Citizenship Amendment Act: लोकसभा चुनाव के पहले लागू हो जाएगा CAA, नियम बनकर तैयार; जल्द किए जाएंगे अधिसूचित
2019 के लोकसभा चुनाव के बाद बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले क्रियान्वित हो सकता है। सरकार ने सीएए के जुड़े नियमों को तैयार कर लिया गया है और इसे एक-दो महीने में अधिसूचित कर लिया जाएगा। पिछले दिनों पश्चिम बंगाल में गृहमंत्री ने साफ किया था कि सीएए देश का कानून है और इसे लागू होने से कोई रोक नहीं सकता।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले क्रियान्वित हो सकता है। सरकार ने सीएए के जुड़े नियमों को तैयार कर लिया गया है और इसे एक-दो महीने में अधिसूचित कर लिया जाएगा।
अमित शाह ने किया स्पष्ट
ध्यान देने की बात है कि पिछले दिनों पश्चिम बंगाल में गृहमंत्री अमित शाह ने साफ किया था कि सीएए देश का कानून है और इसे लागू होने से कोई रोक नहीं सकता। उन्होंने सीएए को लेकर भ्रम फैलाने पर तृणमूल कांग्रेस को आड़े हाथों लिया था।
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क्या है सीएए?
ध्यान देने की बात है कि सीएए के तहत अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 के पहले आने वाले छह अल्पसंख्यकों (हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी) को भारत की नागरिकता देने का प्रविधान है। इसके लिए इन तीन देशों से आए विस्थापितों को कोई दस्तावेज देने की भी जरूरत नहीं है। उन्हें नागरिकता देने की प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए ऑनलाइन करने की तैयारी है।
सुविधा के लिए वेब पोर्टल तैयार
इसके लिए एक पोर्टल भी तैयार कर लिया गया है। इन देशों से आने वाले विस्थापितों को सिर्फ पोर्टल पर आनलाइन आवेदन करना होगा और गृहमंत्रालय इसकी जांच कर नागरिकता जारी कर देगा। दरअसल नागरिकता देने का अधिकार पूरी तरह से केंद्र सरकार के पास है, लेकिन अभी तक नागरिकता के आवेदनों के निस्तारण की प्रक्रिया में जिला अधिकारियों की भूमिका अहम होती थी।दरअसल, जिला अधिकारी गृहमंत्रालय की ओर से आवेदनों का निस्तारण करता था और उसी के आधार पर गृहमंत्रालय नागरिकता के आवेदन के स्वीकार या अस्वीकार करती थी, लेकिन नई आन लाइन प्रक्रिया में जिला अधिकारियों की भूमिका सीमित होगी और नागरिकता देने में तेजी आएगी।2019 में शीतकालीन सत्र के दौरान संसद से सीएए कानूनों के पास होने के बाद इसका विरोध शुरू हो गया था। शाहीन बाग व अन्य स्थानों पर कई महीनों तक प्रदर्शनकारी डटे रहे थे। विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए सरकार इसे लागू करने में सावधानी बरतने का फैसला किया और लगभग चार साल के इंतजार के बाद इसपर आगे बढ़ रही है।
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