Budget 2024: देश के वो '3' वित्त मंत्री जो संसद में नहीं पढ़ सके बजट भाषण, दिलचस्प है इसके पीछे की कहानी
देश के तीन वित्त मंत्री ऐसे रहे जिन्हें संसद में बजट ( Budget 2024 Nirmala Sitharaman ) पेश करने का कभी भी मौका नहीं मिला। आपको बता दें कि तीनों ही पूर्व वित्त मंत्री के बजट न पेश करने के अलग कारण थे। वहीं सबसे ज्यादा बजट पेश करने का रिकॉर्ड पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नाम है। उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में 10 बार बजट पेश किया था।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Budget 2024 Announcement: इस साल 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा अंतरिम बजट पेश किया गया। बता दें कि निर्मला सीतारमण ने छठी बार बजट पेश किया।
हालांकि, सबसे ज्यादा बजट पेश करने का रिकॉर्ड पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नाम है। उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में 10 बार बजट पेश किया था। इसके बाद 9 बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के नाम है, लेकिन देश के तीन वित्त मंत्री ऐसे भी रहे जिन्हें संसद में बजट पेश करने का कभी भी मौका नहीं मिला। आपको बता दें कि तीनों ही पूर्व वित्त मंत्री के बजट न पेश करने के अलग कारण थे। आइये आपको बताते हैं इसके पीछे की दिलचस्प कहानी....
वो वित्त मंत्री जो बजट पेश नहीं कर सके
- केसी नियोगी
- हेमवती नंदन बहुगुणा
- नारायण दत्त तिवारी
केसी नियोगी- 35 दिन के रहे वित्त मंत्री
केसी नियोगी देश के पहले फाइनेंस कमीशन के चेयरमैन बने थे। अगस्त 1948 में उन्होंने देश के दूसरे वित्त मंत्री का पदभार संभाला। केसी नियोगी ने देश के पहले वित्त मंत्री आर. के. शनमुखम की जगह यह जिम्मेदारी संभाली। हालांकि, वह इस पद ज्यादा दिनों तक नहीं रहे और महज 35 दिनों के भीतर ही इस्तीफा सौंप दिया। इस अवधि के दौरान उन्हें अपना बजट पेश करने का मौकाही नहीं मिला। भले ही वह देश के पहले ऐसे वित्त मंत्री रहे जो बजट नहीं पढ़ सके, लेकिन वह आजाद भारत के दूसरे वित्त मंत्री के रूप में पहचाने जाने लगे।
हेमवती नंदन बहुगुणा- लगभग 3 महीने का रहा कार्यकाल
हेमवती नंदन बहुगुणा की भी स्थिती केसी नियोगी जैसी ही रही। साल 1979 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार में उन्हें देश के वित्त मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई। हालांकि, देश के 13वें वित्त मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल महज 3 महीने का रहा। वह 28 जुलाई 1979 से 25 अक्टूबर 1979 तक ही इस पद पर बने रहे। 3 महीने का छोटा कार्यकाल होने के कारण उन्हें भी बजट भाषण पढ़ने का मौका नहीं मिला।