रोबोटिक्स के लिए सरकार तैयार कर रही राष्ट्रीय रणनीति; चीन, जापान और अमेरिका को पीछे छोड़ने की तैयारी
सेमीकंडक्टर के बाद भारत अब रोबोटिक्स की दुनिया का भी बड़ा खिलाड़ी बनने की तैयारी कर रहा है। रोबोट के निर्माण से लेकर विभिन्न सेक्टर में रोबोटिक्स को अपनाने के मामले में अभी भारत चीन जापान अमेरिका जर्मनी दक्षिण कोरिया जैसे देशों से काफी पीछे है। यही वजह है कि सरकार रोबोटिक्स के लिए राष्ट्रीय रणनीति लेकर आ रही है।
राजीव कुमार, नई दिल्ली। सेमीकंडक्टर के बाद भारत अब रोबोटिक्स की दुनिया का भी बड़ा खिलाड़ी बनने की तैयारी कर रहा है। रोबोट के निर्माण से लेकर विभिन्न सेक्टर में रोबोटिक्स को अपनाने के मामले में अभी भारत चीन, जापान, अमेरिका, जर्मनी, दक्षिण कोरिया जैसे देशों से काफी पीछे है। यही वजह है कि सरकार रोबोटिक्स के लिए राष्ट्रीय रणनीति लेकर आ रही है।
रोबोटिक्स को अपनाने के लिए वित्तीय सहायता
इसके तहत रोबोट बनाने से लेकर रोबोटिक्स को अपनाने तक के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी। रोबोट के निर्माण के लिए जरूरी कच्चे माल के लेकर इस सेक्टर में अनुसंधान व विकास का एक पूरा इकोसिस्टम तैयार किया जाएगा। इस प्रकार के काम के लिए रोबोटिक्स इनोवेशन यूनिट (आरआईयू) की स्थापना की जाएगी, जो भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन स्वतंत्र एजेंसी के रूप में काम करेगी।
घरेलू स्तर पर रोबोटिक्स से जुड़ी वैल्यू चेन को स्थापित करने, फंडिंग व संस्थागत मदद जैसे सभी प्रकार के काम आरआईयू करेगी। रोबोट के इस्तेमाल को लेकर भी सरकार योजना बना रही है और हो सकता है भविष्य में रोबोटिक्स औद्योगिक जोन विकसित किए जा सकते हैं, जहां सिर्फ रोबोट ही औद्योगिक उत्पादन करेगा। मुख्य रूप से कृषि, हेल्थकेयर, औद्योगिक उत्पादन और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में रोबोटिक्स का इस्तेमाल किया जाएगा।
भारत को भविष्य को देखकर उठाना होगा कदम
आने वाले समय में जनसंख्या व कुशल श्रमिकों की कमी, लागत संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिए रोबोटिक्स पद्धति तेजी से अपनाए जाएंगे। अगर भारत अभी से इसके लिए तैयार नहीं रहा तो हमें रोबोट के लिए आयात पर निर्भर रहना होगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के रोबोटिक्स के इस्तेमाल से इसकी कार्य क्षमता व कुशलता और बढ़ जाएगी।
रोबोट को बनाने में एडवांस टेक्नोलॉजी के साथ एक्चुएटर्स, मोटर्स, गियरबॉक्स, पीसीबी, चिप्स, बैट्री व सेंसर जैसे आइटम का उपयोग होता है। अभी इन चीजों की आपूर्ति के लिए घरेलू स्तर पर सप्लाई चेन विकसित नहीं हो सकी है। आयात पर निर्भरता से रोबोट महंगा पड़ेगा। इसलिए सरकार इन कच्चे माल व रोबोट के निर्माण के लिए इंसेंटिव दे सकती है।
आत्मनिर्भर भारत को मिलेगा बल
वहीं, भारत में निर्मित रोबोट के निर्यात प्रोत्साहन के लिए भी सरकार इंसेंटिव देने पर विचार कर सकती है। भारत में अभी मरीजों के आपरेशन करने से लेकर ऑटोमोबाइल सेक्टर में रोबोट का इस्तेमाल शुरू हो गया है, लेकिन चीन व अमेरिका के मुकाबले हम काफी पीछे हैं।
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रोबोटिक्स (आईएफआर) के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर में 30 लाख औद्योगिक रोबोट मैन्यूफैक्चरिंग के कार्य से जुड़े हैं। इनमें से 78 प्रतिशत रोबोट चीन, जापान, अमेरिका, जर्मनी व दक्षिण कोरिया में काम कर रहे हैं। औद्योगिक क्षेत्र में रोबोट के इस्तेमाल में चीन सबसे आगे है। चीन ने वर्ष 2022 में 2.7 लाख से अधिक रोबोट को अपने मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर से जोड़ा है।
भारत में सभी सेक्टर को मिलाकर लगभग 33,000 रोबोट कार्यरत है। सर्विस सेक्टर में रोबोट की भारी मांग निकल रही है। आईएफआर के मुताबिक प्रोफेशनल्स सर्विस रोबोट का कारोबार 6.7 अरब डॉलर तक पहुंच चुका था। 2021 में प्रोफशनल्स सर्विस रोबोट की 1.2 लाख यूनिट की बिक्री हुई।