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उपचुनाव में जीत से मिली आईएनडीआईए को नई ऊर्जा, बजट सत्र में दिखेगा असर; अयोध्या के बाद इस सीट की होगी चर्चा

By-Election Result 2024 सात राज्यों की 13 विधानसभा सीटों के चुनाव नतीजों ने इंडी गठबंधन को नई ऊर्जा प्रदान की है। लोकसभा चुनाव में मजबूती से उभरे विपक्ष को अब सरकार पर हमला बोलने का एक और मौका मिल गया है। चुनाव नतीजों से कांग्रेस की उम्मीदों को बल मिला है तो वहीं बंगाल में टीएमसी और मजबूत हुई है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Sat, 13 Jul 2024 11:00 PM (IST)
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13 विधानसभा सीटों के उपचुनाव के नतीजे से विपक्षी दल उत्साहित। (फाइल फोटो)
संजय मिश्र, जागरण नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में मजबूत विपक्ष के रूप में उभरे आईएनडीआईए गठबंधन को सात राज्यों के उपचुनाव में मिली बड़ी कामयाबी ने राजनीतिक दमखम दिखाने का एक और मौका दे दिया है। सात राज्यों के 13 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में 10 सीटें जीत कर विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए ने संसद के आगामी बजट सत्र से ठीक पहले मोदी सरकार पर सियासी दबाव बढ़ाने की बड़ी खुराक हासिल कर ली है जिसका सियासी असर सत्र के दौरान दिखना लगभग तय है।

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विपक्ष को ऊर्जा मिलनी तय

विशेषकर लोकसभा चुनाव में फैजाबाद-अयोध्या सीट के बाद उत्तराखंड की बद्रीनाथ विधानसभा सीट पर भाजपा की हार से विपक्ष को उस पर हमले के लिए नई उर्जा मिलनी तय है। बदरीनाथ सीट जीतने वाली कांग्रेस ने राजनीतिक लाभ के लिए धर्म का इस्तेमाल करने को जनता द्वारा नकारे जाने की बात कह भाजपा की वैचारिक सियासत पर प्रहार जारी रखने के इरादे साफ भी कर दिए।

कांग्रेस की उम्मीदों को मिला बल

उपचुनाव परिणामों की खास बात यह भी है कि विपक्षी गठबंधन में शामिल दलों ने जहां अपने गढ़ को बचाए रखा वहीं कुछ राज्यों में भाजपा-एनडीए गठबंधन को झटका भी दिया है। आईएनडीआईए का नेतृत्व कर रही कांग्रेस के लिए उपचुनाव के नतीजे विशेष रूप से राजनीतिक उम्मीद जगाने वाले हैं क्योंकि दो पहाड़ी राज्यों हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में जहां उसका भाजपा से सीधा मुकाबला है वहां पार्टी ने दमदार प्रदर्शन किया है।

कांग्रेस को मिला हमला करने का मौका

हिमाचल की तीनों सीटों निर्दलीय के पास थी जिसमें से कांग्रेस ने दो उनसे छीन ली है। उत्तराखंड में भी पार्टी ने बदरीनाथ की प्रतिष्ठित सीट समेत दोनों सीटें उपचुनाव में जीती है। लोकसभा चुनाव में अयोध्या के बाद अब बद्रीनाथ विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की शिकस्त ने कांग्रेस को उस पर हमले का एक और मौका दे दिया है।

क्यों अहम हैं हिमाचल और उत्तराखंड उपचुनाव?

कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने धर्म को राजनीतिक औजार बनाने की भाजपा की सियासत को जनता द्वारा खारिज करने की बात इसकी शुरूआत करने में देरी भी नहीं की। हिमाचल और उत्तराखंड के उपचुनाव नतीजे कांग्रेस के लिए इस लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण हैं कि अभी हुए लोकसभा चुनाव में इन दोनों सूबों की नौ लोकसभा सीटों पर कांग्रेस का सफाया हो गया था। उत्तराखंड की पांचों सीटें तो हिमाचल की चारों सीटें भाजपा के खाते में आयी थी।

हंगामेदार होगा बजट सत्र

18वीं लोकसभा में उभरे मजबूत विपक्ष की झलक पहले सत्र में ही दिख गई थी जब नीट पेपर लीक धांधली के मुद्दे पर विपक्ष ने मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की। राष्ट्रपति अभिभाषण पर बहस और पीएम मोदी के इस पर जवाब के दौरान भी सरकार और विपक्ष के आक्रामक तेवरों ने दोनों सियासी खेमों के बीच कड़वाहटों के दौर की बुनियाद रख दी थी।

उपचुनाव परिणामों के बाद विपक्ष का हौसला अब कहीं ज्यादा रहेगा और ऐसे में 22 जुलाई से शुरू हो रहे बजट सत्र में इसका वृहद स्वरूप सामने आएगा यह लगभग तय है। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की उपचुनाव पर आयी प्रतिक्रियाओं ने भी इस ओर इशारा कर दिया है।

बंगाल में कायम है टीएमसी का दबदबा

उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने भी पश्चिम बंगाल की चारों सीटें जीतकर अपना सियासी दबदबा बनाए रखने का संदेश दिया है। लोकसभा चुनाव में बड़ी कामयाबी के बाद टीएमसी प्रमुख मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इन नतीजों ने भाजपा पर प्रहार के लिए दोहरी ऊर्जा दे दी है और बिना देरी किए मोदी सरकार की स्थिरता पर सवाल उठा दीदी ने इसमें तनिक भी देरी नहीं की। बंगाल के अपने गढ़ पर वर्चस्व कायम रखते हुए ममता ने आईएनडीआईए के भीतर भी अपनी स्थिति को और मजबूती दी है।

पंजाब में आप का इकबाल कायम

पंजाब की जालंधर पश्चिम सीट पर आम आदमी पार्टी ने भाजपा उम्मीदवार को हरा कर जहां सूबे में अपनी सत्ता का इकबाल कायम रहने का संदेश दिया है। वहीं तमिलनाडु की एक सीट के उपचुनाव में जीत हासिल कर द्रमुक ने दक्षिण के सबसे बड़े प्रदेश में विपक्षी गठबंधन का वर्चस्व बरकार रखने का संदेश दिया है। लोकसभा चुनाव में आईएनडीआईए ने राज्य की सभी 39 सीटें जीती थी।

रुपौली में निर्दलीय ने मारी बाजी

उपचुनाव के परिणामों से साफ है कि जहां आईएनडीआईए खेमे ने अपने पांच सत्तारूढ़ राज्यों में अपना गढ़ बचाते हुए बेहतर प्रदर्शन किया है, वहीं एनडीए-भाजपा के लिए नतीजे अनुकूल नहीं रहे। बिहार में भले विपक्षी खेमा खाली हाथ रहा मगर एनडीए ने भी रुपौली की इकलौती सीट निर्दलीय के हाथों गंवा दी।

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