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Chandrayaan-3: चंद्रमा पर आज इतिहास रचेगा चंद्रयान-3, अलग-अलग यात्रा पर निकलेंगे प्रोपल्शन और लैंडर मॉड्यूल

Chandrayaan 3 Mission Update इसरो ने बताया कि चांद की सतह के बिल्कुल करीब लाने के लिए चंद्रयान-3 को 153 किमी x 163 किमी की कक्षा में स्थापित कर दिया गया है। इसके साथ ही चांद की कक्षा में होने वाली सारी प्रक्रियाएं पूरी हो गई हैं। अब अपना चंद्रयान-3 महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच चुका है। प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल अपनी अलग-अलग यात्राओं के लिए तैयार हैं।

By Narender SanwariyaEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Thu, 17 Aug 2023 06:30 AM (IST)
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Chandrayaan-3: चंद्रमा पर आज इतिहास रचेगा चंद्रयान-3, अलग-अलग यात्रा पर निकलेंगे प्रोपल्शन और लैंडर मॉड्यूल
चेन्नई, एजेंसी/ऑनलाइन डेस्क। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बताया कि मिशन मून पर निकला अपना चंद्रयान-3 आज एक बार फिर इतिहास रचने जा रहा है। भारत का चंद्रयान-3 चंद्रमा के काफी करीब पहुंच गया है। लैंडर मॉड्यूल को गुरुवार को प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग किया जाएगा।

प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल की यात्रा

इसरो ने बताया कि चांद की सतह के बिल्कुल करीब लाने के लिए चंद्रयान-3 को 153 किमी x 163 किमी की कक्षा में स्थापित कर दिया गया है। इसके साथ ही चांद की कक्षा में होने वाली सारी प्रक्रियाएं पूरी हो गई हैं। अब अपना चंद्रयान-3 महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच चुका है। प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल अपनी अलग-अलग यात्राओं के लिए तैयार हैं।

विक्रम और प्रज्ञान क्या है

सरल भाषा में कहें तो चंद्रयान के भीतर बैठा 'हीरो' अब आगे का सफर अलग करेगा। इस लैंडर का नाम विक्रम है और उसके अंदर प्रज्ञान है। चांद की सतह पर लैंडर के उतरने के बाद प्रज्ञान बाहर निकलेगा। देश और दुनिया की नजरें इसपर टिकी है। 17 अगस्त को प्रॉपल्शन मॉड्यूल से लैंडर अलग होगा। इसरो की तैयारी है कि 23 अगस्त 2023 की शाम चंद्रयान-3 चांद की सतह पर लैंड हो जाए।

चंद्रमा की सतह पर कब लैंड करेगा चंद्रयान-3

चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान में एक प्रोपल्शन मॉड्यूल (वजन 2,148 किलोग्राम), लैंडर (1,723.89 किलोग्राम) और एक रोवर (26 किलोग्राम) शामिल हैं। भारत के तीसरे चंद्र मिशन का मुख्य उद्देश्य लैंडर को चंद्रमा पर धीरे से उतारना है। चंद्रयान-2 मिशन विफल हो गया क्योंकि विक्रम नामक लैंडर चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसरो के मुताबिक, लैंडर के 23 अगस्त को शाम 5.47 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है।

सॉफ्ट लैंडिंग क्या है

लैंडर चंद्रमा की सतह से लगभग 100 किमी की ऊंचाई से चंद्रमा पर उतरेगा। सॉफ्ट लैंडिंग काफी महत्वपूर्ण प्रक्रिया है क्योंकि इसमें रफ और फाइन ब्रेकिंग सहित कई जटिल श्रृंखला शामिल होती है। सुरक्षित और खतरा-मुक्त क्षेत्र खोजने के लिए लैंडिंग से पहले लैंडिंग साइट क्षेत्र की इमेजिंग की जाएगी। सॉफ्ट लैंडिंग के बाद, छह पहियों वाला रोवर बाहर निकलेगा और एक चंद्र दिवस की अवधि के लिए चंद्र सतह पर प्रयोग करेगा जो पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर है।

पृथ्वी की परिक्रमा

चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को भारत के हेवी लिफ्ट रॉकेट LVM3 द्वारा कॉपीबुक शैली में कक्षा में स्थापित किया गया था। अंतरिक्ष यान ने पृथ्वी की परिक्रमा पूरी की और 1 अगस्त को चंद्रमा की ओर चला गया था। उस दिन ISTRAC में एक सफल पेरिगी-फायरिंग की गई, इसरो ने अंतरिक्ष यान को ट्रांसलूनर कक्षा में स्थापित किया था।