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Chandrayaan 2 launch: अब 22 जुलाई को लॉन्च होगा भारत का मिशन मून-2

अब 22 जुलाई को लॉन्च होगा भारत का चंद्रयान-2 इससे पहले 15 जुलाई तकनीकी खामी के चलते टाला गया था प्रक्षेपण

By Digpal SinghEdited By: Updated: Thu, 18 Jul 2019 11:48 AM (IST)
Chandrayaan 2 launch: अब 22 जुलाई को लॉन्च होगा भारत का मिशन मून-2
बेंगलुरु, एएनआइ। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-2 की लॉन्च होने की नई तारीख दे दी है। इसरो के मुताबिक, अब 22 जुलाई 2019 को दोपहर 2 बजकर 43 मिनट पर चंद्रयान-2 लॉन्च किया जाएगा। बता दें, 15 जुलाई 2019 को तकनीकी खराबी के कारण इसरो ने भारत की इस महत्वकांक्षी परियोजना की लॉन्चिंग टाल दी थी। इसरो ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इस बात की घोषणा की है।

Chandrayaan 2 मिशन को 18 सितंबर 2008 को मंजूरी मिली थी। करीब 8 साल बाद 2016 में इस मिशन के लिए टेस्ट को शुरू किया गया। ISRO ने इस साल मई में Chandrayaan 2 के लॉन्च के बारे में घोषणा किया था। इसके लिए 9 जुलाई से लेकर 16 जुलाई का टाइम लाइन तय किया गया था। इस मिशन की खास बात यह है कि इसमें एक ऑर्बिटर, एक लैंडर (जिसका नाम विक्रम रखा गया है) और एक रोवर (जिसका नाम प्रज्ञान रखा गया है) होगा। इस मिशन का मुख्य उदेश्य चन्द्रमा पर सॉफ्ट लैंड करना और उसकी सतह का अध्ययन करना होगा। यह मिशन पहले के किए गए मून मिशन का अगला पड़ाव होगा।

Chandrayaan 2 दुनिया का पहला ऐसा मिशन होगा जो चन्द्रमा के साउथ पोलर रीजन में सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। यही नहीं यह भारत का पहला ऐसा मिशन है जो पूरी तरीके से विकसित स्वदेशी तकनीक के साथ चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। इस मिशन के साथ ही भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश बन जाएगा जो चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। एक्सपेरिमेंट की बात करें तो इसमें जिन प्लेलोड्स के इस्तेमाल किए गए हैं वो चन्द्रमा की सतह पर ट्रोपोग्राफी, मिनरल आइडेंटिफिकेशन (खनिज का पता लगागा) और इसके डिस्ट्रीब्यूशन (फैलाव), मिट्टी की थर्मो-फिजिकर कैरेक्टर, सर्फेस केमिकल कम्पोजिशन और चन्द्रमा के वातावरण का अध्ययन करेंगे।

Chandrayaan 2 के लैंडर विक्रम की बात करें तो यह चन्द्रयान को चन्द्रमा की सतह पर 6 सितंबर तक सुरक्षित लैंड कराएगा। इस प्रोजेक्ट की लाइफ, मिशन कंपोनेंट्स ऑर्बिटर करीब 1 साल में फंक्शनल (सक्रिय) हो जाएगा। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का मिशन एक ल्यूनर डे (धरती के हिसाब से 14 दिन) में पूरा होगा। इसका ऑर्बिटर कुल 8 साइंटिफिक प्लेलोड कैरी करता है जो ल्यूनर सर्फेस (चांद की सतह) का अध्ययन करेंगे। इसके अलावा ये ऑर्बिटर चन्द्रमा के वातावरण के बारे में भी जानकारी हासिल करेंगे। इसके ऑर्बिटर का वजन 2,379 किलोग्राम है जो 1000W की इलेक्ट्रिक पावर जेनरेट कर सकता है। इसे एक 100x100 km के ल्यूनर पोलर ऑर्बिट में प्लेस किया गया है। विक्रम लैंडर का वजन 1,471 किलोग्राम है जो 650W की इलेक्ट्रिक पावर जेनरेट कर सकता है। 6 पहिए वाले प्रज्ञान रोवर की बात करें तो इसका वजन 27 किलोग्राम है जो 50W की इलेक्ट्रिक पावर जेनरेट कर सकता है। यह 500 मीटर तक ट्रैवल कर सकता है और फंक्शनिंग के लिए सोलर उर्जा पर निर्भर करता है।