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शादी के दो महीने बाद सियाचिन पोस्टिंग, जब जिंदगी को लेकर हुई बात; उसके अगले ही दिन... भावुक कर देंगी शहीद कैप्टन अंशुमान की पत्नी की बातें

कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है। उनकी पत्नी स्मृति ने ये सम्मान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से प्राप्त किया। सम्मान समारोह के बाद उन्होंने बताया कि कैसे दोनों की मुलाकात हुई और आठ सालों की लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप के बाद दोनों ने शादी रचाई। कैप्‍टन अंशुमान सिंह उत्तर प्रदेश के देवरिया के लार थाना इलाके के बरडीहा दलपत के रहने वाले थे।

By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Updated: Sun, 07 Jul 2024 09:45 AM (IST)
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कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया।(फोटो सोर्स: एएनआई)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को सात जवानों के मरणोपरांत सम्मान दिया। इस दौरान कैप्टन अंशुमान सिंह (Captain Anshuman Singh) को भी मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। यह सम्मान प्राप्त करने के लिए कैप्टन अंशुमान सिंह की पत्नी स्मृति समारोह में मौजूद थीं। 

सम्मान समारोह के दौरान स्मृति काफी भावुक दिखीं। पति के खोने के गम का दुख को अपनी आसूंओं में समेट कर उन्होंने राष्ट्रपति से कीर्ति चक्र (Kirti Chakra) प्राप्त किया। आंखें नम कर देने वाली सम्मान समारोह की ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

सम्मान समारोह के बाद स्मृति ने अपने पति के साथ बिताए गए पलों को शेयर किया। स्मृति ने बताया कि जब हम दोनों कॉलेज के फर्स्ट ईयर में पढ़ाई कर रहे थे तो हमारी मुलाकात हुई। हम दोनों को पहली नजर में प्यार हो गया था। वो लव एट फर्स्ट साइट थी। एक महीने के बाद वो आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज के लिए सेलेक्ट हो गए।

(भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने स्मृति से की मुलाकात)

शादी के बाद सियाचिन में हुई अंशुमान की पोस्टिंग

हम दोनों की मुलाकात इंजीनियरिंग कॉलेज में हुई, लेकिन वो मेडिकल कॉलेज के लिए सेलेक्ट हो गए। वास्तव में वो काफी बुद्धिमान इंसान थे। एक महीने की मुलाकात के बाद, हम दोनों के बीच आठ सालों की लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप चली। इसके बाद हम दोनों ने शादी रचाई। शादी के दो महीने के बाद ही उनकी सियाचिन में पोस्टिंग हो गई।

18 जुलाई को हम दोनों के बीच लंबी बातचीत हुई। हम दोनों ने अगले 50 सालों के जिंदगी के बारे में बात की। हम लोगों का अपना घर होगा। हमारे बच्चे होंगे। 19 जुलाई मुझे टेलीफोन आता है और मुझसे कहा जाता है कि कैप्टन अंशुमान सिंह नहीं रहे।

वो मेरे हीरो हैं... 

सात और आठ घंटों तक तो हमें यकीन नहीं हुआ कि ये बात सच है। लेकिन, अब जब मेरे हाथ में कीर्ति चक्र है तो मुझे अब ऐसा लग रहा है कि वो अब इस दुनिया में नहीं हैं। वो मेरे लिए हीरो हैं। उन्होंने दूसरे की जिंदगी बचाने के लिए अपनी जान दे दी। हम किसी तरह अपनी जिंदगी जी लेंगे।

देवरिया के रहने वाले थे कैप्टन अंशुमान

कैप्‍टन अंशुमान सिंह उत्तर प्रदेश के देवरिया के लार थाना इलाके के बरडीहा दलपत के रहने वाले थे। फिलहाल अंशुमान सिंह का परिवार लखनऊ के पारा मोहान रोड पर रहता है। सृष्टि सिंह पेशे से इंजीनियर हैं और नोएडा की एमएनसी में काम करती हैं। कैप्‍टन अंशुमान सिंह के पिता रवि प्रताप सिंह भारतीय सेना में जेसीओ रहे चुके हैं।

19 जुलाई की वो सुबह... 

कैप्टन अंशुमान सिंह पिछले साल जुलाई महीने में सियाचिन ग्लेशियर में 26 मद्रास से अटैचमेंट पर 26 पंजाब बटालियन के 403 फील्ड में हॉस्पिटल में रेजिमेंटल मेडिकल ऑफिसर पद पर तैनात थे।

19 जुलाई 2023 यानी बुधवार की तड़के साढ़े तीन बजे सेना के गोला बारूद बंकर में शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लग गई। कई जवान बंकर में फंस गए थे। जवानों को बचाने के लिए अंशुमान सिंह बंकर में दाखिल हुए। उन्होंने तीन जवानों को सुरक्षित बाहर निकाला। इसी दौरान वो गंभीर रूप से झुलस गए। इसके बाद सभी जवानों को एयरलिफ्ट करते हुए चंडीगढ़ लाया गया, जहां कैप्टन अंशुमान सिंह वीर गति को प्राप्त हो गए।

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