Agniveer Bharti: अग्निवीर भर्ती में अहम बदलावों पर सरकार कर रही विचार, मिल सकती हैं ये सुविधाएं
बदलाव के इन प्रस्तावों में अग्निवीरों की भर्ती की मौजूदा चार साल की अवधि को लगभग दो गुनी कर सात से आठ साल करने सैन्य जवानों के स्थाई कैडर में अग्निवीरों को वर्तमान के 25 फीसद से बढ़ा कर 60-70 प्रतिशत तक करने के सुझावों पर गौर किया जा रहा है। सुधार के प्रस्तावों के तहत अग्निवीरों को सैनिक की तरह दर्जा देने पर विचार किया जाएगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के दौरान सेना में अग्निवीर के रूप में भर्त्ती (Agniveer Bharti) की अग्निपथ योजना की खामियों के एक बड़ा मुद्दा बनने की पृष्ठभूमि में एनडीए सरकार अब इसमें सुधारों के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। इस क्रम में तीनों सेनाओं की ओर से अग्निवीरों की भर्ती प्रक्रिया के लिए दिए गए सुझावों के विकल्पों पर सकारात्मक नजरिए के साथ जरूरी बदलाव किए जाने की तैयारी के संकेत हैं।
बदलाव के इन प्रस्तावों में अग्निवीरों की भर्ती की मौजूदा चार साल की अवधि को लगभग दो गुनी कर सात से आठ साल करने, सैन्य जवानों के स्थाई कैडर में अग्निवीरों को वर्तमान के 25 फीसद से बढ़ा कर 60-70 प्रतिशत तक करने के सुझावों पर गौर किया जा रहा है। सुधार के प्रस्तावों के तहत अग्निवीरों को सैनिक की तरह दर्जा देने से लेकर सेवानिवृत्ति के समय ग्रेच्युटी जैसे वित्तीय प्रोत्साहन का लाभ दिए जाने पर भी विचार किया जाएगा।
अग्निपथ योजना को रद्द करने की कोई योजना नहीं
सैन्य बलों की ओर से सुधारों को लेकर दिए गए सुझावों का संकेत साफ है कि अग्निपथ योजना को रद्द करने की कोई योजना महीं है। मगर रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर सेना अग्निवीरों की भर्ती को पहले से कहीं ज्यादा आकर्षक और अपेक्षाकृत दीर्घकालिक बनाने को लेकर खुले मन से आवश्यक बदलाव करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। दो अहम लक्ष्यों को धुरी में रखते हुए ही किसी तरह का बदलाव लागू किया जाएगा।
अग्निवीर युवाओं का कैरियर तथा भविष्य सुरक्षित हो
इसमें पहला सबसे अहम बिंदु है कि तीनों सेनाओं की सशस्त्र मानव संसाधन क्षमता और कुशलता के साथ किसी तरह का समझौता न हो। दूसरा अग्निवीर के रूप में सैन्य बलों में आने वाले युवाओं का कैरियर तथा भविष्य सुरक्षित और सम्माजनक हो। समझा जाता है कि इन लक्ष्यों को ही धुरी में रखते हुए तीनों सेनाओं की ओर से अग्निवीर भर्ती में सुधार के लिए आंतरिक सर्वेक्षण अध्ययन कराए गए हैं। इस सर्वेक्षण अध्ययन की सिफारिशों में अग्निवीर योजना में कई बुनियादी बदलाव के प्रस्ताव दिए गए हैं। इसमें चार साल की अल्पवधि के लिए अग्निवीरों की नियुक्ति को बढ़ाकर सात-आठ साल तक करने का प्रस्ताव सबसे अहम है।
अवधि बढ़ाने से अग्निपथ स्कीम को लेकर युवाओं की शिकायतें कम होंगी
इसके पीछे तर्क यह है कि जहां अवधि बढ़ाने से अग्निपथ स्कीम को लेकर युवाओं की शिकायतें कम होंगी वहीं पांच साल से अधिक की नौकरी के बाद ग्रेच्युटी का लाभ देने के नियम का उन्हें वित्तीय लाभ मिल जाएगा। वर्तमान में 25 फीसदी अग्निवीरों को ही तीनों सेनाओं के स्थाई सैनिक के रूप में रखने के नियम में बदलाव कर इसे 60-70 फीसद करने का प्रस्ताव युवाओं के आकर्षण को और बढ़ाएगा। तकनीकी इकाईयों में भर्ती अग्निवीरों के लिए स्थाई रूप से सेना में रहने का यह चांस 75 प्रतिशत तक किया जा सकता है।
