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देश के गन्ना किसानों को केंद्र का तोहफा, खरीद मूल्य में 25 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी; केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में फैसला

भारत के गन्ना किसानों को पहले ही दुनिया में सबसे ज्यादा कीमत दी जा रही है। फिर भी सरकार घरेलू उपभोक्ताओं को सबसे सस्ती चीनी उपलब्ध करा रही है। सरकार के इस फैसले के बाद अब चीनी मिलें गन्ने की एफआरपी 10.25 प्रतिशत की रिकवरी पर 340 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान करेंगी। प्रत्येक 0.1 प्रतिशत की अधिक रिकवरी पर किसानों को 3.32 रुपये की अतिरिक्त कीमत मिलेगी।

By Jagran News Edited By: Amit Singh Updated: Thu, 22 Feb 2024 04:30 AM (IST)
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केंद्र ने गन्ने के खरीद मूल्य में 25 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने किसानों के हित में बड़ा फैसला लेते हुए गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में सत्र 2024-25 के लिए प्रति क्विंटल 25 रुपये की वृद्धि की है। पहले गन्ने का प्रति क्विंटल खरीद मूल्य 315 रुपये था। अब यह बढ़कर 340 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने बुधवार को यह निर्णय लिया।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने इसे गन्ने की ऐतिहासिक कीमत बताया और कहा कि सत्र 2023-24 के गन्ने की एफआरपी से यह लगभग आठ प्रतिशत और लागत से 107 प्रतिशत अधिक है। नया एफआरपी 10 फरवरी से प्रभावी होगा। इससे गन्ना किसानों की आमदनी में इजाफा होगा। केंद्र सरकार के इस फैसले से पांच करोड़ से अधिक गन्ना किसानों और चीनी क्षेत्र से जुड़े लाखों अन्य लोगों को फायदा होगा। यह फैसला किसानों की आय दोगुनी करने की मोदी की गारंटी को पूरा करने में भी सहायक होगा।

उल्लेखनीय है कि भारत के गन्ना किसानों को पहले से ही दुनिया में गन्ने की सबसे ज्यादा कीमत दी जा रही है। फिर भी सरकार घरेलू उपभोक्ताओं को सबसे सस्ती चीनी उपलब्ध करा रही है। सरकार के इस फैसले के बाद अब चीनी मिलें गन्ने की एफआरपी 10.25 प्रतिशत की रिकवरी पर 340 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान करेंगी। प्रत्येक 0.1 प्रतिशत की अधिक रिकवरी पर किसानों को 3.32 रुपये की अतिरिक्त कीमत मिलेगी, जबकि 0.1 प्रतिशत की कमी होने पर समान राशि की कटौती की जाएगी।

अनुराग ठाकुर ने बताया कि पिछले दस वर्षों में मोदी सरकार ने किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य उचित समय पर दिलाने का प्रयास किया है। पिछले सत्र यानी 2022-23 का 99.5 प्रतिशत गन्ना बकाये का भुगतान कर दिया गया है। सरकार के नीतिगत हस्तक्षेप के चलते चीनी मिलें भी आत्मनिर्भर हो गई हैं और अब उन्हें कोई वित्तीय सहायता नहीं दी जा रही है।

पशुधन बीमा में लगेगा सिर्फ 15 प्रतिशत प्रीमियम

केंद्र सरकार ने पशुधन बीमा को भी सरल बनाया है। पशुपालकों को अब प्रीमियम के हिस्से का 15 प्रतिशत ही देना होगा। शेष राशि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा 60 और 40 के अनुपात में देय होगी। पहाड़ी राज्यों में केंद्र सरकार 90 प्रतिशत प्रीमियम देगी। बीमा किए जाने वाले पशुओं की अधिकतम संख्या भी बढ़ा दी गई है। भेड़ और बकरी के लिए पांच मवेशी की जगह अब संख्या 10 कर दी गई है। इससे पशुपालकों को न्यूनतम राशि चुकाकर अपने बहुमूल्य पशुओं का बीमा कराने में सुविधा होगी। केंद्रीय कैबिनेट ने राष्ट्रीय पशुधन मिशन को विस्तार दिया है।

घोड़ा, गधा, खच्चर एवं ऊंट से संबंधित उद्यमिता के लिए व्यक्तियों, एफपीओ एवं कंपनियों को अब 50 लाख तक की सहायता दी जाएगी, जिसकी लगभग आधी राशि अनुदान की होगी। साथ ही इन पशुओं के नस्ल संरक्षण के लिए भी सहायता दी जाएगी। नस्ल में सुधार एवं प्रजनन फार्म के लिए 10 करोड़ रुपये तक की मदद दी जाएगी। इसके अतिरिक्त चारा बीज प्रसंस्करण, भंडारण एवं चारागाह को प्रोत्साहित करने के लिए निजी कंपनियों, स्टार्ट-अप, एफपीओ एवं सहकारी समितियों को 50 लाख तक की पूंजी 50 प्रतिशत की सब्सिडी पर दी जाएगी।

इससे चारा से संबंधित आधारभूत संरचना विकसित की जा सकती है। शेष राशि की व्यवस्था लाभार्थी द्वारा बैंकों या अपने स्तर से की जा सकती है। चारागाह क्षेत्रों को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार को गैर-वन भूमि, बंजर, गैर कृषि योग्य भूमि में विस्तार के लिए सहायता दी जाएगी। इससे देश में चारे की उपलब्धता बढ़ेगी।