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कावेरी जल विवाद को लेकर दिल्ली में आज CWMA की बैठक, कर्नाटक से 16,000 क्यूसेक पानी की मांग करेगा तमिलनाडु

दिल्ली में हुई कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (CWMA) की बैठक में तमिलनाडु के जल संसाधन मंत्री दुरई मुरुगन ने कावेरी नदी से 16000 क्यूसेक पानी छोड़ने की मांग की है। इससे पहले 11 अक्टूबर को हुई एक बैठक के बाद कावेरी जल विनियमन समिति ने कर्नाटक सरकार को 16 अक्टूबर से 31 अक्टूबर के बीच कावेरी से प्रतिदिन 3000 क्यूसेक पानी छोड़ना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था।

By AgencyEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Sat, 14 Oct 2023 04:03 PM (IST)
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कर्नाटक से 16,000 क्यूसेक पानी की मांग करेगा तमिलनाडु (Image: ANI)

एएनआई, चेन्नई (तमिलनाडु)। कावेरी जल बंटवारे विवाद पर हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच तमिलनाडु आज सीडब्ल्यूएमए बैठक में कर्नाटक से 16,000 क्यूसेक पानी की मांग की।

बता दें कि शुक्रवार को दिल्ली में कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (CWMA) की बैठक हुई। इसको लेकर तमिलनाडु के जल संसाधन मंत्री दुरई मुरुगन ने कहा था कि उनकी सरकार इस बैठक में कावेरी नदी से 16,000 क्यूसेक पानी छोड़ने की मांग करेगी।

तमिलनाडु और कर्नाटक आमने-सामने

चेन्नई में पत्रकारों को संबोधित करते हुए, मंत्री और डीएमके नेता दुरई मुरुगन ने कहा, 'आज दिल्ली में CWMA की बैठक में, हमारी सरकार कर्नाटक सरकार को कावेरी से प्रतिदिन 16,000 क्यूसेक पानी छोड़ने का तत्काल आदेश देने की मांग करेगी। उन्होंने आगे कहा कि तमिलनाडु में स्थित मेट्टूर बांध में केवल 10 टीएमसी (हजार मिलियन क्यूबिक फीट) पानी बचा है। गिरावट का स्तर इतना हो गया है कि हम यह निर्णय लेने में असमर्थ हैं कि हमें बांध से किसानों के लिए पानी छोड़ना चाहिए या इसे संरक्षित करना चाहिए।'

16 से 31 अक्टूबर तक पानी छोड़ने का दिया था निर्देश

इससे पहले 11 अक्टूबर को हुई एक बैठक के बाद कावेरी जल विनियमन समिति ने कर्नाटक सरकार को 16 अक्टूबर से 31 अक्टूबर के बीच कावेरी से प्रतिदिन 3,000 क्यूसेक पानी छोड़ना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। जल प्रबंधन प्राधिकरण कार्यक्रम ने इस आशय का एक बयान भी जारी किया। हालांकि, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि उनका राज्य सीडब्ल्यूआरसी के निर्देश को चुनौती देते हुए फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा।

सीडब्ल्यूआरसी के आदेश को देगी चुनौती

शिवकुमार ने कहा कि, 'वर्तमान में हमारे पास (राज्य के जलाशयों में) लगभग 8,000-9,000 क्यूसेक पानी का प्रवाह है। लेकिन, हमें अपने किसानों के हितों की रक्षा करनी है। हम सीडब्ल्यूआरसी के इस निर्देश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि हमें इस निर्देश का अनुपालन करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि राज्य के कई हिस्से सूखे जैसी स्थिति से जूझ रहे हैं।'

कर्नाटक सरकार ने किया दावा 

कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण शुक्रवार को अपनी बैठक में मध्यस्थता के लिए सीडब्ल्यूआरसी के निर्देश पर विचार करेगा। सीडब्ल्यूआरसी की बैठक में, कर्नाटक सरकार ने अनियंत्रित जलग्रहण क्षेत्र से पानी के अलावा बिलीगुंडलू (कर्नाटक-तमिलनाडु सीमा पर) में पानी छोड़ने में असमर्थता भी व्यक्त की।

कर्नाटक सरकार ने सीडब्ल्यूआरसी के समक्ष प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि 10 अक्टूबर तक उसके जलाशयों में संचयी प्रवाह में 50.891 प्रतिशत की भारी कमी आई है। इसमें कहा गया है कि इस कमी को अत्यधिक जल-मौसम संबंधी स्थितियों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

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कर्नाटक सरकार ने खटखटाया SC का दरवाजा

हालांकि, CWRC की बैठक में भी तमिलनाडु ने कर्नाटक सरकार से अगले 15 दिनों में 16,000 क्यूसेक पानी छोड़ने का आग्रह किया। इससे पहले, सितंबर में, कावेरी जल विनियमन समिति ने कर्नाटक को 28 सितंबर से 15 अक्टूबर तक बिलिगुंडलू में 3,000 क्यूसेक कावेरी पानी छोड़ना सुनिश्चित करने का आदेश दिया था।

कर्नाटक ने निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट और कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) में समीक्षा याचिका दायर की। कर्नाटक सरकार ने तमिलनाडु को कावेरी जल की आपूर्ति करने में असमर्थता के लिए राज्य के कुछ हिस्सों में गंभीर सूखे का हवाला दिया था।

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