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'सशस्त्र बलों के लिए संयुक्त कार्य संस्कृति विकसित करने की जरूरत', पहले त्रि-सेवा सम्मेलन को CDS ने किया संबोधित

सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने सशस्त्र बलों के लिए एक संयुक्त कार्य संस्कृति विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इसमें प्रत्येक सेना की विशिष्टता का सम्मान करते हुए नए दृष्टिकोण के अनुरूप उसका सर्वोत्तम उपयोग किया जाए। अधिकारियों ने कहा कि सीडीएस ने भारत की सेनाओं को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए प्रत्येक सेना के सर्वश्रेष्ठ को विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

By Agency Edited By: Sonu Gupta Updated: Mon, 08 Apr 2024 10:30 PM (IST)
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सशस्त्र बलों के लिए संयुक्त कार्य संस्कृति विकसित करने की जरूरतः
पीटीआई, नई दिल्ली। सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने सोमवार को सशस्त्र बलों के लिए एक संयुक्त कार्य संस्कृति विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इसमें प्रत्येक सेना की विशिष्टता का सम्मान करते हुए नए दृष्टिकोण के अनुरूप उसका सर्वोत्तम उपयोग किया जाए।

सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने त्रि-सेवा सम्मेलन को किया संबोधित

ऐसा स्ट्रक्चर बनाकर प्रत्येक सेना की क्षमताओं को एकीकृत करने की जरूरत पर भी जोर देते हुए उन्होंने कहा कि ये दक्षता बढ़ाकर युद्ध लड़ने की क्षमता और अंतर संचालन को बढ़ाती हैं। जनरल चौहान भारतीय सेना के तीनों अंगों के बीच समन्वय और एकीकरण के प्रयासों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नई दिल्ली में आयोजित पहले त्रि-सेवा सम्मेलन 'परिवर्तन चिंतन' को संबोधित कर रहे थे।

तीनों सेवाओं के बीच समन्वय पर मंथन

सम्मेलन में मुख्य रूप से थिएटर कमांड को लागू करने की सरकार की महत्वाकांक्षी पहल के क्रियान्वयन से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। इसे रक्षा क्षेत्र में बड़े सुधार के रूप में देखा जा रहा है। इस सम्मेलन में तीनों सेवाओं के बीच समन्वय और एकीकरण को आगे बढ़ाने के लिए नए विचारों, पहलों और सुधारों पर विचार-मंथन किया गया।

सेनाओं को भविष्य के लिए तैयार करने पर जोर

अधिकारियों ने कहा कि सीडीएस ने भारत की सेनाओं को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए प्रत्येक सेना के सर्वश्रेष्ठ को विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस दौरान थिएटरीकरण पहल के रोडमैप पर भी चर्चा हुई।

एक इकाई के रूप में काम करेंगी तीनों सेनाएं

थिएटरीकरण योजना के अनुसार प्रत्येक थिएटर कमांड में सेना, नौसेना और वायु सेना की इकाइयां होंगी और वे सभी एक निर्दिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों की देखभाल के लिए एक इकाई के रूप में काम करेंगी। वर्तमान में थल सेना, नौसेना और वायु सेना की अलग-अलग कमान हैं। इस दौरान नागरिक और सैन्य दोनों क्षेत्रों में राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले राष्ट्रीय रणनीतिक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया गया।

रक्षा मंत्रालय ने क्या कहा?

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों ने भविष्य के युद्धों के लिए तैयार रहने के अपने प्रयासों के तहत बड़े परिवर्तनकारी बदलाव की शुरुआत की है। समन्वय और एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए नई पहलें की जा रही है और त्रि-सेवा मल्टी डोमेन ऑपरेशन को संभव बनाने के लिए स्ट्रक्चर में बदलाव लाया जा रहा है।

सम्मेलन में अंडमान और निकोबार कमान और सामरिक बल कमान के प्रमुख, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के कमांडेंट, डिफेंस सर्विसिज स्टाफ कॉलेज, रक्षा प्रबंधन कालेज, सैन्य प्रौद्योगिकी संस्थान के प्रमुख के साथ-साथ रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी, रक्षा साइबर एजेंसी और रक्षा संचार एजेंसी के मुखियाओं ने भाग लिया।

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