'2030 तक गैर जीवाश्म स्रोतों से पूरी होंगी 65 प्रतिशत ऊर्जा जरूरतें', केंद्रीय मंत्री बोले- CO2 के लिए विकसित देश जिम्मेदार
बिजली और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा कि सीओपी26 में हमने इस बात की प्रतिबद्धता जताई थी कि 2030 तक हमारी ऊर्जा जरूरतें 50 प्रतिशत गैर जीवाश्म स्त्रोतों से पूरी होंगी। हालांकि जिस गति से हम चल रहे हैं उससे यह 60-65 प्रतिशत होगा और ऐसे में जो हमने वादा किया था उससे हम बहुत आगे होंगे ।
एएनआई, नई दिल्ली। वर्तमान में भारत की लगभग 44 प्रतिशत ऊर्जा जरूरतें गैर जीवाश्म स्त्रोतों से पूरी होती हैं और 2030 तक इसके 65 प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना है। 2021 में ग्लासगो में आयोजित सीओपी26 में भारत ने एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया था।
भारत 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन का रखा है लक्ष्य
इसके तहत 500 गीगावाट गैर जीवाश्म बिजली क्षमता का उत्पादन करना, सभी तरह की ऊर्जा आवश्यकताओं का आधा नवीकरणीय ऊर्जा से पैदा करना और 2030 तक उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी करना शामिल है। समग्र रूप से भारत का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करना है और अंतत: भारत 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है।
60-65 प्रतिशत होगा पूरा
बिजली और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि सीओपी26 में हमने इस बात की प्रतिबद्धता जताई थी कि 2030 तक हमारी ऊर्जा जरूरतें 50 प्रतिशत गैर जीवाश्म स्त्रोतों से पूरी होंगी। हालांकि, जिस गति से हम चल रहे हैं, उससे यह 60-65 प्रतिशत होगा और ऐसे में जो हमने वादा किया था, उससे हम बहुत आगे होंगे।71 हजार मेगावाट के लिए चल रही बिडिंग
उन्होंने कहा कि भारत में 1,03,000 मेगावाट नवीकरणीय क्षमता निर्माणाधीन है और 71 हजार मेगावाट के लिए बिडिंग चल रही है। ऊर्जा बदलाव की हमारी दर बेजोड़ है। हम एकमात्र देश हैं जो चौबीस घंटे नवीकरणीय ऊर्जा के लिए बोलियां जारी कर रहे हैं। इतना ही नहीं हम ही एकमात्र देश हैं जो कीमत कम करने के लिए सबसे ज्यादा नवाचार कर रहे हैं।
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पृथ्वी पर 77 प्रतिशत कार्बन डाइआक्साइड की वजह विकसित देश
उन्होंने कहा कि भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन सबसे कम 2.0-2.6 टन है जबकि विश्व का औसत 6.8 टन है। विकसित देश जीवाश्म ईंधन का उपयोग करके विकसित हुए हैं। पृथ्वी पर 77 प्रतिशत कार्बन डाइआक्साइड उनके कारण है और इसी वजह से वैश्विक तापमान में वृद्धि हुई है। वैश्विक आबादी में भारत की हिस्सेदारी 17 प्रतिशत है, लेकिन कार्बन डाइआक्साइड में उसका केवल तीन प्रतिशत योगदान है।
उन्होंने कहा कि जिस दर पर विकसित देश कार्बन डाइ आक्साइड गैस का उत्सर्जन कर रहे हैं, अगर यही दर जारी रहती है तो वैश्विक तापमान में 1.5 डिग्री की वृद्धि होने में 4.5 वर्ष लगेंगे।