चंद्रमा पर कैसे बन रहा पानी? अमेरिका के वैज्ञानिकों ने किया खुलासा, भारत के चंद्रयान-1 से है खास कनेक्शन
अमेरिका के मनोआ में हवाई विश्वविद्यालय (यूएच) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व वाली टीम ने चंद्रयान-1 के रिमोट सेंसिंग डेटा का एनालिसिस किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि पृथ्वी की प्लाज्मा शीट में इलेक्ट्रॉन चंद्रमा की सतह पर अपक्षय प्रक्रियाओं यानी चट्टानों और खनिजों के टूटने या घुलने में मदद कर रहे हैं। नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में इसे लेकर एक शोध प्रकाशित किया गया है।
नई दिल्ली, पीटीआई। भारत के पहले चंद्र मिशन चंद्रयान-1 (Chandrayaan-1) ने चांद की सतह पर पानी (Water) का पता लगाया था। यह मिशन आज भी वैज्ञानिकों के बीच चर्चा और शोध का विषय बना हुआ है। हाल ही में चंद्रयान-1 मिशन के रिमोट सेंसिंग डेटा का विश्लेषण किया गया तो वैज्ञानिकों ने पाया कि पृथ्वी के उच्च ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉन (Electron) चंद्रमा पर पानी बनने में मददगार हो सकते हैं।
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने किया डेटा का विश्लेषण
अमेरिका के मनोआ में हवाई विश्वविद्यालय (यूएच) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व वाली टीम ने चंद्रयान-1 के रिमोट सेंसिंग डेटा का एनालिसिस किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि पृथ्वी की प्लाज्मा शीट में इलेक्ट्रॉन चंद्रमा की सतह पर अपक्षय प्रक्रियाओं यानी चट्टानों और खनिजों के टूटने या घुलने में मदद कर रहे हैं।
नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में प्रकाशित हुआ शोध
नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में इसे लेकर एक शोध प्रकाशित किया गया है। इस शोध में पाया गया कि इलेक्ट्रॉन चंद्र पिंड पर पानी का निर्माण करने में मदद किए होंगे।
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बर्फ की उत्पत्ति को समझने में मिलेगी मदद
शोधकर्ताओं ने कहा कि नई खोज पहले खोजी गई पानी की बर्फ की उत्पत्ति को समझाने में भी मददगार हो सकती है। मालूम हो कि चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर पानी के अणुओं की खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह चंद्रयान कार्यक्रम के तहत पहला भारतीय मिशन था।
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ऐसा माना जाता है कि सौर हवा, जो प्रोटॉन जैसे उच्च ऊर्जा कणों से मिलकर बनी होती है और चंद्रमा की सतह पर बमबारी करती है, चंद्रमा पर पानी बनने के प्राथमिक तरीकों में से एक है।
'मुझे घोर आश्चर्य हुआ'
यूएच मनोआ स्कूल ऑफ ओशन के सहायक शोधकर्ता शुआई ली ने कहा कि 2008 और 2009 के बीच चंद्रयान-1 मिशन पर एक इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर, मून मिनरलॉजी मैपर उपकरण द्वारा इकट्ठा किए गए रिमोट सेंसिंग डेटा का विश्लेषण करने पर मुझे घोर आश्चर्य हुआ। पता चला कि पृथ्वी के मैग्नेटोटेल में पानी का निर्माण लगभग उस समय के समान है, जब चंद्रमा पृथ्वी के मैग्नेटोटेल के बाहर था। यह इस बात की ओर इशारा करता है कि मैग्नेटोटेल में पानी के नए स्रोत हो सकते हैं।
चंद्रयान-1 को कब लॉन्च किया गया?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो ने अक्टूबर 2008 में चंद्रयान-1 को लॉन्च किया था। यह अगस्त 2009 तक संचालित किया गया। मिशन में एक ऑर्बिटर और एक इम्पैक्टर शामिल था। भारत ने पिछले महीने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रयान -3 की सफल लैंडिंग कर इतिहास रच दिया।