे भी युवाओं के बीच जब इंटरनेट, कंप्यूटर और मोबाइल फोन का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है, ऐसे में स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राओं के पास स्मार्ट फोन न होने से खुद को पिछड़ा महसूस करने के साथ ही विकास की मुख्य धारा से कटा हुआ पाती हैं।

85 फीसद युवा कंप्यूटर और 90 फीसद इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे

एक रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा समय में देश में 85 फीसद युवा कंप्यूटर और करीब 90 फीसद युवा इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि, यह आंकड़ा वर्ष 2017 में 26 से 28 फीसद ही था। इन सालों में युवाओं ने 60 फीसद से अधिक की छलांग लगाई है। सूत्रों की मानें तो स्कूलों में पढ़ने वाली लड़कियों को स्मार्ट फोन मुहैया कराने की पहल तेज हुई है। इस संबंध में जारी रिपोर्ट भी तलब की गई है।

असर की रिपोर्ट पर शिक्षा मंत्रालय ने उठाए सवाल

स्कूली शिक्षा को लेकर आयी असर की रिपोर्ट को लेकर शिक्षा मंत्रालय ने सवाल उठाए हैं और कहा है कि रिपोर्ट में स्कूली शिक्षा की जो स्थिति दर्शायी गई है वह देश का राष्ट्रीय परिदृश्य नहीं है। बल्कि उन देश के उन 28 जिलों की स्थिति हो सकती है। वैसे भी इस सर्वे का दायरा इतना छोटा है कि इसे सिर्फ 14 से 18 आयु वर्ग के 34 हजार बच्चों के बीच ही किया गया है।

इसके साथ ही मंत्रालय ने सर्वे से बेसिक मानकों का पालन न करने को लेकर भी सवाल खड़े गए है। साथ ही कहा है कि 2017 में इस रिपोर्ट में जिन 11 जिलों को शामिल किया गया था, 2023 में भी उन्हीं जिलों को इनमें रखा गया है। मंत्रालय का कहना है कि स्कूली शिक्षा की सही तस्वीर जल्द ही आने वाली नेशनल असेसमेंट सर्वे की रिपोर्ट से साफ होगा। साथ ही संकेत दिया कि यह अगले महीने आ सकती है।

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