Chandrayaan 2 पहुंचा इतिहास रचने के करीब, जानें- अब तक के सफर के अहम पड़ाव
Mission Chandrayaan-2 छह-सात सितंबर की रात करीब दो बजे चांद की सतह पर लैंड करेगा। उसका अब तक का सफर बेहद रोचक और चुनौतियों से भरा रहा है। जानें- कब क्या हुआ?
By Amit SinghEdited By: Updated: Fri, 06 Sep 2019 12:33 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। चांद पर पहुंचने के लिए शुरू किया गया भारत का 48 दिवसीय मिशन पूरा होने में अब 48 घंटे से भी कम समय बचा है। भारत का चंद्रयान-2 इतिहास रचने के बेहद करीब पहुंच चुका है। छह-सात सितंबर की रात करीब दो बजे चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह पर उतरकर इतिहास रच देगा। मिशन की तमाम बाधाओं को सफलतापूर्वक पार करने की वजह से Moon Mission (मून मिशन) के सफल होने की उम्मीदें काफी बढ़ चुकी हैं। आइये- जानते हैं चंद्रयान-2 के अब तक के सफर में कौन-कौन से अहम पड़ाव आए हैं?
इस यान के तीन हिस्से हैं
चंद्रयान-2 के तीन हिस्से हैं, ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर। भारत में अंतरिक्ष विज्ञान के जनक कहे जाने वाले विक्रम साराभाई के नाम पर इसके लैंडर का नाम विक्रम रखा गया है। वहीं रोवर का नाम प्रज्ञान है, जो संस्कृत का शब्द है। इसका अर्थ होता है ज्ञान। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर, सालभर चांद का चक्कर लगाते हुए प्रयोगों को अंजाम देगा। लैंडर और रोवर चांद की सतह पर कुल 14 दिन तक प्रयोग करेंगे।
चंद्रयान-2 के तीन हिस्से हैं, ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर। भारत में अंतरिक्ष विज्ञान के जनक कहे जाने वाले विक्रम साराभाई के नाम पर इसके लैंडर का नाम विक्रम रखा गया है। वहीं रोवर का नाम प्रज्ञान है, जो संस्कृत का शब्द है। इसका अर्थ होता है ज्ञान। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर, सालभर चांद का चक्कर लगाते हुए प्रयोगों को अंजाम देगा। लैंडर और रोवर चांद की सतह पर कुल 14 दिन तक प्रयोग करेंगे।
15 बाधाओं को किया पार
चंद्रयान-2 ने अपने 48 दिन के सफर में से लगभग 46 दिन पूरे कर लिए हैं। इस दौरान चंद्रयान-2 ने मिशन की 15 बड़ी बाधाओं को सफलतापूर्व पार कर लिया है। अब चांद पर सफल लैडिंग इसकी अंतिम बाधा है। माना जा रहा है कि चंद्रयान-2 पहले की सभी बाधाओं की तरह ही चंद्रमा पर सफल लैंडिंग की अंतिम चरण भी आसानी से पूरा कर लेगा। 11 साल पहले भेजा था चंद्रयान-1
11 साल पहले चंद्रयान-1 के रूप में भारत ने चांद की ओर पहला मिशन भेजा था। यह एक ऑर्बिटर मिशन था, जिसने 10 महीने चांद का चक्कर लगाया था। चांद पर पानी की खोज का श्रेय भारत के इसी अभियान को जाता है। अब चंद्रयान-2 इसी उपलब्धि की आगे की कड़ियां जोड़ेगा और चांद के पानी व विभिन्न खनिजों की उपस्थिति के प्रमाण जुटाएगा।
चंद्रयान-2 ने अपने 48 दिन के सफर में से लगभग 46 दिन पूरे कर लिए हैं। इस दौरान चंद्रयान-2 ने मिशन की 15 बड़ी बाधाओं को सफलतापूर्व पार कर लिया है। अब चांद पर सफल लैडिंग इसकी अंतिम बाधा है। माना जा रहा है कि चंद्रयान-2 पहले की सभी बाधाओं की तरह ही चंद्रमा पर सफल लैंडिंग की अंतिम चरण भी आसानी से पूरा कर लेगा। 11 साल पहले भेजा था चंद्रयान-1
11 साल पहले चंद्रयान-1 के रूप में भारत ने चांद की ओर पहला मिशन भेजा था। यह एक ऑर्बिटर मिशन था, जिसने 10 महीने चांद का चक्कर लगाया था। चांद पर पानी की खोज का श्रेय भारत के इसी अभियान को जाता है। अब चंद्रयान-2 इसी उपलब्धि की आगे की कड़ियां जोड़ेगा और चांद के पानी व विभिन्न खनिजों की उपस्थिति के प्रमाण जुटाएगा।
15 जुलाई को होना था लॉच
