सीएजी मुर्मु की केंद्र सरकार से अपील, बोले- UPSC प्रौद्योगिक संपन्न प्रतिभाओं को महत्व दे ज्यादा
सीएजी मुर्मु ने बताया है कि भारत में इस वर्ष से डिजिटल आडिटिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। इसके फायदे के बारे में उनका कहना है कि इससे आडिटिंग की प्रक्रिया ज्यादा तेजी से हो सकेगी जिसका कई स्तरों पर फायदा होगा।
जयप्रकाश रंजन, पणजी (गोवा)। भविष्य में जिस तरह से सरकारी सेवाओं में आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस जैसी तकनीक का प्रभाव सरकार के विभागों व सरकार नियंत्रित संस्थानों में होने वाला है, उससे उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का सामना करने की तैयारी नियंत्रक व महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने अभी से शुरू कर दी है।
इस संदर्भ में सीएजी ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) से भारतीय लेखापरीक्षा व सेवा विभाग (आइएएएस) में नियुक्ति के लिए प्रौद्योगिकी संपन्न व दक्ष प्रतिभाओं को ज्यादा महत्व दे।
सीएजी ने किया डिजिटल आडिटिंग की शुरुआत का ऐलान
इसके साथ ही सीएजी ने इस साल से देश में पहली बार डिजिटल आडिटिंग की शुरुआत भी करने का ऐलान किया है, जिसकी मदद से सरकारी विभागों के हिसाब-किताब की ज्यादा बेहतर तरीके से निरीक्षण भी किया जा सकेगा और समय रहते सरकार के व्यय व्यवस्था में गुणवत्तापूर्ण सुधार भी लाया जा सकेगा।
क्या बोले सीएजी मुर्मु
सीएजी मुर्मु दो दिवसीय जी-20 देशों के शीर्ष आडिटिंग एजेंसियों की बैठक की जानकारी देने के लिए एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि, “पिछले तीन दशकों में यूपीएससी के तहत नियुक्तियों का चरित्र काफी बदल चुका है। 50 फीसद तक सफल आवेदकों का बैकग्राउंड इंजीनियरिंग का होता है। इस तरह से हमारे पार शीर्ष स्तर पर प्रौद्योगिकी को समझने वाली प्रतिभाएं हैं।
सरकार को दिया प्रस्ताव
उन्होंने कहा कि हमने सरकार को प्रस्ताव दिया है और इस बारे में काम भी हो रहा है ताकि भर्ती प्रक्रिया में कुछ इस तरह से बदलाव हो कि सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) में दक्षता व योग्यता को प्राथमिकता मिल सके। मौजूदा कर्मचारियों के लिए यह लागू नही हो सकता, लेकिन इस कदम से हम भविष्य के लिए ज्यादा बेहतर तरीके से तैयार हो सकते हैं।
अमेरिका व कई प्रमुख पश्चिमी देशों ने नहीं लिया हिस्सा
सनद रहे कि इस बैठक में आर्टफिशिएल इंटेलीजेंस (आइए) की चुनौतियों को समझने और इसके लिए वैश्विक स्तर पर ज्यादा बेतर तैयारी करने पर खास तौर पर चर्चा की गई है। बैठक में वैसे अमेरिका व कई प्रमुख पश्चिमी देशों ने हिस्सा नहीं लिया, इसके बावजूद मुर्मू का कहना है कि सितंबर, 2023 में होने वाली शिखर सम्मेलन में जो साझा बयान जारी किया जाएगा उसमें एआइ को लेकर एक साझा दृष्टिकोण अपनाने पर सहमति होगी।
इस वर्ष शुरू होगी डिजिटल आडिटिंग की प्रक्रिया
सीएजी मुर्मु ने यह भी बताया है कि भारत में इस वर्ष से डिजिटल आडिटिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। इसके फायदे के बारे में उनका कहना है कि इससे आडिटिंग की प्रक्रिया ज्यादा तेजी से हो सकेगी, जिसका कई स्तरों पर फायदा होगा। दूसरा फायदा यह होगा कि डिजिटल प्रक्रिया होने से संस्थानों का डाटा एक जगह जमा किया जा सकेगा। इससे संबंधित विभागों के काम काज को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। डाटा का अध्ययन आसान होगा।
एक और फायदा यह होगा कि आडिट की लागत में कमी होगी क्योंकि अभी जिस तरह से आडिटर को भौतिक तौर पर संबंधित स्थल पर भेजने की जरूरत होती है, वह खत्म हो जाएगी। साथ ही सरकारी विभागों, मंत्रालयों या कार्ययोजनाओं की आडि¨टग ज्यादा सटीक होगी।