चंद्रमा पर कैसे बन रहा पानी? अमेरिका के वैज्ञानिकों ने किया खुलासा, भारत के चंद्रयान-1 से है खास कनेक्शन
अमेरिका के मनोआ में हवाई विश्वविद्यालय (यूएच) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व वाली टीम ने चंद्रयान-1 के रिमोट सेंसिंग डेटा का एनालिसिस किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि पृथ्वी की प्लाज्मा शीट में इलेक्ट्रॉन चंद्रमा की सतह पर अपक्षय प्रक्रियाओं यानी चट्टानों और खनिजों के टूटने या घुलने में मदद कर रहे हैं। नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में इसे लेकर एक शोध प्रकाशित किया गया है।
By AgencyEdited By: Achyut KumarUpdated: Fri, 15 Sep 2023 02:56 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआई। भारत के पहले चंद्र मिशन चंद्रयान-1 (Chandrayaan-1) ने चांद की सतह पर पानी (Water) का पता लगाया था। यह मिशन आज भी वैज्ञानिकों के बीच चर्चा और शोध का विषय बना हुआ है। हाल ही में चंद्रयान-1 मिशन के रिमोट सेंसिंग डेटा का विश्लेषण किया गया तो वैज्ञानिकों ने पाया कि पृथ्वी के उच्च ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉन (Electron) चंद्रमा पर पानी बनने में मददगार हो सकते हैं।
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने किया डेटा का विश्लेषण
अमेरिका के मनोआ में हवाई विश्वविद्यालय (यूएच) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व वाली टीम ने चंद्रयान-1 के रिमोट सेंसिंग डेटा का एनालिसिस किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि पृथ्वी की प्लाज्मा शीट में इलेक्ट्रॉन चंद्रमा की सतह पर अपक्षय प्रक्रियाओं यानी चट्टानों और खनिजों के टूटने या घुलने में मदद कर रहे हैं।
नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में प्रकाशित हुआ शोध
नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में इसे लेकर एक शोध प्रकाशित किया गया है। इस शोध में पाया गया कि इलेक्ट्रॉन चंद्र पिंड पर पानी का निर्माण करने में मदद किए होंगे। यह भी पढ़ें: ISRO Chandrayaan Mission: चंद्रयान-1 ने अंतरिक्ष में पानी का लगाया था पता, नासा ने भी थपथपाई थी भारत की पीठ
बर्फ की उत्पत्ति को समझने में मिलेगी मदद
शोधकर्ताओं ने कहा कि नई खोज पहले खोजी गई पानी की बर्फ की उत्पत्ति को समझाने में भी मददगार हो सकती है। मालूम हो कि चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर पानी के अणुओं की खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह चंद्रयान कार्यक्रम के तहत पहला भारतीय मिशन था।यह भी पढ़ें: चंद्रमा और सूर्य के बाद अब समुद्र की गहराई नापने की तैयारी, अगले साल मिशन 'समुद्रयान' का होगा पहला परीक्षण
ऐसा माना जाता है कि सौर हवा, जो प्रोटॉन जैसे उच्च ऊर्जा कणों से मिलकर बनी होती है और चंद्रमा की सतह पर बमबारी करती है, चंद्रमा पर पानी बनने के प्राथमिक तरीकों में से एक है।