प्रदूषण से बिगड़े हालात पर हुई बैठक में दिल्ली ने सुझाया लाकडाउन लगाने का विकल्प
दिल्ली और आसपास के इलाकों में बढ़ते प्रदूषण के समाधान के लिए आज केंद्र के साथ चार राज्यों की आपात बैठक है। इसमें उन विकल्पों को तलाशा जाएगा जिससे प्रदूषण को रोकने में मदद मिल सकेगी। कल इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट में दी जाएगी।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 16 Nov 2021 04:35 PM (IST)
नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में बढ़ते प्रदूषण के स्तर पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख सभी के सामने है। अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मंगलवार को केंद्र इस मुद्दे पर पड़ोसी राज्यों के साथ एक आपात बैठक हुई है। इसमें कमीशन एयर क्वालिटी मैनेजमेंट और एनसीआर राज्यों और पंजाब के चीफ सेक्रेट्री शामिल हुए।
इसकी जानकारी देते हुए दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि सरकार ने रेड लाइट आन गाड़ी आफ कैंपेन को 15 दिनों के लिए आगे बढ़ा दिया है। पहले ये कैंपेन 18 नवंबर तक था। इसका दूसरा चरण 19 नवंबर से 3 दिसंबर तक होगा। उन्होंंने ये भी कहा कि बैठक में दिल्ली ने साफ कर दिया है कि सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला सुनाएगा उसको निश्चिततौर पर लागू किया जाएगा।
उन्होंने ये भी कहा कि बैठक में दिल्ली ने लाकडाउन का भी विकल्प सुझाया है। गोपाल राय का कहना था कि हालात खराब हो रहे हैं। ऐसे में लोगों को घरों से काम करने की छूट दी जानी चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि दिल्ली ने कदम उठाते हुए अपने सरकारी दफ्तरों को बंद कर दिया है।
इस बैठक के नतीजों के आधार पर प्रदूषण से लड़ने की कार्ययोजना तैयार कर केंद्र को उसे बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश करना है। बुधवार को इस मामले में अगली सुनवाई है। इस बैठक में पर्यावरण, वन और क्लाइमेट चेंज मंत्रालय के सेक्रेट्री आरपी गुप्ता भी शामिल हैं। बता दें कि सीएक्यूएम दिल्ली-एनसीआर के राज्यों समेत राजस्थान की एयर क्वालिटी पर नजर रखता है। सोमवार को पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने भी बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर एक बैठक की थी।
इससे पहले शनिवार और फिर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बिगड़ते हालातों पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से पूछा था कि वो कोर्ट को बताए कि प्रदूषण को रोकने के लिए उन्होंने क्या कदम उठाए हैं। हालांकि कोर्ट में चली सुनवाई के दौरान ही दोनों सरकारों के बीच खींचतान भी दिखाई दी। केंद्र की तरफ से इस मामले में पेश सालिसिटर जनरल का कहना था कि दिल्ली सरकार विज्ञापन के ऊपर बेतहाशा खर्च कर रही है, जबकि प्रदूषण को रोकने का उपाय नहीं कर रही है। वहीं दिल्ली सरकार का कहना था कि पड़ोसी राज्यों में जलाई जा रही पराली की वजह से दिल्ली की हवा खराब हो रही है। इस पर केंद्र की तरफ से कहा गया था कि पराली का प्रदूषण में अधिकतम दस फीसद का ही योगदान होता है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछली सुनवाई में सुझाए गए लाकडाउन के विकल्प पर सोमवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने अपनी सहमति जताई थी। एक हलफनामे में दिल्ली सरकार ने कहा कि इसका एक मात्र विकल्प लाकडाउन ही है। साथ ही दिल्ली सरकार की तरफ से ये भी अपील की गई थी कि ये लाकडाउन केवल दिल्ली में ही नहीं होना चाहिए बल्कि आसपास के इलाकों में भी होना चाहिए। इसका फायदा तभी हो सकता है। कोर्ट ने गाडि़यों की आवाजाही को रोकने का भी विकल्प सरकारों को सुझाया था।
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