तीन नए कानूनों के संसद के शीत सत्र में पारित होने के आसार बढ़े, विधेयकों में कई संशोधनों की सिफारिश किए जाने की संभावना
अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे आपराधिक कानून भारतीय दंड संहिता दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदलने के लिए लाए गए तीनों नए विधेयकों के संसद के शीत सत्र में पारित होने के आसार बढ़ गए हैं। सूत्रों ने कहा है कि समिति विधेयकों में कई संशोधनों की सिफारिश कर सकती है। समिति हिंदी नामों पर अड़ी रह सकती है।
पीटीआई, नई दिल्ली। अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे आपराधिक कानून भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदलने के लिए लाए गए तीनों नए विधेयकों के संसद के शीत सत्र में पारित होने के आसार बढ़ गए हैं। भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम संबंधित विधेयकों की जांच कर रही संसदीय समिति सोमवार को बैठक करेगी। इस बैठक में समिति विधेयकों से संबंधित मसौदा रिपोर्ट को स्वीकार कर सकती है। इसके बाद विधेयकों को संसद के शीत सत्र में पारित किया जा सकता है।
सूत्रों ने कहा है कि समिति विधेयकों में कई संशोधनों की सिफारिश कर सकती है। समिति हिंदी नामों पर अड़ी रह सकती है। हालांकि, हिंदी नामों का द्रमुक सहित विपक्षी सांसदों ने विरोध किया है। द्रमुक ने प्रस्तावित कानूनों के लिए अंग्रेजी नाम की भी मांग की है। गृह संबंधी स्थायी समिति 27 अक्टूबर को विधेयकों के मसौदा रिपोर्ट को नहीं अपना सकी, क्योंकि कुछ विपक्षी सदस्यों ने विधेयकों का अध्ययन करने के वास्ते अधिक समय देने के लिए दबाव डाला था। कुछ विपक्षी सदस्यों ने समिति के अध्यक्ष बृज लाल से विधेयकों पर विस्तार से विचार के लिए तीन महीने का और समय मांगने का आग्रह किया था।
सूत्रों के मुताबिक, विपक्षी सदस्यों ने कहा कि समिति को अगले कुछ दिनों या नवंबर तक अंतिम रिपोर्ट नहीं अपनानी चाहिए। सूत्रों के अनुसार, एक विपक्षी सांसद ने पत्र में कहा था,
अगर हम ऐसा करते हैं तो हम विधायी जांच की प्रक्रिया का मजाक उड़ाएंगे।
कब होगी समिति की बैठक?
हालांकि, भाजपा सूत्रों ने कहा कि समिति व्यापक परामर्श प्रक्रिया में जुटी है और तीन महीने की अपनी तय समय सीमा में प्रक्रिया पूरी करेगी। सदस्यों को भेजे गए नोटिस के अनुसार, समिति की बैठक छह नवंबर को होगी। विपक्ष के कुछ सदस्यों के विरोध के बावजूद समिति मसौदा रिपोर्ट अपना सकती है।
गृह मंत्री अमित शाह ने मानसून सत्र में लोकसभा में 11 अगस्त को भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लाने से संबंधित विधेयक पेश करते हुए कहा था कि अंग्रेजों के जमाने के कानूनों का मूल उद्देश्य दंड देना था, जबकि प्रस्तावित कानूनों का उद्देश्य न्याय देना है।
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शाह के अनुरोध पर तीनों विधेयकों को पड़ताल के लिए गृह मंत्रालय से संबंधित स्थायी समिति को भेज दिया गया। समिति को तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा था।