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क्या भारत में 'फांसी' की जगह ले सकते हैं सजा-ए-मौत के ये तरीके, जानिए अन्य देशों में कैसे मिलता है मृत्युदंड

SC में फांसी की सजा को बर्बर मृत्युदंड बताते हुए इसे बदलने की मांग की गई थी।दुनियाभर में मृत्युदंड किसी भी तरह के दंड कानून के तहत सबसे ऊपर माना जाता है। मृत्युदंड का प्रावधान इतिहास में भी था। हालांकि इसे लेकर तरीकों में बदलाव समय-समय पर होता रहा है।

By Gurpreet CheemaEdited By: Gurpreet CheemaUpdated: Thu, 04 May 2023 01:14 PM (IST)
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सुप्रीम कोर्ट में फांसी की सजा में कर सकता है बदलाव।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। भारत में इस समय मृत्युदंड एक चर्चा का विषय बना हुआ है। सुप्रीम कोर्ट और सरकार इसे लेकर विचार भी कर रहे हैं। SC में फांसी की सजा को बर्बर मृत्युदंड बताते हुए इसे बदलने की मांग की गई थी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की 3 जजों की बेंच ने 1983 में मृत्युदंड के रूप में फांसी को सबसे बेहतर माना था।

देश में 1983 से पहले भी इतिहास में मृत्युदंड को लेकर प्रवाधान था। उस समय मौत की सजा के लिए अलग-अलग शासन में तरीके बदले गए थे। वहीं अभी की बात की जाए तो भारत के अलावा दुनिया में 33 देश ऐसे हैं जहां फांसी की सजा दी जाती है।

हालांकि, भारत में मृत्युदंड के रूप में फांसी को बदलने पर विचार किया जा रहा है। चलिए जानते हैं कि फांसी की सजा के और क्या विकल्प हो सकते हैं, साथ ही ये भी जानेंगे कि कौन से देश में सजा-ए-मौत के लिए क्या तरीका अपनाया जाता है।

दुनियाभर में मृत्युदंड किसी भी तरह के दंड कानून के तहत सबसे ऊपर माना जाता है। मृत्युदंड का प्रावधान इतिहास में भी था। हालांकि, इसे लेकर तरीकों में बदलाव समय-समय पर होता रहा है।

सजा-ए-मौत को लेकर क्या कहता है इतिहास?

घोड़े द्वारा शरीर को घसीटना- इसमें दोषी सिद्ध होने पर व्यक्ति को घोड़े के पीछे बांध दिया जाता था।

शरीर के किसी अंग को काट देना- दोषी के सिर या किसी ऐसे अंग को काट दिया जाता था, जिसके बाद उसकी दर्दनाक मौत हो जाती थी।

हाथी के नीचे कुचलवा देना- शासक द्वारा दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को हाथी के नीचे छोड़ दिया जाता था, फिर हाथी के नीचे कुचलने से उसकी मौत हो जाती थी। इस सजा को काफी क्रूर भी माना गया था।

दुनिया में प्रचलित मृत्युदंड क्या थे?

भारत के अलावा कई ऐसे देश थे, जहां मृत्युदंड दिया जाता था। इनमें कुछ प्रमुख सजाएं थीं।

सबसे खूंखार 'ड्रेकुला'

15वीं शताब्दी में रोमानिया के वासलिया के राजा बने व्लाद थर्ड बना था। आगे चलकर इसने अपना नाम ड्रेकुला रखा। बाद में ये दंडित लोगों के सिर पर भाले मार देता था। कुछ इतिहासकारों ने ये भी दावा किया है कि ड्रैकुला लोगों का खून भी पीता था।

गिलोटिनिंग

इस सजा को फ्रांस समेत यूरोप के कई देशों में शुरू किया गया। डॉ जोसेफ गिलोटिन ने एक यंत्र बनाया, इसे 'गिलोटिन' नाम दिया गया। इसके तहत दोषी के सिर को लकड़ी के ब्लॉक पर एक गोल छेद में रखा जाता था, फिर सिर को काटते हुए ब्लेड को गिराया जाता था। करीब 40 साल पहले तक फ्रांस में ये सजा दी जाती थी।

गैस चैंबर

जर्मनी में इस मृत्युदंड को शुरू किया गया। इसके तहत एडॉल्फ हिटलर के दुश्मनों को कमरे में भेजा जाता था और फिर यहां जहरीली गैस छोड़ी जाती थी। जिससे लोगों की मौत हो जाती थी।

फांसी की सजा

भारत में अंग्रेजो के शासन में मौत की सजा को बदला गया। 1899 के बाद भारत में फांसी दी जाने लगी। बता दें कि ब्रिटिश हुकुमत के समय में दुनिया में 200 तरह के अपराध के लिए मृत्युदंड दिया जाता था।

वर्तमान में कौन से देश में कैसे दिया जाता है मृत्युदंड?

जहरीला इजेंक्शन- ये मृत्युदंड अमेरिका समेत फिलीपींस, चीन, थाईलैंड जैसे देशों में दिया जाता है। साल 1977 में अमेरिका के ओक्लाहोमा राज्य में पहली बार ये सजा दी गई थी। इस सजा को देते समय डॉक्टर की टीम भी मौजूद रहती है।

करंट- इसे साल 1888 में अमेरिका में ही शुरू किया गया था। इसके लिए एक स्पेशल इलेक्ट्रिक कुर्सी तैयार की गई थी। अमेरिका में अभी भी इस तरीके को मृत्युदंड के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसमें मृत्युदंड दिए जाने वाले को इलेक्ट्रोड लगाकर बिठाया जाता है और फिर ऑब्जर्वेशन रूम से पावर सप्लाई ऑन की जाती है। इसमें 30 सेकेंड तक 500 से 2000 वोल्ट की पावर सप्लाई दी जाती है।

गोली मारकर सजा-ए-मौत- ब्राजील, इंडोनेशिया, नॉर्थ कोरिया के साथ-साथ अमेरिका जैसे देशों में गोली मारकर मृत्युदंड दिया जाता है। इसमें कुछ शूटर्स मृत्युदंड के लिए दोषी व्यक्ति पर फायरिंग करते हैं।

दोषी पर पथराव- सूडान, अफगानिस्तान, इंडोनेशिया, ईरान, सऊदी अरब और कतर जैसे देशों में पथराव कर मौत की सजा का प्रावधान है। इसकी शुरुआत इजराइल में की गई थी।

2017 में फांसी को रोकने के लिए याचिका दायर

भारत में मौत की सजा के लिए फांसी का विरोध भी किया जा रहा है। इसके लिए 2017 में एक जनहित याचिका दायर की गई। इसमें फांसी की सजा को दर्दनाक बताया गया। याचिका में ये भी कहा गया है कि फांसी की सजा के विकल्प में और भी कई सजाए हो सकती हैं जो कि दुनिया के अन्य देशों में इस्तेमाल की जा रही हैं।

इनमें लीथल इंजेक्शन, गोली मारना, करंट देना, गैस चैंबर जैसी सजाओं को बारे में कहा गया था। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा था कि आप तर्क जरूर दे सकते हैं लेकिन ये सजाएं दर्दनाक हैं या नहीं इसे लेकर भी संदेह है। साथ ही विधि आधार किस आधार पर ये कह सकता है कि इनसे लंबी मौत नहीं हो सकती। इसमें बेंच के द्वारा खासतौर पर जहरीले इंजेक्शन पर जोर दिया गया था।