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कावेरी जल विवाद: किसानों और कन्नड़ समर्थक संगठनों का विरोध प्रदर्शन, मांड्या में बंद का एलान; नहीं चलेंगी बसें

कावेरी नदी विवाद को लेकर मांड्या में किसानों और कन्नड़ समर्थक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया। सभी प्रदर्शनकारी सडकों पर लेट कर नारे लगाते नजर आ रहे है। यह मुद्दा दशकों से कर्नाटक-तमिलनाडु के बीच चल रहा है। कावेरी नदी के पानी के बंटवारे को लेकर दोनों के बीच लड़ाई चल रही है।कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण का आदेश न मानते हुए कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया है।

By AgencyEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Sat, 23 Sep 2023 09:17 AM (IST)
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मांड्या में किसानों और कन्नड़ समर्थक संगठनों का विरोध प्रदर्शन (Image: ANI)
बेंगलुरु, ANI। कर्नाटक में कावेरी नदी जल बंटवारे के मुद्दे पर किसानों और कन्नड़ समर्थक संगठनों ने शनिवार को (23 सिंतबर) मांड्या में विरोध प्रदर्शन किया। कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (CWMA) के आदेश में कर्नाटक सरकार से पड़ोसी राज्य तमिलनाडु को 15 दिनों के लिए 5000 क्यूसेक पानी छोड़ने के लिए कहा गया है। 

समाचार एजेंसी ANI द्वारा जारी किए गए वीडियो में सभी प्रदर्शनकारियों को सड़कों पर लेटे हुए और जोर-जोर से नारे लगाते हुए देखा जा रहा है। वहीं, किसानों और कन्नड़ समर्थक संगठनों द्वारा बुलाए गए 'बंद' के मद्देनजर मांड्या में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। गौरतलब है कि कार्यकर्ताओं और किसानों द्वारा बुलाई गई हड़ताल सुप्रीम कोर्ट द्वारा गुरुवार को कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करने के बाद आई है।

हड़ताल के बीच बंद का एलान

इस बीच, राज्य पुलिस ने हड़ताल के कारण उत्पन्न होने वाली किसी भी स्थिति से निपटने के लिए क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है। हड़ताल के बीच कथित तौर पर मद्दूर और तालुक केंद्र बंद रहेंगे, जिसके कारण बसें भी नहीं चलेंगी। वहीं, दुकानें बंद रहेंगी। केवल दूध, दवा और अस्पताल सहित आवश्यक सेवाएं खुली रहेंगी। 

DIG एम. बी. बोरालिंगैया ने ANI से बात करते हुए कहा कि कावेरी जल मुद्दे को लेकर मांड्या में विभिन्न संगठनों ने बंद का आह्वान किया है। इसको लेकर हमने व्यापक इंतजाम किए हैं। हमारे पास पर्याप्त बल है। रैपिड एक्शन फोर्स, कर्नाटक राज्य सशस्त्र रिजर्व पुलिस बल, जिला सशस्त्र रिजर्व सभी तैनात हैं।

क्यों कर रहे किसान विरोध प्रदर्शन?

कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (CWMA) ने राज्य को 13 सितंबर से 15 दिनों के लिए अपने पड़ोसी राज्य तमिलनाडु को 5000 क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश दिया है। इस आदेश के बाद से पूरे कर्नाटक में किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे पहले शुक्रवार को कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि सरकार राज्य के किसानों के हितों की रक्षा करेगी।

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दिल्ली में हुई थी बैठक

शिवकुमार ने कहा कि शुक्रवार को दिल्ली में हुई बैठक के दौरान कैबिनेट की बैठक में कावेरी जल वितरण के संबंध में अदालत के आदेश का पालन करने का निर्णय लिया गया। न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी जल विवाद में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा कि सीडब्ल्यूएमए और कावेरी जल विनियमन समिति (सीडब्ल्यूआरसी) दोनों नियमित रूप से हर 15 दिनों में पानी की आवश्यकताओं को पूरा और निगरानी कर रहे हैं।

दशकों से चल रहा यह मुद्दा

यह मामला दशकों से कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच एक विवादास्पद मुद्दा रहा है। कावेरी नदी के पानी के बंटवारे को लेकर उनके बीच लड़ाई चल रही है, जो क्षेत्र के लाखों लोगों के लिए सिंचाई और पीने के पानी का एक प्रमुख स्रोत है। तमिलनाडु के बीच विवादों का निपटारा करने के लिए केंद्र ने 2 जून 1990 को कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण (सीडब्ल्यूडीटी) का गठन किया था।

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