चंद्रयान-2 को 15 जुलाई की सुबह 2:51 बजे लांच करने की तैयारी थी। हालांकि उस दिन लांचिंग से 56 मिनट पहले रॉकेट में कुछ गड़बड़ी दिखने के कारण अभियान को टाल दिया गया था। वैज्ञानिकों का कहना था कि ऐसे अभियान में देरी स्वीकार्य है, लेकिन खामी नहीं। ऐसे हर अभियान से देश के करोड़ों लोगों की उम्मीद जुड़ी होती है। जरा सी खामी अभियान को खतरे में डाल सकती है। 22 जुलाई को किया गया लॉच
चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019 को राजस्थान के श्रीहरिकोटा स्थित विक्रम साराभाई स्पेस एंड रिसर्च संस्थान (इसरो) से दोपहर 2:43 बजे लॉच किया गया था। इसरो के बाहुबली रॉकेट ने प्रक्षेपण के ठीक 16 मिनट बाद ही यान को सुरक्षित तरीके से पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिया था। इसके बाद यान ने रॉकेट से अलग होकर चंद्रमा की तरफ अपना सफर शुरू कर दिया। चंद्रयान-2 मिशन का महत्व
- भारत के लिए : चांद पर यान उतारने वाला चौथा देश बन जाएगा भारत
- इसरो के लिए : दुनिया के सामने अपनी मेधा और क्षमता को साबित करने का मौका
- दुनिया के लिए : पृथ्वी के निर्माणक्रम से लेकर हमारे सौरमंडल को समझने का खुलेगा रास्ताचंद्रयान-2 का सफर
- धरती के इर्द-गिर्द : 1 से 23वें दिन तक
- चांद की ओर रवाना : 23वें दिन
- चांद के सफर पर : 23वें से 30वें दिन
- चांद की कक्षा में प्रवेश : 30वें दिन
- चांद के इर्द-गिर्द : 30वें से 42वें दिन
- लैंडर-ऑर्बिटर का अलगाव : 43वें दिन
- रफ्तार धीमी करने की प्रक्रिया : 44वें दिन
- नियंत्रित लैंडिंग की प्रक्रिया : 48वें दिन
- लैंडिंग : 48वें दिन (छह-सात सितंबर की रात करीब दो बजे)चांद पर घर बनाने का सपना होगा सच
16 साल पहले चांद पर पांच एकड़ का प्लॉट खरीदने वाले हैदराबाद के राजीव वी. बागडी को उम्मीद है कि चंद्रयान-2 अभियान की सफलता से उनका चांद पर घर बनाने का सपना साकार होगा। राजीव ने न्यूयार्क स्थित लूनर सोसाइटी इंटरनेशनल से 2003 में 140 डॉलर में चांद पर पांच एकड़ का प्लॉट खरीदा था। राजीव ने कहा, चंद्रयान-2 अभियान पूरी मानवता के लिए अच्छा है।चांद पर पहुंचने वाला चौथा देश होगा भारत
सात सितंबर की सुबह करीब दो बजे जैसे ही चांद की सतह पर चंद्रयान-2 के लैंडर-रोवर कदम रखेंगे, भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। अब तक केवल अमेरिका, रूस और चीन ने ही अपने यान चांद पर उतारे हैं। हालांकि, भारत अपने यान को चांद के उस हिस्से में उतराने वाला है; जहां आज तक कोई देश नहीं पहुंचा। चांद के हिस्से में हर वक्त अंधेरा रहता है। संभावना है कि यहां पानी, बर्फ और ऑक्सीजन मिल सकता है। पूरी दुनिया को है उम्मीद
भारत ने अपने पहले मिशन चंद्रयान-1 में कई अहम खोज की थी। इस मिशन में भारत ने ही चांद पर बर्फ और पानी की मौजूदगी का खुलासा किया था। ये जानकारी पूरी दुनिया के लिए काफी अहम साबित हुई थी। अब भारत चांद के उस हिस्से में अपने यान को उतारने जा रहा है, जहां कई नए रहस्यों का खुलासा हो सकता है। इस वजह से भारत के इस मिशन पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। चंद्रयान-2 की सफल लॉचिंग पर ही नासा ने इसरो को बधाई दी थी। नासा चंद्रयान-2 की पल-पल की गतिविधि पर नजर रखे हुए है।अमेरिका ने भी भेजा है पेलोड
अमेरिका ने जब चांद की सतह पर मानव भेजने का अभियान पूरा कर लिया था, उसके करीब महीने भर बाद 15 अगस्त, 1969 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्थापना की गई थी। आज भारतीय वैज्ञानिकों ने अपनी मेधा से उस ऊंचाई को छू लिया है कि चंद्रयान-2 के साथ अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी अपना पेलोड भेजा है। जितने खर्च में हॉलीवुड की हालिया ब्लॉकबस्टर मूवी 'अवेंजर्स : एंडगेम' बनी थी, उससे तिहाई खर्च में इसरो ने चंद्र अभियान को अंजाम दिया है।यह भी पढ़ें:
