यस बैंक मनी लांड्रिंग मामले में कारोबारी संजय छाबड़िया को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली जमानत, पीठ ने कहा कि अपराध गंभीर
जस्टिस बेला एम.त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ ने कहा कि अपराध गंभीर है और HC ने हर पहलू पर विचार किया है।इसके बाद छाबड़िया की ओर से पेश वकील ने याचिका वापस ले ली।मामले को वापस लिया गया मानकर खारिज कर दिया गया।ईडी का कहना था कि छाबड़िया के खिलाफ जांच पूरी हो चुकी हैलेकिन मनी लांड्रिंग के मामले के संबंध में जांच अब भी जारी है।
पीटीआई,नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने यस बैंक-डीएचएफएल मनी लांड्रिंग मामले में बांबे हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ रियल एस्टेट कारोबारी संजय छाबड़िया की याचिका पर विचार करने से गुरुवार को इनकार कर दिया। हाई कोर्ट ने 'डिफाल्ट' जमानत देने संबंधी छाबड़िया की याचिका खारिज कर दी गई थी।
जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ ने कहा कि अपराध गंभीर है और हाई कोर्ट ने हर पहलू पर विचार किया है। इसके बाद छाबड़िया की ओर से पेश वकील ने याचिका वापस ले ली। मामले को वापस लिया गया मानकर खारिज कर दिया गया। इससे पहले जस्टिस एमएस. कार्णिक की पीठ ने 'डिफाल्ट' जमानत के अनुरोध वाली छाबड़िया की याचिका नौ अक्टूबर को इस आधार पर खारिज कर दी कि ईडी ने अनिवार्य 60 दिन की अवधि के भीतर उनके खिलाफ अभियोजन शिकायत पेश की थी।
'छाबड़िया के खिलाफ जांच पूरी हुई'
ईडी का कहना था कि छाबड़िया के खिलाफ जांच पूरी हो चुकी है, लेकिन मनी लांड्रिंग के इस पूरे मामले के संबंध में जांच अब भी जारी है। छाबड़िया के वकील ने कहा था कि चूंकि मामले में छाबड़िया की गिरफ्तारी के 60 दिन बाद भी मामले की जांच अधूरी है, इसलिए आरोपित को 'डिफाल्ट' जमानत दी जाए।दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 167 के अनुसार, यदि जांच एजेंसी हिरासत की तारीख से 60 दिन के भीतर आरोप-पत्र दाखिल करने में विफल रहती है तो आरोपित 'डिफाल्ट' जमानत का हकदार होगा। इस मामले में छाबड़िया को सात जून, 2022 को गिरफ्तार किया गया था। ईडी ने चार अगस्त, 2022 को अपनी अभियोजन शिकायत (आरोपपत्र) पेश की थी।
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