Chandigarh Mayor Election: इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने किसी शहर का घोषित किया मेयर, ऐसे पलटी 'आप' की किस्मत
सुप्रीम कोर्ट ( Chandigarh mayor election ) ने भाजपा उम्मीदवार मनोज कुमार सोनकर को मेयर चुनाव में विजयी घोषित करने का पीठासीन अधिकारी मसीह का चुनाव नतीजा रद कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने अदालत में गलत बयानी और कदाचार के लिए मसीह के विरुद्ध आपराधिक मुकदमा चलाने का आदेश दिया है। यह दुर्लभ मामला होगा जब देश की शीर्ष अदालत ने किसी शहर का मेयर घोषित किया हो।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महत्वपूर्ण घटनाक्रम में आम आदमी पार्टी (आप) के पार्षद कुलदीप कुमार को चंडीगढ़ का मेयर घोषित कर दिया। शीर्ष अदालत ने कुलदीप कुमार की मेयर चुनाव में धांधली के आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पाया कि पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने आठ मत पत्रों को गलत तरीके से अवैध ठहराया था। वे सभी मत सही थे और उन सभी में कुलदीप कुमार को वोट दिया गया था।
पहली बार देश की शीर्ष अदालत ने किसी शहर का मेयर घोषित किया
सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा उम्मीदवार मनोज कुमार सोनकर को मेयर चुनाव में विजयी घोषित करने का पीठासीन अधिकारी मसीह का चुनाव नतीजा रद कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने अदालत में गलत बयानी और कदाचार के लिए मसीह के विरुद्ध आपराधिक मुकदमा चलाने का आदेश दिया है।यह दुर्लभ मामला होगा, जब देश की शीर्ष अदालत ने किसी शहर का मेयर घोषित किया हो। चुनाव में धांधली के इस मौजूदा मामले में चुनावी लोकतंत्र की शुचिता बहाल रखने में कोर्ट की जिम्मेदारी का जिक्र करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि लोकतंत्र को संरक्षित रखना कोर्ट का कर्तव्य है। अदालत यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है कि लोकतंत्र की प्रक्रिया बाधित न हो।यह आदेश प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने दिए।
आठ मतों को किया अवैध और अमान्य घोषित
कुलदीप कुमार ने पीठासीन अधिकारी पर मेयर चुनाव में धांधली करने और गलत तरीके से आठ मतों को अवैध घोषित करने का आरोप लगाया था। मालूम हो कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव में पीठासीन अधिकारी ने आठ मतों को अवैध और अमान्य ठहरा दिया था जिससे कुल 36 मतों की संख्या घटकर 28 रह गई थी। पीठासीन अधिकारी ने 28 मतों में भाजपा उम्मीदवार मनोज कुमार सोनकर को 12 के मुकाबले 16 मतों से विजयी घोषित कर दिया था। जिन आठ मतों को अवैध और अमान्य घोषित किया गया था वे सभी मत आप उम्मीदवार कुलदीप कुमार को मिले थे।
वीडियो में मतपत्रों को विरूपित करते दिखाई दे रहे
मेयर चुनाव में हारने के बाद कुलदीप कुमार ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनाव नतीजों पर रोक लगाने की मांग की थी, लेकिन हाई कोर्ट ने रोक आदेश जारी नहीं किया था और मामले को तीन सप्ताह बाद सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट से अंतरिम राहत न मिलने पर कुलदीप कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिस पर कोर्ट ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया।सुप्रीम कोर्ट ने पांच फरवरी और 19 फरवरी को हुई पिछली सुनवाइयों में मतगणना के दिन का वीडियो देखने के बाद पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह के आचरण पर तीखी टिप्पणियां की थीं। पांच फरवरी को कोर्ट ने यहां तक कहा था कि वह वीडियो में मतपत्रों को विरूपित करते दिखाई दे रहे हैं, यह लोकतंत्र की हत्या है।