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Chandrayaan 2: गरीब किसान के घर में जन्में रॉकेटमैन के. सिवन की रॉकेट जैसी कहानी
चंद्रयान-2 को 15 जुलाई की सुबह 2:51 बजे लांच करने की तैयारी थी। हालांकि उस दिन लांचिंग से 56 मिनट पहले रॉकेट में कुछ गड़बड़ी दिखने के कारण अभियान को टाल दिया गया था। वैज्ञानिकों का कहना था कि ऐसे अभियान में देरी स्वीकार्य है, लेकिन खामी नहीं। ऐसे हर अभियान से देश के करोड़ों लोगों की उम्मीद जुड़ी होती है। जरा सी खामी अभियान को खतरे में डाल सकती है। 22 जुलाई को किया गया लॉच
चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019 को राजस्थान के श्रीहरिकोटा स्थित विक्रम साराभाई स्पेस एंड रिसर्च संस्थान (इसरो) से दोपहर 2:43 बजे लॉच किया गया था। इसरो के बाहुबली रॉकेट ने प्रक्षेपण के ठीक 16 मिनट बाद ही यान को सुरक्षित तरीके से पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिया था। इसके बाद यान ने रॉकेट से अलग होकर चंद्रमा की तरफ अपना सफर शुरू कर दिया। चंद्रयान-2 मिशन का महत्व
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- चांद की ओर रवाना : 23वें दिन
- चांद के सफर पर : 23वें से 30वें दिन
- चांद की कक्षा में प्रवेश : 30वें दिन
- चांद के इर्द-गिर्द : 30वें से 42वें दिन
- लैंडर-ऑर्बिटर का अलगाव : 43वें दिन
- रफ्तार धीमी करने की प्रक्रिया : 44वें दिन
- नियंत्रित लैंडिंग की प्रक्रिया : 48वें दिन
- लैंडिंग : 48वें दिन (छह-सात सितंबर की रात करीब दो बजे)चांद पर घर बनाने का सपना होगा सच
16 साल पहले चांद पर पांच एकड़ का प्लॉट खरीदने वाले हैदराबाद के राजीव वी. बागडी को उम्मीद है कि चंद्रयान-2 अभियान की सफलता से उनका चांद पर घर बनाने का सपना साकार होगा। राजीव ने न्यूयार्क स्थित लूनर सोसाइटी इंटरनेशनल से 2003 में 140 डॉलर में चांद पर पांच एकड़ का प्लॉट खरीदा था। राजीव ने कहा, चंद्रयान-2 अभियान पूरी मानवता के लिए अच्छा है।चांद पर पहुंचने वाला चौथा देश होगा भारत
सात सितंबर की सुबह करीब दो बजे जैसे ही चांद की सतह पर चंद्रयान-2 के लैंडर-रोवर कदम रखेंगे, भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। अब तक केवल अमेरिका, रूस और चीन ने ही अपने यान चांद पर उतारे हैं। हालांकि, भारत अपने यान को चांद के उस हिस्से में उतराने वाला है; जहां आज तक कोई देश नहीं पहुंचा। चांद के हिस्से में हर वक्त अंधेरा रहता है। संभावना है कि यहां पानी, बर्फ और ऑक्सीजन मिल सकता है। पूरी दुनिया को है उम्मीद
भारत ने अपने पहले मिशन चंद्रयान-1 में कई अहम खोज की थी। इस मिशन में भारत ने ही चांद पर बर्फ और पानी की मौजूदगी का खुलासा किया था। ये जानकारी पूरी दुनिया के लिए काफी अहम साबित हुई थी। अब भारत चांद के उस हिस्से में अपने यान को उतारने जा रहा है, जहां कई नए रहस्यों का खुलासा हो सकता है। इस वजह से भारत के इस मिशन पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। चंद्रयान-2 की सफल लॉचिंग पर ही नासा ने इसरो को बधाई दी थी। नासा चंद्रयान-2 की पल-पल की गतिविधि पर नजर रखे हुए है।अमेरिका ने भी भेजा है पेलोड
अमेरिका ने जब चांद की सतह पर मानव भेजने का अभियान पूरा कर लिया था, उसके करीब महीने भर बाद 15 अगस्त, 1969 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्थापना की गई थी। आज भारतीय वैज्ञानिकों ने अपनी मेधा से उस ऊंचाई को छू लिया है कि चंद्रयान-2 के साथ अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी अपना पेलोड भेजा है। जितने खर्च में हॉलीवुड की हालिया ब्लॉकबस्टर मूवी 'अवेंजर्स : एंडगेम' बनी थी, उससे तिहाई खर्च में इसरो ने चंद्र अभियान को अंजाम दिया है।यह भी पढ़ें:
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