Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

CAA Protest: असम में सीएए के विरोध में प्रदर्शन करेंगे 30 से अधिक समूह, नौ मार्च को 12 घंटे भूख हड़ताल की चेतावनी

असम में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) सहित 30 से अधिक समूहों ने प्रदर्शन करने का फैसला लिया है। आसू के अध्यक्ष उत्पल शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राज्य यात्रा के दौरान नौ मार्च को सभी जिलों में 12 घंटे की भूख हड़ताल सहित आंदोलन किया जाएगा। उत्पल शर्मा ने कहा कि सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई मामले चल रहे हैं।

By Jagran News Edited By: Abhinav AtreyUpdated: Fri, 01 Mar 2024 06:15 AM (IST)
Hero Image
असम में सीएए के विरोध में प्रदर्शन करेंगे 30 से अधिक समूह। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

पीटीआई, गुवाहाटी। असम में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) सहित 30 से अधिक समूहों ने प्रदर्शन करने का फैसला लिया है। आसू के अध्यक्ष उत्पल शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राज्य यात्रा के दौरान नौ मार्च को सभी जिलों में 12 घंटे की भूख हड़ताल सहित आंदोलन किया जाएगा।

उत्पल शर्मा ने कहा कि सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई मामले चल रहे हैं, ऐसे में नियम बनाने और सीएए लागू करने की घोषणा लोगों के साथ गंभीर अन्याय है। उन्होंने कहा कि असम की जनता ने कभी सीएए को स्वीकार नहीं किया है और वे इसे लागू करने के किसी भी कदम का विरोध करेंगे। हम कानूनी लड़ाई के साथ केंद्र के फैसले के विरुद्ध लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण आंदोलन जारी रखेंगे।

सीएए के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत चार मार्च से

शर्मा ने कहा कि सीएए के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत चार मार्च को होगी और हर जिला मुख्यालय में मोटरसाइकिल रैली निकाली जाएंगी। उन्होंने कहा कि बाद हम इसके खिलाफ हर जिला मुख्यालय में मशाल जुलूस निकालेंगे। शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री आठ मार्च को जब असम यात्रा पर आएंगे तो आसू और 30 अन्य संगठन उन पांच युवकों की तस्वीरों के समक्ष दीपक जलाएंगे जो 2019 में सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की गोलीबारी में मारे गए थे।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से हस्तक्षेप करने की मांग

वहीं, असम में विपक्षी दलों ने सीएए को रद्द करने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से हस्तक्षेप करने की मांग की और कहा कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो वे राज्य भर में लोकतांत्रिक जन आंदोलन करेंगे। संयुक्त विपक्षी मंच असम (यूओएफए) ने मुर्मु को राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया के माध्यम से एक ज्ञापन सौंपा।

सीएए के खिलाफ आंदोलनकारी सुप्रीम कोर्ट जाएं

असम के मुख्यमंत्रीअसम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दावा किया कि इस समय सीएए के खिलाफ किसी प्रदर्शन की कोई प्रासंगिकता नहीं है और कानून के खिलाफ लोग सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं। सरमा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि संसद, जिसने कानून पारित किया था सर्वोच्च नहीं है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट इसके ऊपर है और वह किसी भी कानून को रद कर सकती है जैसा उसने चुनावी बांड के मामले में किया।

सीएए के खिलाफ प्रदर्शन की कोई प्रासंगिकता नहीं- सीएम

उन्होंने कहा कि सीएए के खिलाफ प्रदर्शन की कोई प्रासंगिकता नहीं है क्योंकि आंदोलन संसद द्वारा पारित किसी कानून के संबंध में कारगर नहीं हो सकते। सीएए के खिलाफ राज्यव्यापी बंद की धमकी देने पर डीजीपी ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने चेतावनी दी कि आंदोलन के कारण प्रतिदिन 1,643 करोड़ रुपये के वित्तीय नुकसान की भरपाई आयोजकों से की जा सकती है।

ये भी पढ़ें:  Highway Projects: अरुणाचल में फ्रंटियर हाईवे के लिए 6728 करोड़ रुपये मंजूर, MP में कई परियोजनाओं के लिए पैसे की मिली सौगात