Chandrayaan-3 Landing: 25 KM की दूरी से कैसे दिखते हैं चंदा मामा, चंद्रयान ने लैंडिंग से पहले भेजी तस्वीरें
चंद्रयान 3 की लैंडिंग का हर देशवासियों को बेसब्री से इंतजार है। अनुमान है कि 23 अगस्त बुधवार को अंतरिक्ष यान चांद की सतह पर लैंड करेगा। इस बीच ISRO ने सोमवार यानी आज चांद के फार साइड एरिया की तस्वीरें जारी की है। यह चांद का वो सतह है जो पृथ्वी से नजर नहीं आता है। बता दें कि 14 जुलाई को चंद्रयान-3 मिशन को लॉन्च किया गया था।
By AgencyEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Mon, 21 Aug 2023 11:01 AM (IST)
बेंगलुरु, एजेंसी। Chandrayaan-3: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सोमवार को चांद के फार साइड एरिया (चांद का वो हिस्सा जो पृथ्वी से नजर नहीं आता) की तस्वीरें जारी की। इसे लैंडर हैजर्ड डिटेक्शन एंड अवॉइडेंस कैमरा (LHDAC) से कैप्चर किया गया है। यह कैमरा लैंडिंग का उपयुक्त स्थान खोज रहा है। यह कैमरा चांद के सतह की तस्वीरें खींचकर खतरों (ऊबड़-खाबड़ सतह या गहरी खाइयों) का पता लगाएगा और सुरक्षित स्थान की पहचान कर साफ्ट लैंडिंग में मदद करेगा। इसे अहमदाबाद के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर (एसएसी) ने विकसित किया है।
23 अगस्त को शाम 5.20 बजे शुरू होगा सीधा प्रसारण
इसरो ने कहा कि लैंडिंग का सीधा प्रसारण 23 अगस्त को भारतीय समयानुसार शाम 5.20 बजे शुरू होगा। पहले कहा गया था कि सीधा प्रसारण शाम 5:27 बजे शुरू किया जाएगा।
चंद्रयान-2 के आर्बिटर से चंद्रयान -3 के लैंडर ने साधा संपर्क
इसरो ने सोमवार को कहा कि चंद्रयान-2 के आर्बिटर और चंद्रयान-3 लैंडर माड्यूल के बीच संपर्क स्थापित हो गया है। इसरो ने एक्स पर पोस्ट किया, 'स्वागत है दोस्त!' चंद्रयान-2 आर्बिटर ने चंद्रयान-3 के लैंडर माड्यूल का स्वागत किया। दोनों के बीच संचार स्थापित हो गया है। भारत ने 2019 में आर्बिटर, लैंडर और रोवर से युक्त चंद्रयान-2 को लांच किया था। लेकिन अतिम क्षण पर लैंडर और रोवर से संपर्क टूट गया था और उसकी क्रैश लैंडिंग हो गई थी। लेकिन आर्बिटर अभी भी वहां है और कार्य कर रहा है।पूर्व इसरो प्रमुख माधवन ने कहा, साफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया बहुत जटिल
इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर ने कहा कि साफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया बहुत जटिल है। चंद्रयान-1 मिशन के प्रक्षेपण के वक्त 2008 में इसरो का नेतृत्व कर रहे नायर ने कहा, ''लैंडिंग बहुत जटिल प्रक्रिया है। हम चंद्रयान -2 मिशन में चंद्रमा की सतह से ऊपर आखिरी दो किलोमीटर में ऐसा करने से चूक गए थे। हमें सतर्क रहना होगा। मैं समझता हूं कि इसरो ने पर्याप्त तैयारी की है कि इस बार सफलता मिले। फिर भी हमें दुआ करनी होगी।''नायर ने कहा, ''हम चंद्रमा की सतह से जो आंकड़े एकत्र कर सकते हैं, वह दुर्लभ खनिज, हीलियम-3 जैसे कुछ खनिजों की पहचान करने में उपयोगी होगा। इस बात की संभावना भी तलाशी जाएगी कि हम अन्वेषण या मानव की मौजूदगी के लिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास किस प्रकार की व्यवस्था कर सकते हैं।''
सफल साफ्ट-लैंडिंग से इसरो के ग्रह अन्वेषण के अगले चरण के लिए बड़ी शुरुआत होने जा रही है। माधवन नायर ने कुछ हलकों में हो रही इस चर्चा को खारिज कर दिया कि भारत और रूस चंद्रमा पर पहुंचने की दौड़ में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि लूना-25 का दुर्घटनाग्रस्त होना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा, भारत का यह मिशन पूरी तरह से आत्मनिर्भर है हम उन पर (रूस पर) निर्भर नहीं हैं। रूस के साथ भारत का अंतरिक्ष सहयोग मानव को अंतरिक्ष में भेजने के गगनयान अंतरिक्ष अभियान के लिए भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण देने तक सीमित है।
लैंडर में LHDAC जैसी कई उन्नत टेक्नोलॉजी मौजूद
इन तस्वीरों को अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (SAC) द्वारा जारी की गई है। यह इसरो का एक प्रमुख अनुसंधान और विकास केंद्र है। अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक, चंद्रयान-3 के मिशन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए लैंडर में LHDAC जैसी कई उन्नत टेक्नोलॉजी मौजूद हैं। 14 जुलाई को चंद्रयान-3 मिशन को लॉन्च किया गया था। इसने 5 अगस्त को चंद्र कक्षा में प्रवेश किया था।Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 21, 2023
Here are the images of
Lunar far side area
captured by the
Lander Hazard Detection and Avoidance Camera (LHDAC).
This camera that assists in locating a safe landing area -- without boulders or deep trenches -- during the descent is developed by ISRO… pic.twitter.com/rwWhrNFhHB