Move to Jagran APP

Chandrayaan 2: लैंडर विक्रम से भले संपर्क टूट गया, लेकिन इसरो ने रचा इतिहास

Chandrayaan 2 चंद्रमा की सतह से महज 2.1 किमी या कहें दो कदम दूर लैंडर से संपर्क टूटा बावजूद इसरो ने अंतरिक्ष मिशन में नया इतिहास रच दिया। इसरो मुख्यालय में पीएम मोदी ने कहा...

By Amit SinghEdited By: Updated: Sat, 07 Sep 2019 10:34 PM (IST)
Hero Image
Chandrayaan 2: लैंडर विक्रम से भले संपर्क टूट गया, लेकिन इसरो ने रचा इतिहास
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन था। चांद पर उतर रहे लैंडर विक्रम से भले ही संपर्क टूट गया, लेकिन सवा अरब भारतीयों की उम्मीदें नहीं टूटी हैं। मून मिशन (Moon Mission) भले पूरा नहीं हुआ, लेकिन इस अभियान के जरिये इसरो ने जो उपलब्धि हासिल की है, वह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। चंद्रयान-2 में इसरो अपने मिशन से महज दो कदम दूर रह गया। मिशन भले अधूर रह गया हो, लेकिन सवा अरब देशवासियों को पूरा भरोसा है कि भारत को मून मिशन में कामयाबी जरूर मिलेगी। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि इसरो के साथ यह ख्याति जुड़ी है कि उसने लिए हर चुनौती एक अवसर होती है।

ISRO मुख्यालय में पीएम बोले
इसरो ने कई प्रयास के बाद मध्य रात्रि करीब सवा दो बजे बताया कि लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया है। यह एक झटका जरूर था, लेकिन इसरो में मौजूद पीएम मोदी ने वैज्ञानिकों का भरोसा बढ़ाया और उनके प्रयासों की सराहना करते हुए हौसलाअफजाई की। पीएम मोदी ने कहा, 'देश को अपने वैज्ञानिकों पर गर्व है। वे देश की सेवा कर रहे हैं। आगे भी हमारी यात्रा जारी रहेगी। मैं पूरी तरह वैज्ञानिकों के साथ हूं। हिम्मत बनाए रखें, जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं।'

2.1 किमी पर टूटा संपर्क
चांद से 2.1 किलोमीटर की दूरी तक लैंडर से संपर्क बना रहा था। इसके बाद वैज्ञानिक लैंडर से दोबारा संपर्क नहीं साध पाए। इसरो का कहना है कि लैंडिंग के अंतिम क्षणों में जो डाटा मिला है, उसके अध्ययन के बाद ही संपर्क टूटने का कारण पता चल सकेगा। इस मौके पर इसरो के बेंगलुरु स्थित मुख्यालय में मौजूद रहे प्रधानमंत्री मोदी ने वैज्ञानिकों से अपडेट लिया। इसरो प्रमुख सिवन जब पीएम को अपडेट दे रहे थे, तभी साथी वैज्ञानिकों ने सांत्वना में उनकी पीठ थपथपाई।

अंतिम मिनट पर के. सिवन के भाव
इसके बाद से ही अभियान को लेकर चिंता बढ़ गई। लैंडिंग देख रहे इसरो प्रमुख के. सिवन के चेहरे के भाव उस पिता जैसे हो गए थे, जिसके बेटे का सबसे बड़ा इम्तिहान हो। सिवन ने 22 जुलाई 2019 को चंद्रयान की लांचिंग के मौके पर कहा था, हमारे लिए आखिरी के 15 मिनट आतंक के पल होंगे। उनकी चिंता सही साबित हुई। मंजिल बस दो कदम दूर थी, लेकिन आखिरी मौके पर जीत हाथ से फिसल गई। इसरो मुख्यालय में पूरी रात वैज्ञानिक डाटा एनालिसिस कर, लैंडिंग के असफल होने की वजह तलाशते रहे।

उम्मीदें अब भी कायम
लैंडर-रोवर से संपर्क भले ही टूट गया है, लेकिन ऑर्बिटर से उम्मीदें अभी भी कायम हैं। लैंडर-रोवर को दो सितंबर को ऑर्बिटर से सफलतापूर्वक अलग किया गया था। ऑर्बिटर अब भी चांद से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर कक्षा में सफलतापूर्वक चक्कर लगा रहा है। इसरो को उससे संकेत और जरूरी डाटा प्राप्त हो रहे हैं।

चंद्रयान-2 के अंतिम पल
1:38 बजे रफ ब्रेकिंग की प्रक्रिया शुरू हुई। इसकी प्रोग्रामिंग पहले से चंद्रयान में की गई थी।
1:40 बजे चांद की सतह से 30 किमी दूर मौजूद विक्रम लैंडर ने नियंत्रित रूप से उतरना शुरू किया।
1:40 बजे जब चंद्रयान ने चांद की सतह पर उतरने की शुरूआत की उसकी रफ्तार 6 किमी प्रति सेकेंड मतलब 21600 किमी प्रति घंटे थी।
1:48 बजे रफ्तार धीमी करने को फाइन ब्रेक्रिंग शुरू। इसकी भी प्रक्रिया पहले से चंद्रयान में प्रोग्राम की गई थी।
1:48 बजे जब फाइन ब्रेक्रिंग प्रक्रिया शुरू हुई, चंद्रमा से लैंडर की दूरी मात्र 7.4 किमी थी।
1:51 बजे लैंडर से आंकड़े मिलने बंद हो गए।

चंद्रयान-2 का पूरा सफर
22 जुलाई 2019 को इसरो के रॉकेट बाहुबली (जीएसली-मार्क 3) से हुई थी चंद्रयान-2 की लांचिंग।
23 दिन तक पृथ्वी की अलग-अलग कक्षाओं में परिक्रमा लगाता रहा चंद्रयान-2।
14 अगस्त 2019 को लूनर ट्रांसफर ट्रेजेक्टरी पर भेजा गया चंद्रयान-2।
20 अगस्त 2019 को चांद की कक्षा में सफलतापूर्वक किया प्रवेश।
01 सितंबर 2019 को चांद की निकटतम कक्षा में पहुंचाया गया चंद्रयान-2।
02 सितंबर 2019 को लैंडर-रोवर को ऑर्बिटर से अलग किया गया।
04 सितंबर 2019 तक दो बार कक्षा में बदलाव करते हुए लैंडर-रोवर को चांद की नजदीकी कक्षा में लाया गया।