कांग्रेस के बड़े वादे का बोझ बड़ा भारी, 10 किलो अनाज से अर्थव्यवस्था और बाजार में आ सकता है असंतुलन
चुनावी मौसम में राजनीतिक दलों की ओर से लुभावने वादे तो किए ही जाते हैं लेकिन कांग्रेस ने जो बड़े वादे किए हैं उसका आर्थिक आकलन आशंकित करता है। देश के खजाने पर विपरीत असर डालने के साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर और विकास के अन्य कार्यक्रमों पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है। चालू वित्तवर्ष में सरकार पहले से ही विभिन्न सब्सिडी के मद में 3.81 लाख करोड़ रुपये का वहन करेगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनावी मौसम में राजनीतिक दलों की ओर से लुभावने वादे तो किए ही जाते हैं, लेकिन कांग्रेस ने जो बड़े वादे किए हैं उसका आर्थिक आकलन आशंकित करता है। देश के खजाने पर विपरीत असर डालने के साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर और विकास के अन्य कार्यक्रमों पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
गरीब महिलाओं को सालाना एक लाख रुपये, शिक्षित युवाओं को कौशल विकास के नाम पर सालाना एक लाख रुपये एवं 80 करोड़ गरीबों को प्रतिमाह पांच किलोग्राम की जगह 10 किलोग्राम अनाज देने के वादे से बजट पर लगभग 13 लाख करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। चालू वित्त वर्ष 2024-25 में सरकार पहले से ही विभिन्न सब्सिडी के मद में 3.81 लाख करोड़ रुपये का वहन करेगी। इनमें मुख्य रूप से पांच किलोग्राम अनाज, मनरेगा, कम कीमत पर खाद एवं किसानों को सालाना छह हजार रुपये की मदद जैसी योजनाएं शामिल हैं।
गरीब महिला को पैसे देने का पैमाना तय नहीं
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस अगर 10 करोड़ गरीब महिलाओं को भी सालाना एक लाख रुपये देती है तो यह रकम 10 लाख करोड़ हो जाती है। हालांकि अभी यह तय नहीं है कि कांग्रेस गरीब महिला का पैमाना क्या तय करती है। 10 किलोग्राम अनाज देने से इस मद में सब्सिडी 4.7 लाख करोड़ हो जाएगी, जो अभी आधी है।सरकार का व्यय बजट 47.65 लाख करोड़
इसके अलावा कौशल विकास के नाम पर भी युवाओं को राशि देने का वादा किया गया है और इस मद में भी सालाना 0.5 लाख करोड़ रुपये तक खर्च हो सकते हैं। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में सरकार ने अपना व्यय बजट 47.65 लाख करोड़ का रखा है और उधार को छोड़ टैक्स राजस्व एवं अन्य राजस्व के रूप में 30.80 लाख रुपये की प्राप्ति का अनुमान है। बाकी के खर्च को पूरा करने के लिए कर्ज लेना पड़ेगा। ऐसे में सब्सिडी का बोझ और बढ़ता है तो सरकार का खर्च बढ़ेगा, जिसकी पूर्ति या तो कर्ज लेकर या फिर टैक्स में बढ़ोतरी करके की जा सकती है।
बजट का 75 प्रतिशत हिस्सा पहले से निर्धारित काम पर खर्च
अर्थशास्त्री अश्विनी महाजन के मुताबिक सरकार जो बजट बनाती है, उसका 75 प्रतिशत हिस्सा पहले से निर्धारित काम पर खर्च हो जाता है। बाकी राशि विभिन्न प्रकार की कल्याणकारी योजनाओं एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च की जाती है। उन्होंने कहा कि सरकार पर अतिरिक्त रूप से 12-13 लाख करोड़ रुपये का अनुत्पादक खर्च का बोझ बढ़ेगा तो जाहिर है सरकार अधिक कर्ज लेगी। इससे महंगाई बढ़ेगी और इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे विकास कार्यक्रम भी प्रभावित होंगे।अर्जेंटीना, वेनेजुएला ने भी इस प्रकार के कार्यक्रम चलाए
अर्जेंटीना, वेनेजुएला जैसे देशों ने भी इस प्रकार के कार्यक्रम चलाए थे और उसका नतीजा यह हुआ कि इन देशों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई। 10 किलोग्राम अनाज से फसल चक्र, भंडारण एवं वितरण व्यवस्था से लेकर बाजार असंतुलित होने और महंगाई बढ़ने का खतरा है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर विचार करने के लिए बनाई गई शीर्ष कमेटी के सदस्य डा. बिनोद आनंद ने इसे विपक्ष की नासमझी बताया है।