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पानी के उपयोग में सुधार के सुझाव ठंडे बस्ते में, ब्यूरो ऑफ वाटर यूज एफिशिएंसी की रिपोर्ट पर नहीं हुआ अमल

जल उपयोग की दक्षता बढ़ाने के लिए बने ब्यूरो आफ वाटर यूज एफिशिएंसी की पिछले साल आई रिपोर्ट ठंडे बस्ते में चली गई है। इस रिपोर्ट में पानी का बेहतर इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए कई अहम सिफारिशें की गई थीं जैसे कृषि में पानी के उपयोग में सुधार और उद्योग जगत को पानी के उपयोग से जुड़े उपकरणों की स्टार रेटिंग तय करने के लिए राजी करना।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Sat, 21 Sep 2024 12:45 AM (IST)
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ब्यूरो ऑफ वाटर यूज एफिशिएंसी की रिपोर्ट पर नहीं हुआ अमल

 मनीष तिवारी, नई दिल्ली। जल उपयोग की दक्षता बढ़ाने के लिए बने ब्यूरो आफ वाटर यूज एफिशिएंसी की पिछले साल आई रिपोर्ट ठंडे बस्ते में चली गई है। इस रिपोर्ट में पानी का बेहतर इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए कई अहम सिफारिशें की गई थीं, जैसे कृषि में पानी के उपयोग में सुधार और उद्योग जगत को पानी के उपयोग से जुड़े उपकरणों की स्टार रेटिंग तय करने के लिए राजी करना।

केंद्र सरकार के एक अधिकारी के मुताबिक रिपोर्ट के कई बिंदुओं को स्वीकार किया गया है, जैसे राष्ट्रीय जल नीति के तहत पानी के उपयोग की क्षमता में सुधार के लिए चार साल का रोड मैप बनाना, राज्यों के साथ और उनके बीच बेहतर तालमेल सुनिश्चित करना और कृषि में सिंचाई के तौर-तरीकों में सुधार के लिए तकनीकी सहयोग उपलब्ध कराना।

पानी की मात्रा बीस प्रतिशत तक बढ़ सकती है

अधिकारी ने कहा, लेकिन कई ऐसे पहलू हैं जिन पर और अधिक चर्चा की जरूरत है। सूत्रों के अनुसार राज्य मोटे तौर पर तो इससे सहमत हैं कि कृषि में पानी की खपत पचास प्रतिशत कम की जाए तो सभी के उपयोग के लिए उपलब्ध पानी की मात्रा बीस प्रतिशत तक बढ़ सकती है, लेकिन वे इसके लिए कोई समयसीमा तय करने अथवा किसानों के मामले में कुछ सख्त कदम उठाने के पक्ष में नहीं हैं।

कृषि में कुल उपलब्ध पानी का लगभग 80 प्रतिशत इस्तेमाल किया जाता है। ठीक यही स्थिति घरेलू इस्तेमाल वाले पानी की अनिवार्य मीटरिंग की है। यही कारण है कि पानी के संदर्भ में एक केंद्रीय प्राधिकरण बनाने के ब्यूरो के सुझाव को भी फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। ब्यूरो ने इस प्राधिकरण को कानूनी शक्ति देने का सुझाव दिया था, लेकिन 15 से अधिक राज्यों ने इस प्रस्ताव से असहमति जताई है। उन्हें लगता है कि पानी के मामले में किसी नई केंद्रीय व्यवस्था की जरूरत नहीं है।

ब्यूरो ने जताई थी आपत्ति

ब्यूरो ने उद्योगों के लिए घरों में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की रेटिंग करने की जरूरत जताई थी, ताकि लोगों को पता चल सके कि वह जिसे उपयोग कर रहे हैं, वह पानी खर्च करने के मामले में कितना किफायती है। ब्यूरो में अलग-अलग विषयों पर कई उपसमूह बने थे, जिनमें से एक इसी विषय पर केंद्रित था।

उपसमूह की बैठकों में उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने इसके लिए और समय की मांग की थी। ब्यूरो ऑफ वाटर यूज एफिशिएंसी ने इंटरनेशनल वाटर मैनेजमेंट के भारतीय प्रतिनिधि आलोक सिक्का की अध्यक्षता में पिछले साल एक समिति का गठन किया था, जिसने सितंबर में अपनी रिपोर्ट तत्कालीन जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को सौंपी थी।