वायनाड त्रासदी के बाद एक्शन में केंद्र, 56 हजार वर्ग किमी क्षेत्र को इको सेंसिटिव घोषित करने के लिए जारी की मसौदा अधिसूचना
पश्चिमी घाट के लगभग 57000 वर्ग किलोमीटर को लेकर पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र (Ecologically Sensitive Area) घोषित करने के लिए केंद्र ने एक ड्राफ्ट अधिसूचना जारी की है। इस क्षेत्र में वायनाड के 13 गांव और केरल राज्य का लगभग 10000 वर्ग किलोमीटर शामिल है। वायनाड में हुए भीषण त्रासदी के पीछे अनियंत्रित व्यावसायीकरण को शुरुआती तौर पर जिम्मेदार माना गया है।
पीटीआई, नई दिल्ली। केरल के वायनाड जिले में 30 जुलाई को हुए भूस्खलन में अब तक करीब 300 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। वहीं, इस हादसे में अब तक 210 शव बरामद कर लिए गए हैं, जबकि अभी भी करीब 300 लोग लापता हैं। प्राकृतिक आपदा के तीन दिन बाद भी बचाव दल जीवित लोगों का पता लगाने के लिए लगातार अभियान चला रहा है।
ड्राफ्ट में क्या है प्रस्ताव?
वहीं, इस हादसे के बाद केंद्र सरकार भी एक्शन में आ गई है। पश्चिमी घाट के लगभग 56,800 वर्ग किलोमीटर को लेकर पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र (Ecologically Sensitive Area) घोषित करने के लिए केंद्र ने एक ड्राफ्ट अधिसूचना जारी की है। इस क्षेत्र में वायनाड के 13 गांव और केरल राज्य का लगभग 10,000 वर्ग किलोमीटर शामिल है। इस मसौदे में पश्चिमी घाट के करीब 36 प्रतिशत हिस्से को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील घोषित करने का प्रस्ताव है।
वायनाड के 13 गांव शामिल
मसौदा अधिसूचना में कहा गया है कि नागरिकों को इस बारे में टिप्पणी करने के लिए दो माह का समय दिया गया है। प्रस्तावित ईएसए में गुजरात में 449 वर्ग किमी, महाराष्ट्र में 17,340 वर्ग किमी, गोवा में 1,461 वर्ग किमी, कर्नाटक में 20,668 वर्ग किमी, तमिलनाडु में 6,914 वर्ग किमी और केरल में 9,993.7 वर्ग किमी शामिल है। मसौदा अधिसूचना में खनन, उत्खनन और रेत खनन पर पूर्ण प्रतिबंध का सुझाव है।प्रस्ताव के मुताबिक, इसमें केरल का 9,994 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र शामिल होगा, जिसमें अकेले वायनाड के 13 गांव भी शामिल होंगे। इसमें प्रतिबंधित क्षेत्र में वाणिज्यिक गतिविधियों पर रोक लगाने की बात कही गई है।
नई ताप विद्युत परियोजनाओं पर भी लगी रोक
साथ ही मौजूदा खदानों को अंतिम अधिसूचना जारी होने की तारीख से या मौजूदा खनन पट्टे की समाप्ति पर, जो पहले हो, पांच साल के भीतर चरणबद्ध तरीके से बंद कर दिया जाएगा। इसमें नई ताप विद्युत परियोजनाओं पर भी रोक लगाई गई है। इसमें कहा गया है कि मौजूदा परियोजनाएं चालू रह सकती हैं, लेकिन विस्तार की अनुमति नहीं होगी।मौजूदा इमारतों की मरम्मत और नवीनीकरण को छोड़कर बड़े पैमाने पर निर्माण परियोजनाओं और टाउनशिप को भी प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव है। सभी मौजूदा स्वास्थ्य सेवा प्रतिष्ठान काम करना जारी रख सकते हैं और प्रस्तावित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कानूनों और विनियमों के अनुसार स्थापित किए जा सकते हैं। संपत्ति के स्वामित्व को बदलने पर कोई प्रतिबंध प्रस्तावित नहीं है।