यह लोकतंत्र की हत्या
सुप्रीम कोर्ट ने अनिल मसीह को स्पष्टीकरण देने के लिए कोर्ट में तलब किया था और उनसे इस ताकीद के साथ सवाल-जवाब किए थे कि उन्हें सही जवाब देने होंगे, अगर उन्होंने गलत कहा तो उसके परिणाम भुगतने होंगे। कोर्ट ने मतपत्र, मतगणना के दिन की पूरी वीडियो रिकार्डिंग व अन्य सामग्री कोर्ट में मंगा ली थी। शीर्ष अदालत ने गलत आचरण और कोर्ट में गलत बयानी के लिए अनिल मसीह को नोटिस जारी करने और सीआरपीसी की धारा-340 के तहत आपराधिक कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि पीठासीन अधिकारी के रूप में अनिल मसीह का आचरण गंभीर कदाचार था। यह साबित होता है कि पीठासीन अधिकारी ने जानबूझकर मतपत्रों को विरूपित किया था।कोर्ट ने विशेष शक्तियों के तहत सुनाया फैसला
शीर्ष कोर्ट ने नए सिरे से चुनाव कराने की मांग पर कहा कि मनोज कुमार सोनकर ने इस्तीफा दे दिया है तो फिर नए सिरे से चुनाव कराने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने पाया कि विवाद मतगणना का है जो पीठासीन अधिकारी के आचरण को लेकर है। शीर्ष अदालत ने चुनावी लोकतंत्र की रक्षा में अदालत की जिम्मेदारी समझते हुए और मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए संविधान के अनुच्छेद-142 में मिली विशेष शक्तियों के तहत यह फैसला सुनाया है।मसीह की दलीलों से सहमत नहीं हुआ कोर्ट
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह का बचाव किया और कहा कि ध्यान से देखा जाए तो एक मतपत्र पर छोटा सा ¨बदु लगा हुआ है और कुछ दूसरे मतपत्र मुड़े हुए थे इसलिए उन्होंने उन मतपत्रों को अमान्य करार दिया था। यह उनकी समझ थी। उनकी समझ सही या गलत हो सकती है, लेकिन उन्हें इसके लिए भगोड़ा या चोर नहीं माना जा सकता। हालांकि कोर्ट दलीलों से सहमत नहीं हुआ।तीन स्थितियों में अमान्य हो सकता है मत
कोर्ट ने आदेश में लिखाया कि नियमों के तहत सिर्फ तीन स्थितियों में किसी मत को अमान्य करार दिया जा सकता है और उनमें से कोई भी स्थिति इस मामले में नहीं थी। ये तीन स्थितियां हैं- पहली, मतदाता ने एक से ज्यादा लोगों को वोट किया हो। दूसरी, मतपत्र पर कोई निशान हो। तीसरा, मतपत्र पर जो चिह्न हो उससे यह भ्रम होता हो कि किसे मत दिया गया है।कब क्या हुआ
- प्रशासन ने अनिल मसील को पीठासीन अधिकारी बनाते हुए मेयर चुनाव की घोषणा की।
- 18 जनवरी : पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह की तबियत खराब होने के बाद मेयर चुनाव रद।
- 18 जनवरी : आप-कांग्रेस ने जल्द चुनाव करवाने के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की।
- 19 जनवरी : हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रशासन को नोटिस, इसके बाद प्रशासन ने छह फरवरी को चुनाव की नई तारीख घोषित की।
- 24 जनवरी : हाई कोर्ट ने 30 जनवरी को चुनाव कराने का आदेश दिया।
- 30 जनवरी : चुनाव में आठ वोट अवैध होने के बाद भाजपा के मनोज सोनकर मेयर बने।
- 30 जनवरी : आप-कांग्रेस ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाकर हाई कोर्ट में फिर अर्जी लगाई।
- 31 जनवरी : हाई कोर्ट ने चुनाव पर रोक लगाने की मांग नहीं मानी।
- 03 फरवरी : हाई कोर्ट के आदेश को आप ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
- 05 फरवरी : सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन पर कड़ी टिप्पणी की। कहा- लोकतंत्र की हत्या हुई है।
- 19 फरवरी : सुप्रीम कोर्ट में पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह से सवाल-जवाब किए।
- 20 फरवरी : सुप्रीम कोर्ट ने पीठासीन अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का आदेश किया और आप के कुलदीप कुमार को मेयर घोषित किया।