गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में बढ़ रहे चांदीपुरा वायरस और एईएस के मामले, तैनात की जा रही केंद्रीय टीम
गुजरात राजस्थान और मध्य प्रदेश में चांदीपुरा वायरस और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के मामले बढ़ रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुजरात राजस्थान और मध्य प्रदेश में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम और चांदीपुरा वायरस के मामलों को लेकर विशेषज्ञों के साथ मिलकर समीक्षा की। जांच में गुजरात राज्य की सहायता के लिए केंद्रीय टीम तैनात की जा रही है ताकि इसकी रोकथान की जा सके।
पीटीआई, नई दिल्ली। गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में चांदीपुरा वायरस और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के मामले बढ़ रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम और चांदीपुरा वायरस के मामलों को लेकर विशेषज्ञों के साथ मिलकर समीक्षा की।
केंद्रीय टीम तैनात की जा रही
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक, डीजीएचएस अतुल गोयल ने एम्स, कलावती सरन बाल चिकित्सालय और राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं स्नायु विज्ञान संस्थान के विशेषज्ञों तथा केंद्रीय और राज्य निगरानी इकाइयों के अधिकारियों के साथ शुक्रवार को चांदीपुरा वायरस और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) मामलों की समीक्षा की।
विस्तृत चर्चा के बाद विशेषज्ञों ने उन्होंने गुजरात में मिले एईएस मामलों की विस्तृत जांच की आवश्यकता पर बल दिया। जांच में गुजरात राज्य की सहायता के लिए केंद्रीय टीम तैनात की जा रही है।
एईएस कई अलग-अलग वायरस, बैक्टीरिया, कवक, रसायन/विषैले पदार्थों आदि के कारण होता है। इसमें तेज बुखार और मस्तिष्क में सूजन आ जाती है, वहीं चांदीपुरा वायरस से बुखार होता है, जिसके लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इससे मस्तिष्क में सूजन आ जाती है। यह वायरस मच्छरों, मक्खियों, कीट-पतंगों द्वारा फैलता है।
चांदीपुर गांव में हुई सबसे पहले मौतें
दरअसल महाराष्ट्र के नागपुर के चांदीपुर गांव में वर्ष 1966 में 15 साल तक के बच्चों की मौत होने लगी थी। पता चला कि मौतें वायरस से हुईं। तभी से इस वायरस का नाम चांदीपुर वायरस पड़ गया।जून 2024 की शुरुआत से, गुजरात में 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के मामले सामने आए हैं। 20 जुलाई 2024 तक एईएस के 78 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 75 गुजरात के 21 जिलों/निगमों से, दो राजस्थान से और एक मध्य प्रदेश से है। इनमें से 28 मामलों में मौत हो चुकी है।