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'मासिक धर्म अवकाश पर नीति बनाए केंद्र', SC ने महिलाओं के लिए पीरियड्स के दौरान छुट्टी पर पॉलिसी तैयार करने का दिया निर्देश

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि यह केंद्र और सभी राज्य सरकारों को विचार करना है कि क्या वे छात्राओं और अपने कार्यबल में शामिल महिलाओं के लिए मासिक धर्म अवकाश की नीति बना सकते हैं। जनहित याचिका में देश भर में मासिक धर्म के दौरान छात्राओं और कामकाजी महिलाओं को मासिक अवकाश देने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है।

By Jagran News Edited By: Babli Kumari Updated: Mon, 08 Jul 2024 10:30 PM (IST)
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सुप्रीम कोर्ट ने मासिक धर्म अवकाश पर सरकार को आदर्श नीति बनाने का दिया निर्देश (फाइल फोटो)
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह राज्यों और अन्य पक्षों के साथ परामर्श कर महिला कर्मचारियों के लिए मासिक धर्म अवकाश पर एक मॉडल नीति तैयार करे। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि यह मुद्दा नीति से संबंधित है और अदालतों के विचार करने के लिए नहीं है।

इसके अलावा महिलाओं को ऐसी छुट्टी देने के संबंध में अदालत का निर्णय प्रतिकूल और हानिकारक साबित हो सकता है, क्योंकि नियोक्ता उन्हें काम पर रखने से परहेज कर सकते हैं। पीठ ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि इस तरह की छुट्टी अधिक महिलाओं को कार्यबल का हिस्सा बनने के लिए कैसे प्रोत्साहित करेगी? इस तरह की छुट्टी अनिवार्य करने से महिलाएं कार्यबल से दूर हो जाएंगी। हम ऐसा नहीं चाहते।

'इस मामले पर नीतिगत स्तर पर विचार करें'

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, याचिकाकर्ता का कहना है कि मई 2023 में केंद्र को एक आवेदन सौंपा गया था। चूंकि, मुद्दा सरकारी नीति के विविध उद्देश्यों को उठाता है, इसलिए इस अदालत के पास हमारे पिछले आदेश के संदर्भ में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है।

हालांकि, पीठ ने याचिकाकर्ता और वकील शैलेंद्र त्रिपाठी की तरफ से पेश वकील राकेश खन्ना को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव तथा अतिरिक्त सालिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी के पास जाने की अनुमति दे दी। पीठ ने कहा, हम सचिव से अनुरोध करते हैं कि वह इस मामले पर नीतिगत स्तर पर विचार करें और सभी पक्षों से परामर्श करने के बाद देखें कि क्या एक माडल नीति बनाई जा सकती है।

मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों के वितरण पर नीति अंतिम चरण में

केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि स्कूल जाने वाली किशोरियों को मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों के वितरण पर राष्ट्रीय नीति तैयार करने का काम अंतिम चरण में है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पार्डीवाला की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी की दलीलों पर गौर किया और नीति तैयार करने के लिए दो महीने का समय देने के उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया।

कक्षा छह से 12 तक की छात्राओं को मुफ्त सैनिटरी पैड देने की मांग 

शीर्ष अदालत कांग्रेस नेता और सामाजिक कार्यकर्ता जया ठाकुर की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र और राज्यों को कक्षा छह से 12 तक की छात्राओं को मुफ्त सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने और सभी सरकारी सहायता प्राप्त और आवासीय स्कूलों में अलग से महिला शौचालय सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

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