जंग में प्राण गंवाने वालों को शहीद का दर्जा देने की सिफारिश
अग्निवीर के जंग के मोर्चे पर प्राण गंवाने के बाद उसे शहीद का दर्जा देने से लेकर रिटायर होने के बाद पूर्व सैनिक के समान दर्जा दिए जाने की सिफारिशें भी सुधार प्रस्ताव में शामिल है। सेना की ओर से भी अग्निवीर की ट्रेनिंग और तैनाती से जुड़े कुछ मुद्दे हैं जिसमें वे बदलाव चाहती हैं। इस लिहाज से अग्निवीरों के प्रशिक्षण की वर्तमान 24 हफ्ते की अवधि को बढ़ाकर पहले की तरह 37 से 42 सप्ताह करने पर विचार किए जाने की बात कही गई है। ताकि अग्निवीर भी स्थाई सैनिकों की तरह पूरी सैन्य निपुणता और कौशल हासिल कर मोर्चे पर तैनात किए जाएं।
रिटायर होने के बाद वैकल्पिक कैरियर को बेहतर बनाने की सिफारिश
अग्निवीर के रूप में सेना से रिटायर होने के बाद उनके वैकल्पिक कैरियर के अवसरों को बेहतर बनाने के लिए भी कुछ सिफारिशें की गई हैं। इसमें अर्द्धसैनिक बलों में एक निश्चित कोटा देने के साथ अग्निवीर के रूप में दी गई सेवा अवधि को नई सेवा में उनकी वरिष्ठता का हिस्सा बनाने जैसे सुझाव दिए गए हैं। वैसे सेनाओं की ओर से आधिकारिक तौर पर अभी यह प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को नहीं सौपा गया है मगर समझा जाता है कि जल्द ही इसे केंद्र सरकार के 10 मंत्रालयों के सचिवों की एक समिति के सामने ये सिफारिशें रखी जाएंगी।
राजनाथ सिंह ने समीक्षा करने की घोषणा की थी
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अग्निपथ स्कीम की आलोचनाओं को देखते हुए इसकी समीक्षा करने की घोषणा की थी। हालांकि चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल अनिल चौहान ने लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद मार्च महीने में एक कॉनक्लेव में अग्निपथ का बचाव करते हुए कहा था कि सेना में इसको लेकर कोई दिक्कत नहीं है। सीडीएस ने यह भी कहा था कि सेनाओं के भीतर नहीं बल्कि बाहर अग्निवीर के खिलाफ आवाज उठाई जा रही है। जबकि अग्निवीरों की तैनाती से लेकर उनसे काम लेने वाले सेना के कमांडिंग अफसरों को कोई चुनौती नहीं है।
कांग्रेस ने सैनिकों की पुरानी भर्ती प्रक्रिया की बहाली का वादा किया
हालांकि इसके बावजूद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव के दौरान सेना में अग्निवीर के रूप में भर्ती को सेना और देश के युवाओं दोनों के लिए खतरनाक बताते हुए मोदी सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए इसे एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना दिया। कांग्रेस ने तो अपने घोषणापत्र में अग्निवीर भर्ती योजना खत्म कर सेना में सैनिकों की भर्ती की पुरानी प्रक्रिया की बहाली का वादा तक कर दिया।
कांग्रेस और राहुल ने अग्निवीर के सवाल पर अपने रूख पर कायम
चुनाव नतीजों में सत्ता से दूर रह जाने के बाद भी कांग्रेस और राहुल ने अग्निवीर के सवाल पर अपने रूख को छोड़ा नहीं है एनडीए सरकार की तीसरी पारी के शपथ से पहले ही उसे दो प्रमुख घटक दलों जदयू और लोजपा ने भी अग्निवीर भर्ती की समीक्षा की पैरोकारी की थी। इन सबको देखते हुए अग्निवीर योजना को बेहतर बनाने के लिए इसमें सुधारों और बदलावों को आने वाले समय में अमलीजामा पहनाए जाने की पूरी संभावनाएं हैं।
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